प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर एक मेगा वर्चुअल शिखर सम्मेलन, रेज़ (आरएआईएसई) 2020 का उद्घाटन किया। रेज़ 2020 विचारों के आदान-प्रदान और स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा और स्मार्ट मोबिलिटी जैसे अन्य क्षेत्रों में सामाजिक परिवर्तन, समावेश और सशक्तिकरण के लिए ए आई का उपयोग करने के लिए एक वैश्विक बैठक है।
प्रधानमंत्री ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजकों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने हमारे कार्य स्थलों में परिवर्तन और सम्पर्क में सुधार किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सामाजिक जिम्मेदारी और एआई के बीच विलय से मानवीय सम्पर्क मज़बूत होगा। उन्होंने कहा कि मानव के साथ ए आई का टीम वर्क पृथ्वी के लिए चमत्कार कर सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत ने ज्ञान और शिक्षा में दुनिया का नेतृत्व किया है और अब भारत दुनिया को डिजिटल रूप से उत्कृष्ट और खुशहाल बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
श्री मोदी ने कहा कि भारत ने अनुभव किया है कि तकनीक पारदर्शिता और सेवा वितरण में सुधार करने में किस तरह से मदद करती है।
प्रधान मंत्री ने जोर देकर कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी विशिष्ट पहचान प्रणाली-आधार के साथ-साथ दुनिया की सबसे नवीन डिजिटल भुगतान प्रणाली – यूपीआई ने वित्तीय सेवाओं सहित डिजिटल सेवाओं तक पहुँच प्रदान करने और गरीबों तथा दबे कुचले लोगो के बैंक खातों में सीधे नकद हस्तांतरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महामारी के दौरान, यह जल्द से जल्द और सबसे कुशल तरीके से, लोगों तक मदद पहुंचाने में सक्षम हुआ है।
प्रधान मंत्री ने भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसका वैश्विक केंद्र बनने की कामना की। उन्होने आशा व्यक्त की कि आने वाले समय में कई और भारतीय इस दिशा में काम करना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य के प्रति दृष्टिकोण – टीम वर्क, विश्वास, सहयोग, जिम्मेदारी और समावेश के मुख्य सिद्धांतों द्वारा संचालित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाया है। यह नीति शिक्षा के प्रमुख भाग के रूप में प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा और कौशल पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि ई-पाठ्यक्रम को विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में भी विकसित किया जाएगा। इस पूरे प्रयास से एआई प्लेटफार्मों की प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) क्षमताओं से लाभ होगा। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 में शुरू किए गए ‘युवाओ के लिये उत्तरदाई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस’ कार्यक्रम के तहत, स्कूलों के 11,000 से अधिक छात्रों ने बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा किया। वे अब अपनी एआई परियोजनाओं का निर्माण कर रहे हैं।
प्रधान मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम डिजिटल बुनियादी ढांचे, डिजिटल सामग्री और क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक ई-शिक्षा इकाई बनाएगा। उन्होंने वर्चुअल लैब और अटल इन्नोवेशन मिशन की स्थापना जैसी उभरती तकनीकों के साथ तालमेल रखने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम समाज की समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित होगा।
