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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ के समापन सत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों को सम्बोधित किया

देश-विदेश

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज ‘प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ के समापन सत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों के साथ सम्बोधित किया। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह, केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि इस संगोष्ठी का आयोजन प्राकृतिक खेती के प्रयोग को बढ़ावा देने और इससे होने वाले लाभों की किसानों को ठीक ढंग से जानकारी देने के लिए किया गया है। श्री शाह ने कहा देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी इस संगोष्ठी के प्रेरणा स्रोत हैं। पूरे देश में किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएँ इसलिए उन्होंने ही इस मुहिम को गति देने का निश्चय भी किया है और एक अपील भी की है और इसी का परिणाम है कि देश भर में लाखों किसान आज धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं। इसके लाभों को देखकर अनेकानेक किसान इसके प्रयोग को आगे बढ़ा रहे हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब शायद आजादी के बाद पहली बार देश में जीडीपी में कृषि के योगदान को शाश्वत तरीके से बढ़ाने की एक पहल किसी राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी जी ने की थी। उन्होने कहा कि सालों से कृषि उत्पादन जीडीपी का एक हिस्सा रहा है, मगर कृषि उत्पादन के माध्यम से भी जीडीपी बढ़ सकता है और एक वैज्ञानिक तरीके से कृषि को जीडीपी में बहुत बड़ा कंट्रीब्यूटर बनाया जा सकता है और किसानों की समृद्धि के लिए भी काम किया जा सकता है उसका उदाहरण देश में सबसे पहले जब मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब दिया। कई सालों तक कृषि में 10% विकास दर को बरकरार रखते हुए गुजरात में उसको सफलता दिलाई, अनेकानेक प्रयोग किए। कृषि महोत्सव के माध्यम से एक्सटेंशन की सारी गतिविधियों को किसान तक पहुंचाया, किसान को तहसील के ऑफिस या जिले के ऑफिस में जाने की बजाए तहसील और जिले के ऑफिस गांव में पहुंचे, किसानो को सारे लाभ उसके गांव में बैठकर मिले इस प्रकार के प्रयोग किए।

श्री अमित शाह ने कहा कि श्री नरेंद्र मोदी जी ने माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावा दिया और गुजरात जैसे प्रदेश में इरिगेटेड लैंड को कई गुना माइक्रो इरिगेशन के माध्यम से बढ़ाने का काम किया। पानी उतना ही था परंतु उसका उचित और वैज्ञानिक रूप से उपयोग करके सिंचाई को अनेक गुना बढ़ाया। उन्होने कहा कि 10 साल से ज्यादा समय तक 10 प्रतिशत कृषि विकास दर बनाए रखने का रिकॉर्ड श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में बना। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 2019 से देशभर के किसानों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील की है। उन्होने कहा कि हम जो रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं इससे भूमि की उत्पादकता तो कम होती ही है साथ ही जल संग्रहण की शक्ति भी कम होती है और कृषि उत्पाद के रूप में खाने पीने की चीज़ें मानव शरीर के लिए भी हानिकारक है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने सालों पुरानी हमारी पारंपरिक और प्राकृतिक खेती को पुनर्जीवित करने का एक बहुत बड़ा अभियान शुरु किया है। श्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से देश भर के करोड़ों किसान भाइयों से अपील कर इस मुहिम में शामिल होने का आह्वान किया है। मोदी जी जब कोई आह्वान करते हैं तो वह आह्वान मात्र नहीं होता, बल्कि वे इसके लिए कार्ययोजना बनाते हैं, उसका बारीकी से खुद डिजाइन करते हैं और मॉनिटरिंग करते हैं। इसका इंप्लीमेंटेशन नीचे तक हो इसकी चिंता भी करते हैं और आज का यह कार्यक्रम उसी का एक हिस्सा है। श्री अमित शाह ने कहा कि आचार्य देवव्रत और अन्य बहुत सारे कृषि वैज्ञानिकों ने एक देसी गाय से 30 एकड़ भूमि की प्राकृतिक खेती हो पाए और उसके लिये एक रुपये का खाद या कीटनाशक का भी उपयोग न करना पड़े, इस प्रकार के प्रयोग को आगे बढ़ाया है। इस अभियान से जमीन के जल संग्रहण की शक्ति भी बढ़ेगी, केंचुओं के माध्यम से बनने वाले इस कुदरती खाद से भूमि की उत्पादकता बढ़ती है, खेती पर खर्च भी कम होता है, भू-गर्भ जल संचित होता है और हमें ऑर्गेनिक प्रोडक्ट भी मिलते हैं जो शरीर को हानि नहीं पहुँचाते हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हाल ही में भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना का ऐतिहासिक निर्णय किया है, आजादी के 75 साल तक देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना नहीं की थी। उन्होंने कहा कि मैं देश के करोड़ों किसानों और गांववासियों की ओर से प्रधानमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं कि इन्होंने सहकारिता मंत्रालय स्थापना की पहल की। श्री शाह ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से फाइनेंस और मछली पालन समेत ढेर सारे क्षेत्रों में काम हो रहा है, मगर इसका सबसे ज्यादा उपयोग और सबसे ज्यादा सशक्तिकरण देश के छोटे किसान का होगा। देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिले और ज्यादा से ज्यादा किसान इसे अपनाए इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि उसे ऑर्गेनिक फूड प्रोडक्ट का उचित दाम मिले।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय यह प्रयास कर रहा है कि देशभर के अंदर हम इस प्रकार की लैबोरेट्री का एक जाल बुने जो देश की भूमि का परीक्षण, भूमि में रासायनिक खाद का सर्टिफिकेशन और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का सर्टिफिकेशन भी करेगी, जिससे किसान को ज्यादा भाव मिल सकेगा। उन्होने कहा कि अमूल और कुछ अन्य सहकारी संगठन हमारे इस विचार को आगे बढ़ाने में लगे हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि ऐसी लैबोरेट्री के माध्यम से जब भूमि और उपज दोनों का सर्टिफिकेशन होगा तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके बहुत अच्छे दाम मिलेंगे और प्राकृतिक खेती का बढ़ावा और बल भी मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि इसकी प्राथमिक तैयारियां चल रही हैं और मुझे भरोसा है कि एक साल के अंदर कम से कम दो राज्य में प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले सभी किसानों के लिए हम मार्केटिंग की चैन खड़ी कर पाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री जी की यहां उपस्थिति से प्राकृतिक खेती के इस अभियान को बहुत बल मिलेगा। श्री नरेंद्र मोदी जी के शब्दों पर देश का किसान भरोसा करता है, कई सालों के बाद 2014 से देश की अर्थव्यवस्था में किसान को केंद्र बिंदु बनाने का मोदी जी के नेतृत्व जो प्रयास हुआ है उस पर किसान का भरोसा बढ़ा है।

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