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मूल्‍य स्‍थि‍रीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के तहत लगभग 6.95 लाख टन दालों का बफर स्‍टॉक बनाया गया

देश-विदेश

नई दिल्ली: श्री राम विलास पासवान, केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री ने वर्ष 2016 के दौरान अपने मंत्रालय द्वारा की गई पहलों और सुधारों की जानकारी देने के लिए आज प्रेस कान्‍फ्रेंस की। श्री पासवान ने कहा कि उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने वर्ष 2016 के दौरान उल्‍लेखनीय  उपलब्‍धियां हासिल की हैं।

राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) का कार्यान्‍वयन और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के तहत किए गए सुधार

श्री पासवान ने बताया कि भारत सरकार राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 को शीघ्र लागू करने के लिए सभी राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों से लगातार कह रही थी। इन प्रयासों के फलस्‍वरूप इस अधिनियम को अब सभी राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में लागू किया जा रहा है और इसमें उच्‍च सब्सिडी वाले खाद्यान्‍न प्राप्‍त करने के लिए लगभग 80 करोड़ व्‍यक्तियों को कवर किया गया है।

निरंतर प्रयासों से लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में महत्‍वपूर्ण सुधार हुए हैं जिससे इस प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाया गया है और खाद्य सब्सिडी को बेहतर ढंग से लक्षित किया गया है। इसके परिणामस्‍वरूप 100% राशन कार्डों का डिजिटलीकरण कर दिया गया है और 71.13% राशन कार्डों को ‘आधार’ के साथ जोड़ दिया गया है।  29 राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों में खाद्यान्‍नों का ऑनलाइन आवंटन शुरू कर दिया गया है, 19 राज्‍यों/संघ राज्‍यों में आपूर्ति श्रृंखला का कंप्‍यूटरीकरण कर दिया गया है और ‘प्‍वाइंट ऑफ सेल’ मशीनें लगाकर 1,76,834 उचित दर दुकानों (एफपीएस) को स्‍वचलित बना दिया गया है।  6 राज्‍यों ने अपनी सभी उचित दर दुकानों को स्‍वचलित बना दिया है।

लाभार्थियों को खाद्य सब्सिडी का प्रत्‍यक्ष नकद अंतरण 1 सितंबर 2015 से चंडीगढ़ एवं पुडुचेरी में और 1 मार्च 2016 से दादर एवं नगर हवेली (शहरी क्षेत्र) में शुरू कर दिया गया है। इस योजना के तहत कवर होने वाले लाभार्थियों की कुल संख्‍या 9.14 लाख है और प्रति माह 11.98 करोड़ रुपए की निधियां अंतरित की जाती हैं।

किसानों को सहायता

खरीद कार्य : श्री पासवान ने बताया कि खाद्य प्रबंधन का मुख्‍य उद्देश्‍य किसानों से लाभकारी मूल्‍य पर खाद्यान्‍नों की खरीद करना, उपभोक्‍ताओं,विशेष रूप से समाज के कमजोर तबकों को वाजिब मूल्‍यों पर खाद्यान्‍नों का वितरण करना और खाद्य सुरक्षा एवं मूल्‍य स्थिरता के लिए बफर स्‍टॉक को बनाए रखना है। केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम और राज्‍य एजेंसियों के माध्‍यम से धान, मोटे अनाज और गेहूं के लिए मूल्‍य समर्थन देती है। निर्दिष्‍ट केंद्रों पर बिक्री के लिए लाया गया पूरा खाद्यान्‍न जो निर्धारित मानदंडों के अनुरूप होता है, सार्वजनिक खरीद एजेंसियों द्वारा न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद लिया जाता है। इसमें यदि काई बोनस घोषित होता है तो वह भी सम्मिलित किया जाता है। किसानों के पास यह विकल्‍प रहता है कि वे जैसा भी लाभकारी समझें, अपने उत्‍पाद को भारतीय खाद्य निगम/राज्‍य एजेंसियों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर बेचें या खुले बाजार में उसकी बिक्री करें। न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद हर समय खुली रहती है।

रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2016-17 में 229.32 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है।

खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2015-16 (अक्‍टूबर, 2015 – सितंबर, 2016) के लिए चावल के रूप में 342.19 लाख टन धान की खरीद की गई है। खरीफ विपणन सीजन 2016-17 में 13 दिसंबर 2016 तक चावल के रूप में 178.29 लाख टन धान की खरीद की गई है।

भारतीय खाद्य निगम ने मूल्‍य स्थिरीकरण निधि कार्य के तहत बाजार मूल्‍य पर किसानों से दालों की खरीद शुरू की है। भारतीय खाद्य निगम ने वर्तमान खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के दौरान 28 नवंबर 2016 की स्थिति के अनुसार लगभग 22542.85 टन मूंग और 9183.56 टन उड़द की खरीद की है। 

चीनी क्षेत्र

वर्तमान सरकार ने मई 2014 में जब कार्यभार संभाला था तो चीनी क्षेत्र की वित्‍तीय हालत बेहद नाजुक थी। पूर्व के 3 चीनी मौसमों में चीनी के सरप्‍लस उत्‍पादन से कीमतें गिर गई थीं। पूरे देश के उद्योग में तरलता का दबाव था जिससे गन्‍ना मूल्‍य बकाया बहुत बढ़ गया था।   2014-15 चीनी मौसम में अखिल भारतीय स्‍तर पर गन्‍ना मूल्‍य बकाया अपने शिखर पर था, अप्रैल 2015 में यह 22,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए जैसे कि कच्‍ची चीनी निर्यात प्रोत्‍साहन योजना के माध्‍यम से 413 करोड़ रुपए की वित्‍तीय सहायता दी गई, सॉफ्ट लोन योजना के तहत 4305 करोड़ रुपए की वित्‍तीय सहायता दी गई, लाभकारी मूल्‍य निर्धारित करके पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम के तहत एथनॉल की आपूर्ति को सुचारू बनाया गया, कार्यनिष्‍पादन आधारित उत्‍पादन सब्सिडी उपलब्‍ध कराई गई आदि। इन उपायों के कारण 2014-15 चीनी मौसम के लिए किसानों का 99.33% भुगतान किया गया और 2015-16 चीनी मौसम के लिए 98% (उचित एवं लाभकारी मूल्‍य-आधारित) बकाया का भुगतान कर दिया गया है।

स्‍टॉक स्थिति

श्री पासवान ने बताया कि भारतीय खाद्य निगम के केंद्रीय पूल के स्‍टाक में पर्याप्‍त खाद्यान्‍न उपलब्‍ध हैं।  1 दिसंबर 2016 की स्थिति के अनुसार स्‍टॉक 275.55 लाख टन है जिसमें 164.96 लाख टन गेहूं और 110.59 लाख टन चावल है जो सरकारी कल्‍याण योजनाओं और पीडीएस एवं अन्‍य बफर स्‍टॉकिंग की आवश्‍यकताओं से काफी अधिक है।

खाद्यान्‍न प्रबंधन में सुधार

भारतीय खाद्य निगम के गोदामों के कार्यों को ऑनलाइन करने, लीकेज को रोकने और डिपो स्‍तर पर कार्यों को स्‍वचलित बनाने के लिए 17 मार्च 2016 को 27 राज्‍यों में पायलट आधार पर 31 डिपुओं में ‘डिपो ऑनलाइन’ प्रणाली शुरू की गई है। यह प्रणाली 494 डिपुओं में लागू की गई है।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय खाद्य निगम ने ऑनलाइन खरीद प्रबंधन प्रणाली के लिए एक सॉफ्टवेयर (ओपीएमएस) विकसित किया है जिसे खरीफ विपणन सीजन 2016-17 में खरीद के लिए इस्‍तेमाल किया जा रहा है। न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर खरीद के लिए 12 प्रमुख खरीद वाले राज्‍य ओपीएमएस का इस्‍तेमाल कर रहे हैं।  3 अन्‍य राज्‍य भी आंशिक रूप से ओपीएमएस को लागू कर रहे हैं।