श्री मोदी ने उन क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया जिसमें एआई ने एक बड़ी भूमिका निभाई है। इनमें – कृषि, अगली पीढ़ी के लिए शहरी बुनियादी ढांचे का निर्माण, शहरी मुद्दों और समस्याओं का समाधान करना है। शहरी समस्याओं में यातायात की समस्या को को कम करना, सीवेज सिस्टम में सुधार और ऊर्जा ग्रिडों को बनाना, आपदा प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत बनाना जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। उन्होंने एआई का उपयोग करके भाषा की बाधाओं को मूल रूप से समाप्त करना और भाषाओं तथा बोलियों की विविधता को संरक्षित करने का सुझाव दिया। उन्होंने ज्ञान के प्रसार के लिए एआई का उपयोग करने का भी सुझाव दिया।
प्रधान मंत्री ने कहा कि एआई का उपयोग कैसे किया जाता है, यह विश्वास स्थापित करने के लिए एल्गोरिथम पारदर्शिता महत्वपूर्ण है और इसे सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने गैर-सामाजिक तत्वों द्वारा एआई के दुरुपयोग के खिलाफ दुनिया की रक्षा करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि मानवीय रचनात्मकता और मानवीय भावनाएं हमारी सबसे बड़ी ताकत बनी हुई हैं और मशीनों पर हमारी अनूठी बढत हैं। उन्होंने सभी से यह विचार करने का आग्रह किया कि मशीनों पर इस बौद्धिक बढ़त को कैसे बरकरार रखा जा सकता है। उन्होने कहा मानव बुद्धि हमेशा एआई से कुछ कदम आगे रहे, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें यह सोचना चाहिए कि एआई इंसानों को अपनी क्षमता बढ़ाने में कैसे मदद कर सकता है।
प्रधान मंत्री ने कहा कि एआई प्रत्येक व्यक्ति की अद्वितीय क्षमता को विकसित करेगा और उन्हें समाज में अधिक प्रभावी ढंग से योगदान करने के लिए सशक्त बनायेगा। उन्होंने रेज़- 2020 में प्रतिभागियों से विचारों का आदान-प्रदान करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने के लिए एक सामान्य कोर्स का चार्ट बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कामना की कि एक्शन रोडमैप फॉर रिस्पॉन्सिबल एआई men चर्चा से दुनिया भर के लोगों के जीवन और आजीविका को बदलने में मदद करेगा।
सामाजिक अधिकारिता शिखर सम्मेलन के लिए जिम्मेदार आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, रेज में आपका स्वागत है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए यह एक शानदार प्रयास है। आप सभी ने प्रौद्योगिकी और मानव सशक्तिकरण से संबंधित पहलुओं पर उचित तरीके से प्रकाश डाला है। प्रौद्योगिकी ने हमारे कार्य स्थलों को बदल दिया है। इससे सम्पर्क बढ़ाने में मदद मिली है। अनेक बार, प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण चुनौतियों का हल निकालने में हमारी मदद की है। मुझे यकीन है कि सामाजिक जिम्मेदारी और आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के मिलने से यह मानव स्पर्श के साथ आर्टिफिशल इंटेलीजेंस को समृद्ध करेगा।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानवीय बौद्धिक शक्ति के लिए सम्मान की बात है। सोचने की शक्ति ने मनुष्य को उपकरण और तकनीक बनाने में सक्षम बनाया। आज, इन उपकरणों और प्रौद्योगिकियों ने सीखने और सोचने की शक्ति भी हासिल कर ली है! इसमें एक प्रमुख उभरती तकनीक आर्टिफिशल इंटेलीजेंस है। इंसान के साथ आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का टीमवर्क हमारे ग्रह में चमत्कार कर सकता है।
इतिहास के हर कदम पर, ज्ञान और अध्ययन के मामले में भारत ने दुनिया का नेतृत्व किया है। आज आईटी के इस युग में, भारत उत्कृष्ट योगदान दे रहा है। कुछ प्रतिभाशाली तकनीकी विशेषज्ञ भारत के हैं। भारत वैश्विक आईटी सेवा उद्योग के लिए अत्यधिक ताकतवर साबित हुआ है। हम दुनिया को डिजिटल रूप से उत्कृष्ट और खुशहाल बनाए रखेंगे।
