नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने को बिहार के राजगीर में विश्व शांति स्तूप के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित किया।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि विश्व शांति स्तूप एकता, शांति और अहिंसा का प्रतीक है। इसके संदेश में ऐसी सार्वभौमिकता है जो संस्कृतियों,धर्मों और भौगोलिक सीमाओं के दायरे में सिमटी हुई नहीं है। यह जापान और भारत जैसी शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के बीच साझेदारी और व्यापक सहयोग को भी दर्शाता है।
श्री कोविंद ने कहा कि महात्मा बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग का दर्शन न केवल दुनिया के आध्यात्मिक परिदृश्य में बड़े परिवर्तन का कारण बना बल्कि इसके साथ ही इसने सामाजिक राजनीतिक और कारोबारी नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में भी बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि महात्मा बुद्ध के संदेश दुनियाभर में मौजूद उनके 50 करोड़ से ज्यादा अनुयायियों से भी अधिक लोगों तक पहुंचे हैं। बुद्ध के जीवन से संबंधित स्थानों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करना उनके संदेशों की मूल भावना के प्रति लोगों और विशेषकर युवाओं को आकर्षित करने का एक प्रभावी तरीका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि विकास के लिए शांति जरूरी है। उन्होंने कहा कि बुद्ध के शांति के संदेश का सार बाह्य शांति के लिए आंतरिक शांति को जरूरी बताता है। आध्यात्मिकता , शांति और विकास एक दूसरे के संबल हैं जबकि संघर्ष,अशांति और विकास की कमी एक दूसरे की वजह बनते हैं। उन्होंने लोगों से गरीबी और संघर्ष को कम करने के लिए एक शक्तिशाली साधन के रूप में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने की अपील की।