नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी आज (26 जून 2015) पुणे में डा. डी.वाई. पाटिल विद्यापीठ के छठे दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य न सिर्फ ज्ञान प्राप्ति है बल्कि एक योग्य मानव शक्ति का निर्माण करता है। वृहद स्तर पर शिक्षा राष्ट्र निर्माण की ओर ले जाती है। सूक्ष्म स्तर पर इसे छात्रों का चरित्र निर्माण करना चाहिए। हमारी शिक्षा का मॉडल न सिर्फ बुद्धि का विकास करता है बल्कि एक सकारात्मक सोच भी विकसित करता है। एक छात्र की क्षमता का विस्तार उसकी सोच के निर्माण के साथ होना चाहिए।
एक सृजनात्मक सोच यदि सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ हो तो इससे समाज में मौजूद कुपोषण, सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं, सस्ती ऊर्जा, पीने के पानी और सफाई जैसी समस्याओं का समाधान निकालने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि शिक्षा को अनुसंधान और अविष्कारों के साथ इस प्रकार जोड़ने की जरूरत है जिससे विश्वविद्यालय विद्या के महान केन्द्र बन सकें। उन्होंने कहा कि शिक्षा ज्ञान का प्रचार करती है जबकि अनुसंधान नई जानकारी पैदा करता है। अविष्कार उस ज्ञान को सम्पति और सामाजिक भलाई में बदलता है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने राज्यसभा सदस्य श्री शरद पवार, लोकसभा सांसद श्री अभिजीत मुखर्जी और राष्ट्रीय रसायन प्रयोगशाला के प्रो. डॉ. रघुनाथ मसेलकर को मानद उपाधि प्रदान की।