भारत में, हमने अनुभव किया है कि प्रौद्योगिकी पारदर्शिता और सेवा वितरण में सुधार करती है। हम दुनिया की सबसे बड़ी विशिष्ट पहचान प्रणाली- आधार का घर है। हमारे पास दुनिया की सबसे नवीन डिजिटल भुगतान प्रणाली-यूपीआई भी है। इसने वित्तीय सेवाओं सहित डिजिटल सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने में सक्षम बनाया है, जैसे गरीबों और उपेक्षित लोगों को सीधे नकद हस्तांतरण। महामारी की स्थिति में, हमने देखा कि कैसे भारत की डिजिटल तत्परता से बहुत मदद मिली। हम जल्द से जल्द और सबसे कुशल तरीके से मदद के साथ लोगों तक पहुंचे। भारत अपने ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का तेजी से विस्तार कर रहा है। इसका उद्देश्य प्रत्येक गांव को हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
अब, हम चाहते हैं कि भारत आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के लिए एक वैश्विक केन्द्र बने। कई भारतीय पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी बहुत कुछ करेंगे। इसके लिए हमारा दृष्टिकोण टीमवर्क, विश्वास, सहयोग, जिम्मेदारी और समावेश: के मुख्य सिद्धांतों द्वारा संचालित है।
भारत ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अपनाया है। यह प्रौद्योगिकी आधारित अध्ययन और शिक्षा के प्रमुख भाग के रूप में कौशल पर केंद्रित है। ई-पाठ्यक्रम विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों में भी विकसित किया जाएगा। इस पूरे प्रयास से आर्टिफिशल इंटेलीजेंस मंचों की प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) क्षमताओं से लाभ होगा। हमने इस वर्ष अप्रैल में युवा कार्यक्रम के लिए जिम्मेदार आर्टिफिशल इंटेलीजेंस की शुरूआत की, इस कार्यक्रम के तहत, स्कूलों के 11000 से अधिक छात्रों ने बुनियादी पाठ्यक्रम पूरा किया। वे अब अपनी आर्टिफिशल इंटेलीजेंस परियोजनाएं तैयार कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शैक्षणिक प्रौद्योगिकी मंच (एनईटीएफ) का गठन किया जा रहा है। यह डिजिटल बुनियादी ढांचे, डिजिटल सामग्री और क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक ई-शिक्षा इकाई का गठन करेगा। शिक्षार्थियों को अनुभव प्रदान करने के लिए वर्चुअल प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है। हमने नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अटल इनोवेशन मिशन भी शुरू किया है। इन कदमों के माध्यम से, हम लोगों के लाभ के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ तालमेल करना चाहते हैं।
मैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में भी बताना चाहूंगा। यह समाज की समस्याओं के समाधान के लिए आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के सही उपयोग के लिए समर्पित होगा। इसे सभी हितधारकों के सहयोग से लागू किया जाएगा। रेज़ इस संबंध में एक सूझ का मंच हो सकता है। मैं आप सभी को इन प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित करता हूं।
कुछ चुनौतियाँ हैं जिन्हें मैं इन सम्मानित श्रोताओं के सामने रखना चाहूँगा। क्या हम अपनी संपत्ति और संसाधनों के इष्टतम प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर सकते हैं? कुछ स्थानों पर, संसाधन निष्क्रिय पड़े हैं। जबकि अन्य जगहों पर संसाधनों की कमी है। क्या हम अधिकतम उपयोग का पता लगाने के लिए उन्हें जोशीले तरीके से दोबारा बांट सकते हैं? क्या हम अपने नागरिकों को उनके दरवाजे पर सेवाओं के सक्रिय और शीघ्र वितरण से प्रसन्न कर सकते हैं?
