नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज चेन्नई में दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया।
इस अवसर पर उन्होंने तमिल, अंग्रेजी और हिन्दी में व्याख्यान दिया और कहा कि यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि महात्मा गांधी द्वारा स्थापित दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रही है। उन्होंने कहा कि सभा ने दक्षिणी राज्यों में हिन्दी के प्रोत्साहन के लिए बहुत काम किया है। महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित करके यह सभा राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित कर रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे क्षेत्र या दूसरे राज्य की भाषा सीखना बहुत शिक्षाप्रद हो सकता है। इसके माध्यम से नई-नई संस्कृतियों को जानने और समझने के लिए बेहतरीन अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के बीच सहयोगी कार्यक्रमों के जरिए एक क्षेत्र में दूसरे क्षेत्र की भाषा लोकप्रिय हो रही है। इस कदम से राष्ट्रीय समरसता को मजबूती मिलती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सुब्रमण्या भारती की कविताओं से न केवल तमिलनाडु के, बल्कि पूरे देश के लोग प्रेरित हुए थे। इसी तरह पेरियार के मुक्ति आदर्शों ने मानव गरिमा को नई ऊंचाईयां दीं। यह आदर्श भाषा या भूगोल तक सीमित नहीं रहे। राष्ट्रपति ने अपने पूर्ववर्ती चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण का उल्लेख करते हुए कहा कि यह दोनों तमिलनाडु के बहुभाषायी बुद्धिजीवी थे, जिनके योगदान और विचार एक भाषा या क्षेत्र तक सीमित नहीं रहे।
राष्ट्रपति ने कहा कि दूसरे राज्यों की भाषा सीखने से व्यावहारिक लाभ होता है। हम लोग ऐसे युग में रह रहे हैं, जब भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और भारत के भीतर लोगों का आवागमन तेज हो रहा है। युवा लोग देश के एक हिस्से से निकलकर देश के दूसरे हिस्से में अध्ययन कर रहे हैं या रोजगार कर रहे हैं। इस तरह जो व्यक्ति जहां काम करता है या जहां पढ़ रहा है, वहां की भाषा सीखने से उसे बहुत लाभ होगा।