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राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के तहत गोवा में मूल्य निगरानी और संसाधन इकाई (पीएमआरयू) स्थापित

देश-विदेश

भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के औषधि विभाग के तहत राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) की ओर से गोवा में एक मूल्य निगरानी और संसाधन इकाई (पीएमआरयू) की स्थापना की गई है।

एनपीपीए ने गोवा राज्य औषधि नियंत्रण विभाग के सहयोग से 22 अक्टूबर, 2020 को एक मूल्य निगरानी और संसाधन इकाई की स्थापना की है। यह पीएमआरयू राज्य स्तर पर एनपीपीए की पहुंच बढ़ाने के लिए राज्य औषधि नियंत्रक की प्रत्यक्ष देखरेख में कार्य करेगा। पीएमआरयू सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत सोसायटी हैं, जिनके पास स्वयं के मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन / नियम-कायदे हैं। पीएमआरयू के नियंत्रण बोर्ड में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि और अन्य हितधारक शामिल हैं।

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एनपीपीए ने उपभोक्ता जागरूकता, प्रचार और मूल्य निगरानी (सीएपीपीएम) नामक अपनी केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत 15 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों, केरल, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, नगालैंड, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, आंध्र प्रदेश, मिजोरम, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र में पीएमआरयू की स्थापना की है। एनपीपीए की देश के सभी 36 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में पीएमआरयू स्थापित करने की योजना है। योजना के तहत एनपीपीए द्वारा पीएमआरयू के आवर्ती और गैर-आवर्ती दोनों का खर्च वहन किया जाता है।

अब तक एनपीपीए का मुख्यालय दिल्ली में है और राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में पीएमआरयू की स्थापना के साथ ही एनपीपीए राज्य स्तर पर भी पहुंच जाएगा।

पीएमआरयू से क्षेत्रीय स्तर पर दवा सुरक्षा और सामर्थ्य को मजबूत करने की उम्मीद की जाती है। पीएमआरयू का प्राथमिक कार्य दवाओं की कीमतों की निगरानी, ​​दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने में एनपीपीए की सहायता करना है। वे एनपीपीए के सहयोगी के रूप में जमीनी स्तर पर सूचना एकत्रीकरण तंत्र के साथ काम करते हैं। वे एनपीपीए और संबंधित राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के संबंधित राज्य ड्रग नियंत्रकों दोनों को आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे।

एनपीपीए कोविड-19 महामारी के दौरान राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि मेडिकल ऑक्सीजन सहित कोविड प्रोटोकॉल के तहत एचसीक्यू, पेरासिटामोल, टीके, इंसुलिन और दवाओं सहित जीवन रक्षक दवाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करते हुए, एनपीपीए ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि पूरे देश में दवाओं की कोई कमी नहीं हो।

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