नई दिल्ली: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट कर पिछले दिनों उत्तराखण्ड में भारी बरसात, बादल फटने व भूस्खलन से हुई व्यापक क्षति को देखते हुए 500 करोड़ रूपए की तत्काल सहायता का अनुरोध किया है। संवेदनशील गांवों के सुरक्षित क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार संसाधन उपलब्ध करवाए। मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राज्य में दैवीय आपदा से हुए नुकसान का ब्यौरा देते हुए राज्य को आवश्यक सहायता दिए जाने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि बारिश के वर्तमान सीजन में प्रारम्भिक आंकलन के अनुसार लगभग 1000 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। सितम्बर माह के अंत तक यह नुकसान 1500 करोड़ रूपए तक हो सकता है। सीमित संसाधनों कारण क्षति की यह राशि राज्य की क्षमता से बाहर है। क्षतिग्रस्त योजनाओं के पुनर्निर्माण व संवेदनशील क्षेत्रों में सामान्य स्थिति लाने में केंद्र सरकार का सहयोग आवश्यक है। उन्होंने केंद्र से 500 करोड़ रुपए की तत्काल सहायता दिए जाने का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड में आपदा की दृष्टि से 370 से अधिक संवेदनशील गांव है जो कि लैंडस्लाईड जोन में स्थित हैं। इन संवेदनशील गांवों का सुरक्षित क्षेत्रों में पुनर्वास करने के लिए लगभग 10 हजार करोड़ रूपए की सहायता राशि की जरूरत होगी। एक छोटा पर्वतीय प्रदेश होने के कारण उत्तराखण्ड के सीमित संसाधन हैं। इसलिए भारत सरकार को संसाधन उपलब्ध करवाने होंगे। संवेदनशील गांवों के सुरक्षित क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए बड़ी मात्रा में भूमि की आवश्यकता होगी। उत्तराखण्ड का 70 फीसदी क्षेत्र वनाच्छादित है। गांवों के विस्थापन के लिए सरकारी भूमि उपलब्ध नही है। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि संवेदनशील गांवों के विस्थापन के लिए वन भूमि उपलब्ध करवा दी जाए। इसकी क्षतिपूर्ति करने के लिए विस्थापित किए जाने वाले गांवों की भूमि वन विभाग को हस्तांतरित की जा सकती है। संवेदनशील गांवों का पुनर्वास का काम बहुत ही तकनीकी व जटिल होगा। इसलिए भारत सरकार एक समिति का गठन करे। जिसमें कि आपदा प्रबंधन, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय और राज्य सरकार के संबंधित विभागीय अधिकारी शामिल हों। यह समिति संवेदनशील गांवों के पुनर्वास की समूची प्रक्रिया का निरीक्षण करेगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पिछले वर्षों में मौसम संबंधी बदलावों के कारण उत्तराखण्ड में भारी बरसात, बादल फटने, भूस्खलन की घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। इस वर्ष भी भारी बरसात के कारण राज्य में विशेष तौर पर टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी व चमोली में मानव क्षति के साथ ही सम्पत्ति व इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत नुकसान हुआ है। एनडीआरएफ के सक्रिय सहयोग से राज्य सरकार ने सामान्य स्थिति बहाल करते हुए प्रोएक्टीव उपायों से बहुत सी अमूल्य जानें बचाई हैं। परंतु भारी बरसात का प्रभाव क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है और सड़क, बिजली, पेयजल आपूर्ति, कृषि, वन व अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बहुत नुकसान हुआ है। फसलों व कृषि भूमि की क्षति का आंकलन किया जा रहा है। राज्य सरकार अपने सभी संसाधनों के साथ आपदा राहत कार्यों व पुनर्निर्माण कार्यों में में लगी है। इसमें केंद्र सरकार से भी 500 करोड़ रूपए की तत्काल सहायता की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रावत द्वारा चार धाम यात्रा के लिए आमंत्रित करने पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि चारधाम राजमार्ग के सदृढीकरण संदर्भ में वह बरसात के बाद सितम्बर, अक्टूबर में चार धाम क्षेत्रों का दौरा करेंगे।