देहरादून: विकास की आवश्यकताओं, राज्य के प्रति केंद्र सरकार के दृष्टिकोण में आए परिवर्तनों व आने वाले समय में सातवें वेतन आयोग से पड़ने वाले सम्भावित व्यय भार को देखते हुए राज्य में रिसोर्स माॅबिलाईजेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। सोमवार को आईएचएम में मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में पाॅलिसी प्लानिंग गु्रप की दूसरी बैठक आयोजित की गई।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य निर्माण के बाद हमारी जीएसडीपी बढ़ी है परंतु इस ग्रोथ को रोजगार से जोड़ना होगा। मानवशक्ति विशेषतौर पर 15 से 35 आयु वर्ग व 35 से 50 वर्ष के आयु वर्ग पर ध्यान देना होगा। प्रदेश में चीनी उद्योग की समीक्षा करने के लिए एक एक्सपर्ट समिति बनाई जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि अब यह लगभग निश्चित हो चुका है कि मध्य हिमालयी राज्यों उत्तराखण्ड व हिमाचल प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं रहेगा और केंद्रीय सहायता भी 9:10 के अनुपात मे नहीं रहेगी, यद्यपि औपचारिक रूप से केंद्र से कोई सूचना नहीे मिली है। अतः अब किसी भी तरह की नीति निर्माण में इस तथ्य को दृष्टिगत रखना होगा। बेहतर वित्तीय प्रबंधन के कारण 14 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों से उत्तराखण्ड व तमिलनाडु को नुकसान हुआ है। इसे केंद्रीय विŸा मंत्रालय द्वारा भी स्वीकार किया गया है। रिसोर्स माॅबिलाईजेशन को राज्य की नीति का स्थाई अंग बनाना होगा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पिछले दो तीन वर्षों में कुछ सुधार किया गया है। फिर भी वाणिज्य कर, आबकारी, बिजली आदि में होने वाली लीकेज को ट्रेप करना होगा। नीति निर्माण में हमें हिमालयी क्षेत्र की जैव विविधता को भी ध्यान में रखना होगा। बड़ी जलविद्युत परियोनाओं पर विवाद को देखते हुए स्थानीय ग्राम पंचायतों की सहभागिता से लघु जल विद्युत परियोजनाओं पर फोकस किया जाए।
गु्रप के संयोजक आईके पांडे ने राज्य निर्माण के बाद राज्य की अर्थव्यवस्था में आए बदलावों पर प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने कहा कि हमें विकास की रणनीति नए तरीके से तैयार करनी होगी। कृषि, वन सहित प्राथमिक क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र व सेवा क्षेत्र के लिए अलग अलग रणनीति बनानी होगी। हालांकि सेवा क्षेत्र का अर्थव्यवस्था में योगदान लगभग 50 प्रतिशत है फिर भी कृषि क्षेत्र को भी फोकस में रखना होगा क्योंकि अब भी जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि, पशुपालन पर निर्भर है। हमारी कर-आय वर्ष 2007-08 में लगभग 4166 करोड़ से बढ़कर 2015-16 के प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार लगभग 15 हजार करोड़ हो गई है। जबकि गैर कर-आय में 2014-15 की तुलना में 2015-16 में केंद्रीय सहायता में कमी आने से गिरावट आने के प्रारम्भिक अनुमान है। हमारा कर-सकल राज्य घरेलू उत्पाद का अनुपात लगभग 6 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि 14 वें वित्त आयोग ने करों में राज्यों के हिस्से को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की संस्तुति की है। परंतु इससे उŸाराखण्ड को प्रति व्यक्ति लाभ केवल 1292 रूपए है जबकि हिमाचल प्रदेश को हमसे लगभग दस गुना 12413 रूपए प्रति व्यक्ति हुआ है। अखिल भारतीय औसत भी हमसे ज्यादा 1715 रूपए है। हमें कुशल व उत्पादक निवेश सुनिश्चित करना होगा। केवल उन्हीं परिसंपत्तियो का निर्माण किया जाए जिनका कोई उत्पादक उपयोग हो।
पाॅलिसी प्लानिंग गु्रप के सदस्य पीएस पांगति ने वनोत्पाद व लघु खनिज को पंचायतों को सौंपने की बात कही। उन्होंने कहा कि इससे इनकी प्रभावी माॅनिटरिंग हो सकेगी और पारदर्शिता भी आएगी। बेहतर वित्तीय प्रबंधन वाली पंचायतों को प्रोत्साहित किया जाए। काशी सिंह ऐरी ने कहा कि विकास के लिए बनाई जाने वाली नीतियों का वर्षवार रोड़मैप बनाया जाए। जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में राज्य का पक्ष मजबूती से रखा जाए। पाॅलिसी प्लानिंग गु्रप के सुझावों पर क्रियान्वयन जल्द से जल्द हो।
पर्यावरणविद चण्डीप्रसाद भट्ट ने कहा केंद्र स्तर पर इस बात को प्रमुखता से रखे जाने की आवरूकता है कि गंगा बेसिन के लिए मध्य हिमालय क्षेत्र का कितना महत्व है। देश का विकास मध्य हिमालय व यहां से निकलने वाली नदियों पर निर्भर है। इस क्षेत्र में जैव विविधता व विकास के प्रति केवल राज्य का ही नहीं बल्कि पूरे देश का दायित्व है। पर्वतीय क्षेत्रों में महिला मंगल दलों या अन्य संस्थाओं के माध्यम से आंवला आदि फलदार वृक्षों का वृहद स्तर पर रोपण किया जाए। पर्वतीय जिलों में वन आधारित उद्योग व औषधीय पादपों को प्रमुखता दी जाए। सरकारी भवन प्री फेब्रिकेटेड बनाए जाएं।
पूर्व कुलपति कुमांऊ विश्वविद्यालय डाॅॅ बी.के.जोशी ने कहा कि सरकारी खर्चों को नियमित किए जाने की आवश्यकता है। हमें नई सोच लेकर प्रशासन की कार्यकुशलता के मानक तय करने होंगे। विनिर्माण क्षेत्र में आई वृद्धि को रोजगार से संबद्ध करना होगा। पूर्व कुलपति गोविन्दबल्लभ पंत विश्वविद्यालय डाॅ. बी.एस.बिष्ट ने कहा कि पर्यटन राज्य की आय का प्रमुख स्त्रोत हो सकता है। परंतु इसके लिए अवरोधों को दूर करना होगा। नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे की कनेक्टीवीटी में सुधार करने के साथ ही नियमित हवाई सेवाएं भी सुनिश्चित करनी होगी। एग्री-हाॅर्टी टूरिज्म पर भी फोकस किया जाए। राज्य के स्थानीय उत्पादों के मूल्य संवर्धन को उच्च प्राथमिकता देनी होगी। यहां के कृषि उत्पादों, सब्जियों व फूलों के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सकता है।