देहरादून: मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की 71 वीं बैठक एक स्थानीय होटल में आयोजित हुई।
मुख्य सचिव ने अपने संबोधन में कहा कि प्रायः देखने में आया है कि बैंकर्स समिति की बैठक तीन माह में होने के कारण विभाग तथा बैंकर्स में संवादहीनता की स्थिति आती हैं, जिसको देखते हुए निर्णय लिया गया है कि लीड बैंक के साथ प्रत्येक माह में विभाग तथा बैंकर्स की समीक्षा बैठक की जाए। उन्होंने कहा कि इन मासिक रिव्यू बैठकों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाती है तथा समस्याओं का समाधान भी किया जाता है। उन्होंने बैंकर्स से इन मासिक रिव्यू बैठकों में सम्पूर्ण जानकारी के साथ प्रतिभाग करने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि विगत मासिक बैठक में कतिपय बैंकर्स की मासिक रिव्यू बैठक में अनुपस्थिति संकेत देती है कि वह इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, जो अनुचित हैं। उन्होंने बैंकर्स द्वारा निरस्त किये जाने वाले ऋण आवेदनों पर निरस्तीकरण का कारण स्पष्ट उल्लेख करने के निर्देश दिए ताकि मासिक बैठकों में बैंकर्स या विभागीय स्तर से हुई कमी को ऐसे आवेदनों को ठीक कराया जा सके। उन्होंने सभी बैंकों से प्राप्त ऋण आवेदनों को बैंकेबिल बनाने में सहयोग देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के डिजिटल भुगतान योजना में बैंकर्स बढ़-चढ़कर प्रतिभाग करें ताकि कोई भी गांव बैंक की सेवा से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि जिला प्रबंधक अल्मोड़ा को Designated Lead Convener के मॉडल के रूप में नामित किया गया हैं। उन्होंने अल्मोड़ा जनपद के सभी स्टेक होल्डर्स, बैंकर्स, सरकारी विभागों से इसे साकार करने के लिए बढ़-चढ़कर योगदान देने के निर्देश दिए। उन्होंने जनपद अल्मोड़ा में संचालित योजनाओं को शत-प्रतिशत डिजिटलाइज्ड करने के निर्देश दिए। उन्होंने योजना की प्रगति को क्रास चेक कराने के भी निर्देश दिए ताकि वास्तविक प्रगति धरातल में दिखाई दे। उन्होंने कम ऋण-जमा अनुपात वाले जनपदों के बैंकर्स को अपने क्षेत्रान्तर्गत कृषि तथा सेवा क्षेत्र में अधिक से अधिक ऋण देकर ऋण-जमा अनुपात बढ़ाने की अपेक्षा की। ज्ञातव्य है कि सबसे कम ऋण-जमा अनुपात अल्मोड़ा 22 प्रतिशत, रूद्रप्रयाग 23 प्रतिशत, पौड़ी 24 प्रतिशत, चम्पावत 27 प्रतिशत तथा बागेश्वर का 28 प्रतिशत है।
सचिव वित्त श्री अमित सिंह नेगी द्वारा समस्त विभागाध्यक्षों से प्रेषित ऋण आवेदनों को ऑनलाईन पोर्टल पर एंट्री सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए, ताकि हर स्तर पर आवेदन पत्रों की प्रगति पर निगरानी संभव हो सके। उन्होंने जी.आई.एस पोर्टल पर अपलोड गांव जिनमें 05 किलोमीटर की परिधि में बैंकिंग की आधारभूत सुविधा नहीं हैं, के संदर्भ में बैंक द्वारा प्रेषित गांव की सूची का पुनः परीक्षण कराने के निर्देश दिए। उन्होंने उद्योग निदेशक को नए क्लस्टर शीघ्र चिन्ह्ति कर सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
मुख्य महाप्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक श्री विजय रंजन ने कहा कि केन्द्रीय सरकार द्वारा एग्रीकल्चर बारोवर स्कीम के अंतर्गत किसानों को वन टाइम सेटलमेंट योजना का लाभ देकर पुनः ऋण देकर कृषि निवेश को बढ़ाया जाए। उन्होंने सभी बैंकर्स से योजना का लाभ काश्तकारों को दिलाने की अपेक्षा की। उन्होंने बैंक नियंत्रकों से प्राप्त ऋण आवेदन को समय-सीमा के अंतर्गत के निस्तारण के निर्देश दिए, ताकि विभिन्न योजनाओं का लाभ समयबद्वता से पात्रों को मिल