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प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ में मधुमेह का उल्लेख सरकार की चिंताओं को अभिव्यक्त करता है : डॉ. जितेंद्र सिंह

देश-विदेश

नई दिल्लीः आज रेडियो पर प्रसारित प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘’मन की बात’’ में इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम के रूप में मधुमेह के

जिक्र का हवाला देते हुए, पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष केंद्रीय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह उल्‍लेख हमारे देश में तेजी से फैल रही मधुमेह की महामारी को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार की चिंता को दर्शाता है। उन्‍होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा इसका उल्‍लेख न सिर्फ पूरे मधुमेह संबंधी क्षेत्रों और इकाइयों के लिए प्रोत्‍साहन की बात है बल्कि यह मधुमेह से साथ-ही-साथ अन्‍य असंक्रामक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के महत्‍वपूर्ण कार्यभार की जिम्‍मेदारी भी हमें सौंपता है, जो 21वीं शताब्‍दी के भारत के लिए बड़ी चुनौती है।

आज यहां गुर्दा प्रत्यारोपण पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने देशभर में किडनी डायलिसिस इकाइयां स्थापित करने के सरकार के निर्णय की सराहना की, खासकर इस तथ्‍य की रोशनी में कि मधुमेह भारत में गुर्दा की अंतिम चरण की बीमारी में मुख्‍य कारण है। उन्‍होंने बजट में ऐसी इकाइयों की स्थापना की घोषणा करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली का भी धन्यवाद दिया, इससे देशभर के उन हजारों गरीब मरीजों को राहत मिलेगी जो इसका खर्चा वहन नहीं कर पाते।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि समय के साथ भारत में इस बीमारी का स्‍पेक्‍ट्रम भी बदल गया है, अब यह संक्रामक से असंक्रामक बीमारी में बदल गई है। उन्‍होंने कहा कि इसलिए इसके प्रबंधन की चिकित्‍सीय रणनीतियों को भी बदलने की जरूरत है और मुख्य रूप से निवारक पहलू की ओर उन्मुख किया जाना है।

औसत उम्र बढ़ने और बदलती जीवन-शैली के साथ कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है, लेकिन यह भी एक बड़ी चुनौती है कि मधुमेह और हृदयाघात जैसी बीमारियां जो पहले ज्‍यादातर मध्‍यम और अधिक उम्र के लोगों को होते थे, अब युवाओं को भी बहुत ज्‍यादा प्रभावित कर रहे हैं। भारत जैसे देश में जहां 65 फीसदी से ज्‍यादा आबादी 35 वर्ष की उम्र से कम है, और यदि आने वाले वर्षों में हमें विश्‍व शक्ति बनना है, तो हमारे लिए यह जरूरी हो जाता है कि युवाओं के स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े और उसके लिए निवारण मूल मंत्र है।

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