18 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

President of India Attends the Launch of Various Social Welfare Programmes in Mehsana on the Occasion of the 83rd Birthday of Acharya Padmasagarsuriji

President of India Attends the Launch of Various Social Welfare Programmes in Mehsana on the Occasion of the 83rd Birthday of Acharya Padmasagarsuriji
Uncategorized

New Delhi: The President of India, Shri Ram Nath Kovind was the chief guest at the launch of various social welfare programmes in Mehsana (Gujarat) today (September 3, 2017) on the occasion of the 83rd birthday of Acharya Padmasagarsuriji.

Following is the full text of President’s address on the occasion:

“राष्ट्रपति का कार्यभार सँभालने के बाद यह मेरी पहली गुजरात यात्रा है। लेकिन गुजरात से मेरा नाता लगभग पैंतालीस वर्ष पुराना है। मैं लगातार यहाँ आता रहा हूँ। मुझे अपनी युवावस्था के दौरान प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। मैंने उनके साथ भी गुजरात को नजदीक से देखा था। यहाँ मुझे अपनेपन का सहज अनुभव होता है। मेरा जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ, लेकिन गुजरात मेरे लिए दूसरा घर है।

गुजरात का सौभाग्य है कि इस राज्य ने देश को दो प्रधानमंत्री दिए हैं।  दक्षिण गुजरात के वलसाड जिले में  मोरारजी देसाई का जन्म हुआ था। वे सन 1977 में  प्रधानमंत्री बने। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी  उत्तर गुजरात के इसी मेहसाणा की धरती से आते हैं। मेहसाणा के किसानों ने पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई है। यहाँ के फार्मर को-ऑपरेटिव सारे देश के लिए उदहारण हैं। यहाँ के लोग गुजरात ही नहीं, पूरे देश का गौरव हैं।

हाल ही में उत्तर गुजरात को बाढ़ की विभीषिका से जूझना पड़ा है। मैंने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री श्री रूपाणीजी से फोन पर बातचीत की। वे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पांच-छ: दिनों तक कैंप करते रहे। यह राज्य के लोगों के प्रति उनकी चिंता, प्रेम और निष्ठा का प्रमाण है।

भारत की पावन धरती हमेशा से ऋषि-मुनियों एवं संतों की भूमि रही है। आचार्यजी  उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। आज उनके 83वें जन्म-दिन के शुभ अवसर पर उपस्थित होना सौभाग्य की बात है। आचार्यजी से मेरा व्यक्तिगत परिचय सन 1994 में हुआ था। वे दिल्ली से बंगाल तक की पदयात्रा पर थे। मेरा परम सौभाग्य है कि उन्होंने मेरे निवास पर मध्याह्न के भोजन के रूप में गुरुचरी ग्रहण करना स्वीकार किया था। मुझे बताया गया है कि आचार्यजी समग्र भारत एवं नेपाल में लगभग एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा कर चुके हैं। उन्होने लोगों में सत्य, अहिंसा, सादगी, सदाचार, परोपकार, करुणा एवं आपसी सौहार्द का संदेश प्रसारित किया है।

भगवान महावीर द्वारा प्रवर्तित जैन-दर्शन में अहिंसा को परम धर्म माना गया है। अहिंसा की भावना भारत के राष्ट्र-पिता महात्मा गाँधी की राजनीति का आधार थी। और  यही भावना हमारे देश की ओर से समूचे विश्व के लिए एक अनमोल सौगात है। अहिंसा के साथ-साथ परोपकार की भावना पर बल देना भी जैन आचार्यों की परंपरा रही है।

आचार्यजी ने लोगों में सत्य, अहिंसा, सादगी, सदाचार, परोपकार, करुणा एवं आपसी प्रेम का संदेश फैलाया है। आज के युग में उनकी शिक्षा, जीवन को बेहतर बनाने और सामाजिक सौहार्द को स्थापित करने के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।

किसी भी व्यक्ति की परख उसके द्वारा किये गए कार्यों से होती है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि आचार्यजी की प्रेरणा से बड़े पैमाने पर व्यसन-मुक्ति, वंचितों को शिक्षा, दीन-दुखियों को सहारा, पशु-पक्षियों की सेवा, संस्कृति की रक्षा जैसे अनेक कार्य  प्रभावी ढंग से हो रहे हैं।

मुझे बताया गया है कि आचार्यजी के अनुयायी  नियमित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में, दिव्यांगों के हित में, अनाथों और गरीबों के कल्याण के लिए अनेक कार्य कर रहे हैं।

इसी क्रम में आज मानव- कल्याण की विभिन्न योजनाओं का शुभारम्भ होने जा रहा है। इस पावन अवसर पर ऐसे ही कार्यों का संकल्प लेना संतो के प्रति सच्ची श्रद्धा है।

आचार्यश्री ने भारत की प्राचीन विरासत को सँजोने वाली दुर्लभ पांडुलिपियों को नष्ट  होने से बचाया है और उन्हें विदेशों में जाने से भी बचाया है। देश के कोने-कोने में जा कर, लगभग दो लाख पाण्डुलिपियों को एकत्र कर, इस अमूल्य धरोहर को कोबा– गांधीनगर स्थित इस ज्ञान मंदिर में संरक्षित किया है।

यह शायद भारतीय पांडुलिपियों का विश्व में सबसे बड़ा संग्रहालय बन गया है। इस संग्रहालय को देखने का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

पाण्डुलिपियों का शोध करना, उनका संग्रह करना और उन्हें व्यवस्थित रूप से सूचीबद्ध करना एक महान सांस्कृतिक योगदान है।

आज, “कैलास श्रुतसागरग्रंथसूची” के 23वें भाग के लोकार्पण में उपस्थित होने पर मुझे प्रसन्नता हो रही है। मैं इस पावन व गौरवशाली कार्य से जुड़े हर व्यक्ति की हृदय से सराहना करता हूँ।

मैं यह कामना करता हूँ कि ईश्वर आचार्यश्री को आरोग्य और दीर्घायु प्रदान करे तथा उनके हर कार्य में उन्हें सफलता प्रदान करे।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More