राज्‍यों को खाद्यान्‍नों के लिए विकेंद्रीकृत खरीद प्रणाली शुरू करने के लिए प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। वर्तमान में 12 राज्‍य विकेंद्रीकृत खरीद प्रणाली को पूरी तरह अपना रहे हैं।

भारतीय खाद्य निगम की अन्‍य उपलब्धियां

भारतीय खाद्य निगम के सेवारत और सेवानिवृत्‍त कर्मचारियों के लिए डिफाइन्‍ड कंट्रीब्‍यूशन पेंशन स्‍कीम और पोस्‍ट रिटायरमेंट मेडिकल स्‍कीम को लागू किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि एफसीआई द्वारा राज्‍यवार पंचवर्षीय कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं, जिनमें पूर्वी भारत (उत्‍तर प्रदेश, बिहार,झारखंड, पश्‍चिम बंगाल और असम) पर ध्‍यान केंद्रित किया गया है। एफसीआई ने मूल्‍य स्‍थिरीकरण कोष कार्य के तहत बाजार मूल्‍य पर किसानों से दालों की खरीद शुरू कर दी है। भारतीय खाद्य निगम के गोदामों के सभी कार्यों को ऑनलाइन करने, लीकेज को रोकने और डिपो स्‍तर पर कार्यों को स्‍वचलित बनाने के लिए 27 राज्‍यों में 494 डिपुओं में ‘डिपो ऑनलाइन’ प्रणाली क्रियान्‍वित की गई है। किसानों को होने वाले भुगतान को सुविधाजनक बनाने के लिए किए गए निरंतर प्रयासों के फलस्‍वरूप गन्‍ना मूल्‍य बकाया वर्ष 2014-15 के स्‍तर से घटकर 03 दिसंबर, 2016 को 510 करोड़ रुपये रह गया, जो अप्रैल 2015 में 21,837 करोड़ रुपये के शिखर पर पहुंच गया था।

बफर स्‍टॉक, मूल्‍यों की निगरानी और सीधी बिक्री

श्री पासवान ने बताया कि विभाग ने बजट आवंटन का उपयोग करके और एमएमटीसी, नेफेड, एफसीआई, एसएफएसी और एसटीसी के माध्‍यम से ऋण आधार पर मूल्‍य स्‍थरीकरण कोष योजना के तहत लगभग 6.95 लाख टन दालों का बफर स्‍टॉक बनाया है। बफर स्‍टॉक से सब्सिडाइज्‍ड अनमिल्‍ड दालें राज्‍यों और उनकी एजेंसियों को दी जा रही हैं ताकि जनता/उपभोक्‍ताओं को वाजिब मूल्‍यों पर उनका सीधा वितरण किया जाए।  कवरेज को बेहतर बनाने के लिए विभिन्‍न राज्‍यों से 14 नए मूल्‍य सूचना केंद्र बनाए गए हैं।  सीधी बिक्री के संबंध में आदर्श दिशा-निर्देशों के साथ 12 सितंबर 2016 को राज्‍य सरकारों/संघ राज्‍य क्षेत्रों को परामर्श जारी किया गया है। सीधी बिक्री करने वाली कंपनियों से कहा गया कि वे इन दिशा-निर्देशों के अनुपालन में उपभोक्‍ता मामले विभाग में घोषणा प्रस्‍तुत करें। उपभोक्‍ता मामले विभाग ने एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र (आईएनजीआरएएम) पोर्टल लांच किया है ताकि सभी हितधारकों जैसे कि उपभोक्‍ताओं, केंद्रीय और राज्‍य सरकारी एजेंसियों, निजी कंपनियों, विनियामकों को एक ही मंच पर लाया जा सके जिससे कि चरणबद्ध तरीके से इसको लागू किया जा सके।

इस अवसर पर श्री सी.आर. चौधरी, उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्‍य मंत्री, श्री हेम पांडे, सचिव, उपभोक्‍ता मामले और श्रीमती वंदा सरूप, सचिव, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।

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