देहरादून: उत्तराखंड में बीते हफ्ते से जारी राजनीतिक संकट के बीच रविवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। केंद्र सरकार ने
यह फैसला राज्यपाल केके पॉल की रिपोर्ट के बाद लिया है। सोमवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत को विश्वास मत परीक्षण करना था, इससे पहले ही प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है।
राज्य की हालिया स्थिति के बारे में राज्यपाल के के पॉल से रिपोर्ट मिलने के बाद शनिवार को असम से लौटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाई थी। करीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने समेत केंद्र के सामने उपलब्ध विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया था।
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को कानूनी चुनौती दिए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी को लोकतंत्र में यकीन नहीं हैं।
मंत्रिमंडल अंतिम निर्णय लेने के लिए रविवार को फिर बैठक करेगा। मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन सामने आने के बाद बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलकर उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी।
विधानसभा स्पीकर ने नौ बागी कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया है। इसके बाद विधानसभा का अंकगणित पूरी तरह बदल गया था। स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल के कांग्रेस के उन नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने के फैसले से 70 सदस्यीय विधानसभा में सदस्यों की प्रभावी संख्या 61 रह गई थी। इन नौ विधायकों ने रावत के खिलाफ बगावत की और बीजेपी से हाथ मिला लिया था।