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स्वच्छता ही सेवा अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

देश-विदेश

नई दिल्ली: हर कोने से जुड़े आप सभी स्‍वच्‍छाग्रहियों का हृदय से अभिनंदन करता हूं, आप सबका स्‍वागत करता हूं। आज 15 सितंबर का ये दिन अपने आप में बहुत ऐतिहासिक है। ऐतिहासिक इसलिए क्‍योंकि आज की सुबह एक नया प्रण, एक नया उत्‍साह, एक नया सपना लेकर के आई है। आज आप, मैं सवा सौ करोड़ देशवासी, स्‍वच्‍छता ही सेवा के संकल्‍प को फिर से एक बार दोहराने जा रहे हैं। आज से लेकर 2 अक्‍तूबर यानी पूज्‍य बापू की जंयती तक देश भर में हम सभी नई ऊर्जा के साथ, नए जोश के साथ अपने देश को, अपने भारत को स्‍वच्‍छ बनाने के लिए श्रम दान करेंगे, अपना योगदान देंगे।

दीवाली के समय हम देखते हैं घर कितना ही साफ सुथरा क्‍यों न हुआ हो। लेकिन दीवाली आते हुए पूरा परिवार घर के हर कोने की स्‍वच्‍छता में लग जाता है। वैसे ही हमें भी देश के हर कोने में सफाई का ये स्‍वभाव हर महीना, हर वर्ष बनाते रहना होगा।

चार वर्ष पहले जो अभियान शुरू हुआ, स्‍वच्‍छता का आंदोलन अब एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव पर आ पहुंचा है। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि राष्‍ट्र का हर तबका, हर संप्रदाय, हर जाति, हर उम्र के मेरे साथी इस महाअभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। गांव हो, गली हो, नुकड्ड़ हो, शहर हो कोई भी इस अभियान अछूता नहीं है।

2014 में भारत की स्‍वच्‍छता का कवरेज सिर्फ 40 प्रतिशत था। आज आप सबके पुरुषार्थ और संकल्‍प का परिणाम है कि स्‍वच्‍छता का कवरेज 90 प्रतिशत से अधिक हुआ है। किसने सोचा होगा कि पिछले चार वर्षों में हम स्‍वच्‍छता के कवरेज में उतनी प्रगति कर लेंगे जितनी उससे पहले करीब-करीब 60-65 साल में भी नहीं हो पाई। क्‍या कोई ये सोच सकता था कि भारत में चार वर्षों में करीब 9 करोड़ शौचालयों का निर्माण हो। क्‍या किसी ने ये कल्‍पना की थी कि चार वर्ष में लगभग साढ़े चार लाख गांव खुले में शौच से मुक्‍त हो जाएंगे। क्‍या किसी ने कल्‍पना की थी कि चार वर्षों में 450 से ज्‍यादा जिले खुले में शौच से मुक्‍त हो जाएंगे। क्‍या किसी ने ये कल्‍पना की थी कि चार वर्षों में 20 राज्‍य और केंद्र शासित प्रदेश खुले में शौच से मुक्‍त हो सकते हैं।

ये भारत भारतवासियों की, आप सब स्‍वच्‍छाग्रहियों की ताकत हैं। इस स्‍तर का बदलाव सिर्फ सरकार कभी नहीं ला सकती। बात चाहे health की हो या wealth की हो, स्‍वच्‍छता लोगों के जीवन में सुधार लाने में बहुत बड़ा योगदान दे रही है। World Health Organization, WHO के एक अनुमान के अनुसार तीन लाख लोगों की जिंदगी बचाने में स्‍वच्‍छता की भूमिका होगी और एक स्‍टडी बताती है कि स्‍वच्‍छता से डायरिया के मामलों में 30 प्रतिशत की कमी आएगी।

लेकिन भाईयो और बहनों सिर्फ और सिर्फ शौचालय बनाने भर से भारत तो स्‍वच्‍छ हो जाएगा, ऐसा नहीं है। टायलेट की सुविधा देना, कूड़ेदान की सुविधा देना, कूड़े के निस्‍तारण का प्रबंध करना ये सारी व्‍यवस्‍थाएं एक माध्‍यम है। स्‍वच्‍छता एक आदत है जिसको नित्‍य के अनुभव में शामिल करना पड़ता है। ये स्‍वभाव में परिवर्तन का यज्ञ है। जिसमें देश का जन-जन आप सभी अपनी तरह से सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

मेरा प्रयास है कि स्‍वच्‍छ भारत मिशन से जुड़े आपके अनुभव सुनूं, आपसे कुछ सीखूं और फिर हम सभी मिलकर के श्रमदान करेंगे। आज हमें हिन्‍दुस्‍तान के अलग कोने-कोने में जाने का अवसर मिलेगा। वहां जो प्रयास हो रहे हैं उसकी जानकारी सीधी मिलने का अवसर मिलेगा।

मैं आज फिर एक बार देशवासियों से कहना चाहता हूं देश भर के स्‍वच्‍छाग्रहियों के संकल्‍प और समर्पण को हमनें देखा, सुना, जाना, अनुभव किया, कैसा अभूतपूर्व सहयोग है। देश के बड़े-बड़े गणमान्‍य लोगों के करीब-करीब दो घंटे इस प्रकार से इस कार्य में इस प्रकार से सहभागी होना, उनके अनुभव सुनना, हमें अंदाज आता है कि हिन्‍दुस्‍तान किे हर कोने में किस प्रकार से स्‍वच्‍छता के प्रति सवा सौ करोड़ देशवासियों ने इस आंदोलन को पूरी दूनिया के सामने आज प्रस्‍तुत किया है। दुनिया देख रही है।

भविष्‍य में इस जन-आंदोलन के बारे में जब भी लिखा जाएगा, पढ़ेगा जाएगा तो आप सभी स्‍वच्‍छाग्रहियों का नाम सुनहरे अक्षरों से लिखा जाएगा। जिस प्रकार आजादी के लिए जीवन देने वाले शहीदों को आज आदर और सम्‍मान के साथ देखा जाता है, आपका भी योगदान उसी आदर और सम्‍मान के साथ पूज्‍य बापू के सच्‍चे वारिस के रूप में विश्‍व याद करेगा, ये मेरा विश्‍वास है। क्‍योंकि आप राष्‍ट्र के नव-निर्माण, गरीब, कमजोर का जीवन बचाने और देश की प्रतिष्‍ठा को दुनिया में पुन: स्‍थापित करने वाले एक सेनानी बन गए हैं। सवा सौ करोड़ की शक्ति असीम है, अनंत है, हमारा उत्‍साह उठान पर है। हमारा विश्‍वास चरम पर है और हमारा संकल्‍प सिद्धि के लिए है। आप सभी श्रमदान के लिए तैयार और तत्‍पर है। आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं, मैं अभी आपसे विदा लेता हूं क्‍योंकि मुझे भी आपके साथ कहीं न कहीं श्रमदान के इस काम में जुड़ना हैं।

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