सके। उन्होंने प्रदेश सरकार से भी बैंक के नॉन परफार्मिंग एसेस्ट की वसूली में सहयोग की अपेक्षा की तथा राज्य के आर्थिक विकास में सभी बैंकर्स की ओर से बढ़ चढ़कर सहयोग देने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर महा प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक, प्रधान कार्यालय नई दिल्ली श्री बरकत अली ने समिति में उपस्थित सभी अधिकारियों एवं बैंकर्स का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि वित्तीय वर्ष 2019-20 के द्वितीय त्रैमास की समाप्ति पर वार्षिक ऋण योजना हेतु निर्धारित रू. 22011.28 करोड़ के सापेक्ष बैंकों द्वारा 10324.15 करोड़ की उपलब्धि दर्ज की गई जो कि 47 प्रतिशत है। उन्होंने इस त्रैमास में कृषि क्षेत्र में वार्षिक लक्ष्य 10385.05 करोड़ के सापेक्ष 3965.28 करोड़ के ऋण वितरित किए गए, जिसे अगले त्रैमास में और बढ़ाने की बैंकर्स से अपेक्षा की। उन्होंने ऋण के लक्ष्य को बढ़ाने के लिए एसबीआई ई मुद्रा पोर्टल के बारे में भी लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने हेतु उद्योग, पर्यटन, शहरी विकास एवं सेवा क्षेत्र के विभागों से प्रचार-प्रसार करने की अपेक्षा की। उन्होंने कहा कि इस योजना में आवेदक को बैंक में आने की जरूरत नहीं हैं। केवल मोबाइल एप के माध्यम से कुछ जानकारियां देकर 50 हजार रूपये का ऋण प्राप्त किया जा सकता है।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक सुनील चावला ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना में प्रगति लाने के निर्देश दिए तथा ऋण जमा अनुपात को बढ़ाने के लिए अभिनव प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, बैंकिंग नेटवर्क एवं वित्तीय साक्षरता में बैंकर्स को अधिकाधिक साक्षरता शिविर आयोजन करने के निर्देश दिये तथा साक्षरता शिविरों हेतु नाबार्ड से भी मदद का आश्वासन दिया।
उप महाप्रबंधक भारतीय रिसर्व बैंक श्रीमती तारिका सिंह ने अपेक्षा की विभिन्न उत्पादों के लिए प्रदेश के विभिन्न स्तरों में क्लस्टर का चयन कर लिया जाए तथा संबंधित डीपीआर बनाकर प्रस्तावित की जाये ताकि क्लस्टर के माध्यम से क्षेत्र के काश्तकारों को योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके। उन्होंने निदेशक उद्योग को नए विकसित होने वाले क्लस्टरों की सूची तैयार करने की अपेक्षा की।
सहायक महाप्रबंधक एस.एल.बी.सी. स्टेट बैंक श्री रमेश पंत द्वारा बैठक का संचालन करते हुए बताया गया कि प्रत्येक माह मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैंकर्स एवं विभाग के साथ बैठक करने से ऋण जमा अनुपात में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना में प्रायः जमीन के भू उपयोग परिवर्तन न होने के कारण ऋण आवेदन निरस्त होने से लक्ष्य प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा इस संबंध में पहल करने से अब योजना में प्रगति आने की संभावना बढ़ गई है। उन्होंने होमस्टे विकास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्टैण्ड अप इंडिया योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए प्रति माह होने वाली बैठक में इनकी अत्यधिक प्रगति के साथ विभागाध्यक्ष को प्रतिभाग करने की अपेक्षा की।
बैठक में सचिव वित्त श्री अमित सिंह नेगी, अपर सचिव पर्यटन श्रीमती सोनिका, अपर सचिव ऊर्जा श्री आलोक शेखर तिवारी, निदेशक उद्योग श्री सुधीर नौटियाल, निबन्धक सहकारी समिति श्री त्रिपाठी, डी.जी.एम एस.बी.आई. श्री बी.एल. सैनी तथा संबंधित विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।