देहरादून: सचिवालय सभागार में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों, संस्थाओं से प्राप्त ग्रोथ सेंटर योजना के प्रस्ताव पर विचार हेतु उच्चाधिकार समिति की बैठक हुई। जिसमें मत्स्य, ऊन विकास बोर्ड, कृषि, जलागम, डेयरी, एमएसएमई, सूचना प्रौद्योगिकी विभागों द्वारा कुल 40 प्रस्तावों का प्रस्तुतीकरण किया गया।
प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र विशेष में चिन्ह्ति आर्थिक गतिविधि स्थानीय उत्पाद एवं सेवाओं को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में स्थापित करने तथा युवाओं का पलायन रोकने के उददेश्य से प्रदेश सरकार द्वारा ग्रोथ सेंटर योजना संचालित है।
समिति के समक्ष विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना की परियोजना निदेशक सुश्री मीना ग्रेवाल ने पौड़ी गढवाल के एकेश्वर विकास खण्ड में अमोठा, सीमार, अल्मोडा के नाली फल्याट, देहरादून के ग्राम थानों, बागेश्वर के शामा (कपकोट), देहरादून के पुनाह पोखरी (चकाराता) तथा टिहरी के दूरस्थ विकासखण्ड जौनपुर के ख्यार्सी एग्रीबिजनेश ग्रोथ सेंटर कुल 07 प्रस्तावों का प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसे समिति द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। ग्रोथ सेंटरों के माध्यम से लगभग आसपास की 07 से 10 ग्राम पंचायतों में स्थानीय फसलों, सब्जियों, मसालों के प्रौसेसिंग, मूल्य संवर्द्धन एवं विपणन तथा औषधीय फल एवं तिलहन, प्रसंस्करण पर परियोजना निदेशक द्वारा विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड विकेन्द्रीकृत जलागम विकास परियोजना फेस 2 के माध्यम से लगभग 18 एग्रीबिजनेश ग्रोथ सेंटर की स्थापना परियोजना क्षेत्र में प्रस्तावित है, जिसमें विश्व बैंक द्वारा सैद्धान्तिक सहमति प्रदान की गई है, तथा भविष्य में ग्रोथ सेंटर के क्रियाकलापों एवं स्वरूप वृद्धि एमएसएमई द्वारा दिये जा रहे वित्त प्रोत्साहन एवं अन्य श्रोतों से की जायेगी।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखण्उ शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड डाॅ.अविनाश आनंद द्वारा ऊन के 10 ग्रोथ सेंटर विकसित करने के लिये 01 करोड 90 लाख की परियोजना का प्रस्तुतीकरण किया गया। योजना में न्यायपंचायत पर प्रस्तावित इन ग्रोथ सेंटर में आसपास के 10 से 15 ग्राम पंचायतों के भेड पालकों द्वारा उत्पादित ऊन को बोर्ड द्वारा मशीन सियरिंग करागर एवं प्राईमरी ग्रेडिंग कराकर संकलन एवं विपणन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जायेगी। तथा बोर्ड द्वारा ऊन का आर्गेनिक सर्टिफिकेशन कराया जायेगा। योजना से 17 हजार परिवार लाभान्वित होंगे। योजना में ऊन के अच्छे उत्पाद तैयार कराकर भेड पालकों को अधिकतम लाभ दिलाया जायेगा। एमएसएमई विभाग द्वारा ऊन आधारित 02 ग्रोथ सेंटर माणा (चमोली) तथा डुंडा (उत्तरकाशी) को स्वीकृति प्रदान की गई। मत्स्य, कृषि, एकीकृत आजीविका सहयोग परियाजना, सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा प्रस्तुत परियोजनाओं को मुख्य सचिव द्वारा आगामी उच्चाधिकार समिति की बैठक में आर्थिक गतिविधियों से जोडते हुए पुनः प्रस्तावित करने के निर्देश दिये गये।
उच्चाधिकार समिति की बैठक के प्रारम्भ में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले विभागों को स्पष्ट निर्देश दिये, कि वे पूर्व से संचालित योजनाओं में स्थापित केन्द्रों को ग्रोथ सेंटर योजना में प्रस्तावित न कर, ऐसे नये ग्रोथ सेंटर प्रस्तावित करें जिनका संबंध आर्थिक गतिविधियों से हो, ताकि युवाओं को अपने निवास में रोजगार के साथ साथ उनका आर्थिक स्तर उन्नयन हो। उन्होंने कहा कि योजना का उददेश्य नई तकनीकि का समावेश, मशीनरी एवं उपकरण डिजाइन, पैकेजिंग व विपणन संबंधी आधारभूत संरचनाओं की उपलब्धता हेतु आवश्यक लिंकेज स्थापित करना है। जिसको ध्यान में रखकर विभाग प्रोजेक्ट प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों हेतु ब्राण्ड का विकास, पैकेजिंग, सामान्य सुविधा केन्द्र, डिजाइन स्टूडियों, इग्जीविशन कम ट्रेड सेन्टर का विकास तथा विपणन सुविधाओं हेतु ई-मार्केटिंग तथा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मेलों में उत्पादकों के उत्पादों का लाभ दिलाना है।