नई दिल्लीः किसी भी राज्य की प्रगति में उस राज्य की जनता और उसकी मज़बूत अवसंरचना का, infrastructure का प्रमुख स्थान होता है। इसमें भी परिवहन और संचार सुविधाओं का विशेष महत्व है। प्रदेश में सड़क निर्माण की एक महत्वपूर्ण परियोजना पूरी हुई है। इसे देश को समर्पित करने के लिए आज आपके बीच आकर मैं प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं।
- भारत का राष्ट्रपति बनने के बाद, त्रिपुरा की यह मेरी पहली यात्रा है। यह यात्रा त्रिपुरावासियों के जीवन को बदलने वाली परियोजना के पूरा होने के अवसर पर हो रही है, यह विशेष प्रसन्नता का विषय है। राष्ट्रीय राजमार्ग-8 का 73 किमी लंबाई वाला यह खंड माताबाड़ी को त्रिपुरा की सीमा पर स्थित सबरूम के साथ जोड़ता है। यह सड़क दुर्गम भू-क्षेत्र से होकर गुजरती है, फिर भी इसके निर्माण का काम केवल 30 महीने में पूरा कर लिया गया है। इस उपलब्धि के लिए भारत सरकार, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा National Highway Infrastructure Development Corporation बधाई के पात्र हैं। इसके साथ ही निर्माण कार्य में लगी सहयोगी कंपनियों, इंजीनियरों और कामगारों को मैं बधाई देता हूं।
- भारत सरकार की प्राथमिकता में पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास बहुत ऊपर है। देश के अन्य क्षेत्रों के साथ इस क्षेत्र का सड़क संपर्क तेजी से बढ़ाने की योजना के अंतर्गत लगभग पांच हजार दो सौ किमी लंबाई की सड़कें बनाई जा रही हैं। महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना में भी पूर्वोत्तर का विशेष ध्यान रखा गया है। इस प्रकार, केवल त्रिपुरा में ही लगभग 500 किमी लंबाई की सड़कें बनाई जा रही हैं। जिनकी लागत लगभग छह हजार करोड़ रुपए है। मुझे विश्वास है कि इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर त्रिपुरा का तेजी से विकास होगा।
- सड़कें और रेल-मार्ग केवल दो स्थानों को ही नहीं जोड़ते, बल्कि वे वहां के लोगों को भी नज़दीक लाते हैं। और, उनके बीच आपसी सौहार्द एवं आत्मीयता बढ़ाने का काम करते हैं। अगरतला से सबरूम के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग तैयार हो जाने से प्रदेश की राजधानी के साथ दक्षिण-पूर्व त्रिपुरा के लोगों का सड़क संपर्क सुगम हो जाएगा। माताबाड़ी-सबरूम खंड इस राजमार्ग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। त्रिपुरा समुद्र से दूर है लेकिन माताबाड़ी-सबरूम राजमार्ग को आगे सीधे बंगलादेश के साथ जोड़ने के लिए फेनी नदी पर पुल बनाया जा रहा है। इस पुल के बन जाने से Chittagong बंदरगाह से होकर समुद्री रास्ते से त्रिपुरा का व्यापार और आसान हो जाएगा। भारत सरकार अपनी Act East Policy के माध्यम से अनेक परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रही है। इसी कड़ी में म्यांमार, थाईलैण्ड और मलेशिया के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देशों के साथ सीधा सड़क संपर्क स्थापित किया जा रहा है। मीकांग-गंगा सहयोग और एशियन हाईवे जैसी परियोजनाओं को गति दी जा रही है। प्राचीन काल से ही भारत के साथ दक्षिण-पूर्व के देशों का सांस्कृतिक और व्यापारिक जुड़ाव है। इन परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर हमारे संबंधों में और भी मज़बूती आएगी।
- इसी दृष्टि से, पूर्वोत्तर के राज्यों का बंगलादेश के साथ सीधा सड़क संपर्क कायम किया जा रहा है। 1947 में देश के विभाजन के समय कोलकाता का त्रिपुरा से सीधा संपर्क टूट गया था। अगरतला से कोलकाता की छह-सात सौ किलोमीटर की दूरी रातों-रात बढ़कर 1700 किमी की हो गई। इस दूरी को पाटने के लिए कोलकाता से अगरतला के बीच ढाका से होकर सीधी बस सेवा शुरू की गई है। बंगलादेश से होकर पश्चिम बंगाल के साथ सीधा रेल संपर्क स्थापित किया जा रहा है। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला और बंगलादेश के अखौरा जंक्शन के बीच रेल लाइन बिछाई जा रही है। इससे सीमा-पार व्यापार में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। इसका लाभ बंगलादेश के साथ-साथ दोनों प्रदेशों के लोगों को प्राप्त होगा। अगरतला के साथ देश के अनेक नगरों का हवाई संपर्क लगातार बढ़ रहा है। आज त्रिपुरा में मुझे एक नई ऊर्जा दिखाई दे रही है जिससे विकास के कार्यों में तेजी आ रही है।
- त्रिपुरा में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे वन क्षेत्र और प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का आकर्षण पहले से ही है। रेल और सड़क संपर्क बढ़ने से पर्यटन में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। इसे ध्यान में रखते हुए श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। मां त्रिपुर सुन्दरी के मंदिर परिसर के पुनर्विकास की शुरुआत आज ही की जा रही है।
- देश के पिछड़े वर्गों और जनजातीय समाज के विकास के बिना भारत की विकास गाथा अधूरी है। मुझे बताया गया कि इस क्षेत्र में जनजातीय समाज की आबादी काफी बड़ी है, इसलिए मैंने अगरतला के स्थान पर यहां माताबाड़ी में आपके बीच आकर इस परियोजना के लोकार्पण का निर्णय लिया। भारत सरकार ने जनजातीय समाज की तरक्की के लिए अनेक नई योजनाएं बनाई हैं। ‘वनबन्धु कल्याण योजना’ शुरू की गई है। 24 वन-उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना लागू की गई है और नेशनल बंबू मिशन को नया रूप दिया गया है। इसके अलावा, वन उपज में value addition के लिए वन धन विकास केन्द्रों की स्थापना पर काम चल रहा है। मुझे विश्वास है कि जनजातीय भाई-बहिन इन योजनाओं से लाभान्वित होंगे।
- त्रिपुरा का ट्राइबल समाज बहुत जागरूक है। यहां के बेटे-बेटियों ने खेल-कूद के क्षेत्र में देश-विदेश में सराहना प्राप्त की है। टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देवबर्मन ने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में देश के लिए पदक जीते हैं। अंडर-सिक्सटीन फुटबाल में अपने प्रदर्शन से लक्ष्मिता रीयांग ने भविष्य के लिए उम्मीदें जगाई हैं। इंडियन आइडॅल में सौरभी देववर्मा ने लोगों का दिल जीता है। मुझे विश्वास है कि त्रिपुरा का ट्राइबल समाज देश के साथ कदम से कदम मिलाकर तरक्की की राह पर आगे बढ़ता रहेगा।
- रती रंजन धारिस एवं चैती जैसे तैराकों और जिमनास्ट दीपा कर्माकर पर पूरे देश को नाज़ है। उनके जैसी त्रिपुरा की बेटियां और बेटे नए-नए क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करें और त्रिपुरा का चहुंमुखी विकास हो, इसके लिए मैं अपनी शुभकामनाएं देता हूं।