नई दिल्ली: भूटान के रॉयल ऑडिट अथॉरिटी के दो प्रशिक्षु अधिकारियों समेत भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों (2015 बैच) के
एक समूह ने (18 फरवरी, 2016 बैच) राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की।
राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन में भूटान के रॉयल ऑडिट अथॉरिटी के दो प्रशिक्षु अधिकारियों समेत युवा अधिकारियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारी एक ऐसे विभाग में नियुक्त हुए हैं जिसका एक बेहद पुराना एवं पारंपरिक इतिहास रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के अधिकारी प्रत्यक्ष रूप से वित्तीय लेनदेनों की निगरानी करने एवं यह देखने के लिए जिम्मेदार हैं कि उनका अनुपालन नियमों के अनुसार हों। वे सुशासन एवं कल्याणकारी सरकार प्रदान करने के एक माध्यम हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु अधिकारी बेहद कम उम्र में ही बेशुमार जिम्मेदारियों का बोझ अपने कंधों पर उठाने का अवसर प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को बताया कि यह उनके सीखने की प्रक्रिया का अंत नहीं है। महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें इस काम को ऐसे सीखना चाहिए जैसे कि उन्हें हमेशा जीवित रहना है। उन्होंने कहा कि बुनियादी मूलभूत सिद्धांत यह होना चाहिए कि कोई भी सार्वजनिक फंडों की कीमत पर अवैध रूप से लाभान्वित न हो क्योंकि ये फंड आम लोगों के भरोसे को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने थॉमस केंपिस को भी उद्धृत किया और कहा कि उन्हें हमेशा ही यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि कोई भी संरचना इसलिए ऊंची है क्योंकि इसकी नींव गहरी है। उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रशिक्षण अवधि में ही मजबूत बुनियाद डाल दी जाए। उन्होंने सभी प्रशिक्षुओं को उनके भविष्य के कैरियर के लिए शुभकामनाएं दीं।
प्रशिक्षु अधिकारी वर्तमान में शिमला के राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा अकादमी में व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।