नई दिल्ली: कुलाध्यक्ष सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए आप सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत करता हूं। यह कुलाध्यक्ष सम्मेलन पहली बार आयोजित किया जा रहा है। अतीत में, मुझे आप में से कई लोगों के साथ राष्ट्रपति भवन एवं आपके संस्थानों में आयोजित विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेने का अवसर प्राप्त हुआ है, लेकिन यह पहली बार है कि मैं कुलाध्यक्ष के रूप में आप सभी लोगों से एक साथ मिल रहा हूं। मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से उनकी भव्य उपस्थिति के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी की भी सराहना करता हूं जिन्होंने ध्येय एवं उर्जा के साथ शिक्षा क्षेत्र को आगे बढाने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।
माननीय अतिथियों, यह सच है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान उच्चतर शिक्षा बुनियादी क्षेत्र में काफी विस्तार हुआ है। फिर भी, विश्व के 27 फीसदी के मुकाबले भारत का 21 फीसदी का निम्न सकल नामांकन अनुपात यानी जीईआर जरूर एक चिंता का विषय बना हुआ हैा एक नई शिक्षा नीति बनाई जा रही है। मुझे बताया गया है कि स्कूली शिक्षा के लिए 13 विषय वस्तुओं तथा उच्च्तर शिक्षा के लिए 20 विषय वस्तुओं पर परामर्श की प्रकिया प्रारंभ हो गई है। नई शिक्षा नीति को अनिवार्य रूप से शिक्षा क्षेत्र की गतिकी बदलनी चाहिए तथा 2020 तक 30 प्रतिशत के जीईआर लक्ष्य को प्राप्त करने में हमारी मदद करनी चाहिए। हमें इस लक्ष्य को यह किसी भी कीमत पर चूकना नहीं चाहिए।
प्रगति एवं अन्वेषण के बीच प्रत्यक्ष संबंध है। इतिहास इस बात का गवाह है कि कई ऐसे देश, जहां संसाधनों की कमी थी, वे केवल तीव्र प्रौद्योगिकी विकास के दम पर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के रूप में उभर कर सामने आये। आज भारत हमारे राष्ट्र के संस्थापकों के सपनों को पूरा करने के बेहद करीब आ गया है। भारतीय युवकों का उद्यमशीलता में कोई सानी नहीं है।
दुनिया भर में भारत में सबसे तेजी से बढ़ता स्टार्ट-अप आधार है और 4,200 स्टार्ट-अप के बाद इसका स्थान अमरीका और ब्रिटेन के बाद तीसरा है। सरकार ने उद्यमशील उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया’ अभियान की शुरूआत की है। उच्चतर शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों को अनिवार्य रूप से एक अन्वेषण एवं अनुसंधान नेटवर्क सृजित करने की दिशा में काम करना चाहिए, जो उद्यमियों को जन्म देगा और अन्वेषणों का पोषण करेगा। पिछले दो वर्षों के दौरान साठ से अधिक केन्द्रीय संस्थानों में अन्वेषण क्लबों की स्थापना एक मंच के लिए एक अच्छी शुरूआत है जहां नवीन विचारों का पोषण किया जा सकता है और नये उत्पाद विकसित करने के लिए अन्वेषकों को संरक्षित किया जा सकता है।