नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन द्वारा आयोजित माउंट एवरेस्ट पर भारत की ऐतिहासिक चढ़ाई के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन किया। आज ही के दिन 1965 में यह उपलब्धि हासिल की गई थी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले वर्षों में भारतीय पर्वतारोहियों ने ऊंची चोटियों पर विजय प्राप्त कर न केवल नाम कमाया है, बल्कि उन्हें सशस्त्र सेना के वीर सैनिकों के रूप में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में शामिल किया गया। इनमें से बहुत से सैनिकों ने करगिल संघर्ष के दौरान वीरता दिखाई और ऊंची पहाड़ियों की रक्षा साहस और शक्ति के साथ की। पाठ्य-पुस्तकों में भारत की माउंट एवरेस्ट पर पहली विजय और भारत की पहली महिला बचेन्द्रीपाल की माउंट एवरेस्ट पर विजय की कहानियां शामिल की गई हैं, जिनसे कई पीढ़ियों को प्रेरणा मिली है।
राष्ट्रपति ने कहा कि 1965 के अभियान को भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन ने प्रायोजित किया था और इसके बाद इस संस्था ने साहसी पर्वतारोहियों को मार्गदर्शन दिया है। हाल ही के वर्षों में फाउंडेशन ने हिमालय में पर्यावरण संरक्षण के काम को भी अपनाया है। हिमालय की पारिस्थितिकी के संरक्षण से बेहतर कोई और अच्छा कार्य नहीं है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि पर्वतारोहियों ने महिलाओं को इस क्षेत्र में प्रोत्साहित किया है। राष्ट्रपति ने ऐतिहासिक अभियान के जीवित सदस्यों को सम्मानित किया और इस अभियान के अब दिवंगत सदस्यों के साहस को नमन किया। माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान अपनी जान गंवाने वाले पर्वतारोहियों को राष्ट्रपति ने श्रद्धांजलि दी।