नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली में प्रथम राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसा पहली बार है कि दीपावली जैसे उत्सव के अवसर पर देश भर से जनजातीय समूह के लोग दिल्ली में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनजातीय लोगों का जीवन संघर्ष से भरा पड़ा है लेकिन इसके बाद भी जनजातीय लोगों ने सामुदायिक जीवन को आत्मसात किया है और समस्याओं के बावजूद भी प्रसन्नचित रहते हैं। श्री मोदी ने कहा कि जनजातीय महोत्सव राष्ट्रीय राजधानी में जनजातीय समुदाय की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार जनजातीय बस्तियों में कम से कम बाधा पंहुचाने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी जैसे भूमिगत खनन और कोयला गैसीकरण के प्रयोग के लिए प्रतिबद्ध है।प्रधानमंत्री ने ग्रामीण विकास केंद्रों पर ध्यान केन्द्रित करने वाले रूर्बन अभियान के संबंध में जानकारी दी।
कार्यक्रम में केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री श्री जुएल ओराम ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि उनका मंत्रालय देश में जनजातीय लोगों के संपूर्ण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय एकलव्य विद्यालयों और जनजातीय युवाओं के लिए छात्रवृत्ति द्वारा उनकी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। श्री ओराम ने कहा कि वन बंधु कल्याण योजना मंत्रालय की एक ओर महत्वपूर्ण योजना है जो जनजातियों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय जनजातीय द्वारा उत्पादित वन उत्पादों के लिए उचित बाजार प्रदान के लिए भी समान रूप से कार्यरत है।
केंद्रीय पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री अनिल माधव दवे, केंद्रीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री जसवंतसिंह सुमनभाई भाभोर, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री सुदर्शन भगत,केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू और केन्द्रीय इस्पात राज्य मंत्री श्री विष्णु देव साई ने भी समारोह में भागीदारी की। उद्घाटन समारोह में देश भर के विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से आए लगभग 1200 जनजातीय कलाकारों ने परंपरागत वेशभूषा में महोत्सव परेड में भाग लिया।
चार दिवसीय राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव का आयोजन केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा जनजातीय लोगों के बीच एकीकरण करने के भाव को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से किया गया है। महोत्सव में जनजातीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत रूप में प्रदर्शित किया गया है। महोत्सव का उद्देश्य जनजातीय संस्कृति, परंपरा और कौशल को संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करना और इसे लोगों के सामने प्रस्तुत कर जनजातीय समुदाय के लोगों के समेकित विकास की संभावनाओं का प्रयोग करना है। चार दिवसीय महोत्सव के दौरान परंपरागत सामाजिक-आर्थिक पहलूओं पर दस्तावेजों का प्रदर्शन, कला और शिल्पकृति पर प्रदर्शनी, सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल,चित्रकला,परंपरागत चिकित्सा आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव के दौरान जनजातीय लोगों से जुडे विभिन्न अधिनियमों के पहलुओं पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। महोत्सव से जनजातीय विकास को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श हेतु एक मंच प्रदान होगा। इससे जनजातीय उत्पादों जैसे वस्त्र, चित्रकला और शिल्पकृतियों को बाजार मिल सकेगा और आय-सृजन गतिविधियों और जनजातीय आजीविका पर उत्प्रेरक प्रभाव पड़ेगा।
राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव में संगीत और नृत्य के कार्यक्रम, प्रदर्शनी, शिल्पकला का प्रदर्शन, फैशन शो,चर्चा,पुस्तक मेले आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव में कला,संस्कृति ,परंपरागत भोजन का समागम होगा और ये अनुभव और ज्ञान से भरपूर भारत के जनजातीय जीवनशैली का प्रदर्शन करेगा। कार्यशालाओं और प्रदर्शनियों का आयोजन 26 अक्टूबर,2016 से 28 अक्टूबर,2016 तक प्रगति मैदान के हॉल संख्या सात में किया जाएगा। इस दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हंसध्वनि थियेटर में किया जाएगा।
महोत्सव में अरूणाचल प्रदेश,असम, मणिपुर, तेलंगाना, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़,गुजरात, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, झारखंड, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडिसा, राजस्थान, कर्नाटक, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु से लगभग 1600 जनजातीय कलाकार और लगभग 8000 जनजातीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त खेल, कला और संस्कृति,साहित्य,शिक्षण,औषधि आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय जनजातीय व्यक्ति भी महोत्सव में भागीदारी करेंगे