जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत ट्राइबल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ट्राइफेड) की एक प्रमुख पहल, आदि महोत्सव-2025 का उद्घाटन भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नई दिल्ली में किया। 16 से 24 फरवरी 2025 तक चलने वाला यह जीवंत महोत्सव, भारत की समृद्ध आदिवासी विरासत, संस्कृति, वाणिज्य, शिल्प, व्यंजन और कला का जश्न मनाता है।
आदि महोत्सव 2025 की प्रमुख विशेषताएं हैं:
- 30+ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 600+ आदिवासी कारीगर।
- 500 कलाकारों द्वारा मनमोहक जनजातीय नृत्य की प्रस्तुति।
- विभिन्न क्षेत्रों के स्वदेशी व्यंजन पेश करने वाले 25 आदिवासी भोजन स्टॉल।
उद्घाटन समारोह में आदिवासी कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें शामिल हैं: छाऊ नृत्य (झारखंड), कलबेलिया नृत्य (राजस्थान), गौर मारिया नृत्य (छत्तीसगढ़), सिद्धि धमाल नृत्य (गुजरात), अंगी गेर नृत्य (राजस्थान)।
इस अवसर पर माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आदिवासी कारीगरों और उद्यमियों को सशक्त बनाने में आदि महोत्सव के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा: “पिछले 10 सालों में आदिवासी समाज के समग्र विकास के लिए कई प्रभावी कदम उठाए गए हैं। आदिवासी समाज के विकास पर विशेष ध्यान देने के पीछे यह मानना है कि जब आदिवासी समाज आगे बढ़ेगा, तभी हमारा देश भी सही मायने में आगे बढ़ेगा।
किसी भी समाज के विकास में शिक्षा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। यह ख़ुशी की बात है कि देश में 470 से अधिक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के ज़रिए करीब 1.25 लाख आदिवासी बच्चों को स्कूली शिक्षा दी जा रही है।
आदि महोत्सव, आदिवासी विरासत को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने का एक प्रमुख आयोजन है। ऐसे उत्सव जनजातीय समाज के उद्यमियों, शिल्पकारों और कलाकारों को बाजार से जुड़ने का बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं।”
जनजातीय कल्याण को आगे बढ़ाना – पीएम-जनमन और धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के समग्र विकास के लिए परिवर्तनकारी पहल शुरू की गई हैं:
- पीएम-जनमन अभियान (2023 में लॉन्च): 24,000 करोड़ रुपए का बजट, घरों तक आवश्यक सेवाओं की सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित करना।
- धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान (2 अक्टूबर 2024 को लॉन्च): 80,000 करोड़ रुपए का बजट, निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित:
- 63,000 आदिवासी गांवों को सड़कों और मोबाइल नेटवर्क से जोड़ना।
- आदिवासी परिवारों को स्थायी आवास उपलब्ध कराना।
- यह सुनिश्चित करना कि जनजातीय नागरिकों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिले।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने महोत्सव की सराहना करते हुए कहा:
“आदि महोत्सव, जनजातीय समुदायों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक प्रमाण है। यहां आने वाले आगंतुक लाइव पेंटिंग सत्र का अनुभव कर सकते हैं और उन कारीगरों के साथ बातचीत कर सकते हैं, जिन्हें कई बिंदुओं को ध्यान में रखकर चुना गया है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने इस महोत्सव के आर्थिक प्रभाव पर प्रकाश डाला:
“राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच प्रदान करके आदि महोत्सव, आदिवासी कारीगरों की आजीविका को मजबूत करता है। हम अपने आदिवासी उद्यमियों के लिए इन अवसरों का विस्तार करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।”
आदि महोत्सव 2025 – मुख्य विशेषताएं
- जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा गणतंत्र दिवस 2025 की सर्वश्रेष्ठ झांकी पुरस्कार का प्रदर्शन।
- आदिवासी कारीगरों द्वारा लाइव पेंटिंग सत्र।
- 20 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और 35 प्रशिक्षण संस्थानों के साथ सहयोग।
- डिजाइन संस्थानों और कॉर्पोरेट घरानों के साथ 25 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर।
- विशिष्ट जनजातीय शिल्प प्रस्तुत करने वाले राज्य और अंतर्राष्ट्रीय मंडप।
- आठ प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर ब्रांड एकीकरण।
- श्रीलंका और इंडोनेशिया के प्रतिनिधिमंडल।
- जनजातीय पाक व्यंजनों की डिजिटल ऑनबोर्डिंग के लिए आईएफसीए के साथ समझौता ज्ञापन।
- ईएमआरएस में क्षमता निर्माण के लिए एनईएसटी के साथ समझौता ज्ञापन।
- महुआ जैसे लघु वन उत्पादों के मूल्यवर्धन के लिए एचपीएमसी के साथ समझौता ज्ञापन।
गणमान्य लोगों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित गणमान्य अतिथि मौजूद थे, जिनमें शामिल हैं: दिल्ली से सांसद सुश्री बांसुरी स्वराज, जनजातीय कार्य मामलों के मंत्रालय में सचिव श्री विभु नायर, ट्राइफेड के एमडी श्री आशीष चटर्जी, कई वरिष्ठ अधिकारी, आदिवासी नेता, कारीगर और अन्य विशिष्ट अतिथि।
आदि महोत्सव – जनजातीय सशक्तिकरण के लिए एक आंदोलन
आदि महोत्सव महज़ एक उत्सव से कहीं अधिक है – यह भारत के आदिवासी समुदायों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाला एक आंदोलन है। परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़कर, यह आयोजन सुनिश्चित करता है कि आदिवासी भारत के अमूल्य योगदान का विश्व स्तर पर मान्यता, सम्मान और जश्न मनाया जाए।
इसी दृष्टिकोण के साथ, माननीय राष्ट्रपति ने आदि महोत्सव 2025 और जनजातीय गौरव वर्ष के अवसर पर सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई दी।