भविष्य युवाओं का है। और, हर नौजवान मायने रखता है। प्रत्येक बच्चे में अद्वितीय प्रतिभाएं, क्षमताएं और योग्यताएं होती हैं। कई बार, सही व्यक्ति गलत जगह पर पहुंच जाता है।
एक तरीका है जिससे हम उसे बदल सकते हैं। बड़ा होने के दौरान हर बच्चा खुद को कैसे देखता है? क्या माता-पिता, शिक्षक और दोस्त बच्चों का ध्यानपूर्वक निरीक्षण कर सकते हैं? उन्हें बचपन से वयस्कता की शुरुआत तक देखें और, उनका एक रिकॉर्ड रखें। यह एक बच्चे को उसकी सहज प्रतिभा खोजने में मदद करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा। इस तरह की निगरानी युवाओं के लिए प्रभावी मार्गदर्शक हो सकती है। क्या हमारे पास एक ऐसी प्रणाली हो सकती है जो प्रत्येक बच्चे की योग्यता पर एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट देती हो? इससे कई युवाओं के लिए अवसर के द्वार खुलेंगे। इस तरह के मानव संसाधन मानचित्रण का सरकारों और व्यवसायों में लंबे समय तक लाभ होगा।
कृषि, स्वास्थ्य सेवा को सशक्त बनाने, अगली पीढ़ी के शहरी बुनियादी ढांचे के निर्माण और, शहरी मुद्दों के समाधान : जैसे ट्रैफिक जाम को कम करने, सीवेज सिस्टम में सुधार और हमारी ऊर्जा ग्रिड बिछाने में आर्टिफिशल इंटेलीजेंस की बड़ी भूमिका देखता हूं। इसका उपयोग हमारी आपदा प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत बनाने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग जलवायु परिवर्तन की समस्या को हल करने के लिए भी किया जा सकता है।
हमारे ग्रह पर अनेक भाषाएं हैं। भारत में, हमारी कई भाषाएँ और बोलियाँ हैं। इस तरह की विविधता हमें एक बेहतर समाज बनाती है। जैसा कि प्रोफेसर राज रेड्डी ने सुझाव दिया था, क्यों न आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल मूल भाषा अवरोधों को पाटने के लिए किया जाए। आइए सरल और प्रभावी तरीकों के बारे में सोचते हैं कि आर्टिफिशल इंटेलीजेंस दिव्यांग बहनों और भाइयों को कैसे सशक्त बना सकता है।
ज्ञान के बंटवारे के लिए आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल क्यों न किया जाए? ज्ञान, सूचना और कौशल को आसानी से सुलभ बनाने की तरह अधिकार प्रदान करने के रूप में कुछ चीजें हैं।
यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का उपयोग कैसे किया जाए। इस विश्वास को स्थापित करने के लिए एल्गोरिथम (गणित के सवालों को हल करने के नियमों की प्रणाली) पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। साथ ही जवाबदेही भी महत्वपूर्ण है। हमें नॉन स्टेट एक्टर द्वारा आर्टिफिशल इंटेलीजेंस का अस्त्र के रूप में प्रयोग करने के खिलाफ दुनिया की रक्षा करनी चाहिए।
जब हम आर्टिफिशल इंटेलीजेंस की चर्चा करते हैं, तो हमें इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि मनुष्य की रचनात्मकता और उसकी भावनाएं हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। वह मशीनों पर हमारी अद्वितीय सुविधा है। आर्टिफिशल इंटेलीजेंस हमारी बुद्धि और संवेदना के साथ मिले बिना मानव जाति की समस्याओं को हल नहीं कर सकती। हमें यह भी सोचना चाहिए कि हम इस बौद्धिक तीक्ष्णता को मशीनों पर कैसे बनाए रखेंगे? हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम ध्यान रखें ताकि मानव बुद्धिमत्ता आर्टिफिशल इंटेलीजेंस से हमेशा कुछ कदम आगे रहे। हमें यह सोचना चाहिए कि आर्टिफिशल इंटेलीजेंस इंसानों को अपनी क्षमता बढ़ाने में कैसे मदद कर सकती है। मैं एक बार फिर बताना चाहता हूं:- आर्टिफिशल इंटेलीजेंस प्रत्येक व्यक्ति की अद्वितीय क्षमता को सामने लाएगी। यह उन्हें समाज में और अधिक प्रभावी रूप से योगदान करने के लिए सशक्त बनाएगी।
रेज़ 2020 में, हमने दुनिया के प्रमुख हितधारकों के लिए एक वैश्विक मंच बनाया है। आइए हम विचारों का आदान-प्रदान करें और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने के लिए एक सामान्य कार्य प्रणाली की रूपरेखा तैयार करें। यह महत्वपूर्ण है कि हम सभी इसके लिए भागीदार के रूप में मिलकर काम करें। मैं वास्तव में इस वैश्विक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आप सभी के साथ आने के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं इस वैश्विक शिखर सम्मेलन की सफलता की कामना करता हूं। मुझे यकीन है कि अगले चार दिनों में होने वाली चर्चा जिम्मेदार आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के लिए एक्शन रोडमैप बनाने में मदद करेगी। एक रोडमैप जो वास्तव में दुनिया भर में जीवन और आजीविका को बदलने में मदद कर सकता है। आप सभी को मेरी शुभकामनाएं।