नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 25 जुलाई, 2015 को पटना में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) का शुभारंभ करेंगे। यह योजना ऊर्जा मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिससे 24 घंटे बिजली की आपूर्ति में मदद मिलेगी।
केन्द्र सरकार द्वारा मंजूर डीडीयूजीजेवाई योजना को गुजरात सरकार द्वारा शुरू की गई इसी तरह की योजना से प्रेरणा मिली। इस योजना से ग्रामीण इलाकों में उन सुधारों को शुरू किया जा सकेगा जिनकी लम्बे समय से प्रतीक्षा है। इसमें ग्रामीण इलाकों में सभी स्तरों पर मीटरिंग सहित फीडर सेपरेशन (ग्रामीण परिवार और कृषि) तथा सब-ट्रांसमीशन और वितरण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इससे गांव के घरों में 24 घंटे बिजली प्रदान करने और कृषि उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली देने में मदद मिलेगी। ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए पूर्व की योजना यानी राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) को ग्रामीण विद्युतीकरण घटक के रूप में नई योजना में शामिल कर लिया गया है।
योजना के प्रमुख घटकों में फीडर सेपरेशन, सब-ट्रांसमीशन और वितरण नेटवर्क को मजबूत करना, सभी स्तरों पर मीटरिंग (इनपुट प्वाइंट, फीडरों और वितरण ट्रांसफार्मरों), सूक्ष्म ग्रिड तथा ऑफ ग्रिड वितरण नेटवर्क तथा ग्रामीण विद्युतीकरण शामिल हैं। इन सभी को आरजीजीवीवाई के अंतर्गत पहले ही मंजूरी मिली हुई है और इन्हें पूरा किया जाना है।
परियोजना के कार्यान्वयन के लिए योजना में 76,000 करोड़ रुपये का खर्च रखा गया है जिसमें भारत सरकार 63,000 करोड़ रुपये का अनुदान देगी। कुल 14,680 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है जिनमें से 5,827 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को बिहार राज्य के लिए मंजूर किया गया है।
इस योजना के अंतर्गत कृषि प्रधान राज्य बिहार को फीडर सेपरेशन के कार्यों से लाभ मिलेगा। हजारों किलोमीटर की नई लाइनें बिछाई जाएंगी और सैंकड़ो नए सब-स्टेशन लगाने की योजना बनाई गई है। इस योजना के कार्यान्वयन से कृषि उत्पादकता में सुधार होगा और सभी घरों को बिजली मिल सकेगी।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई)-एक अवलोकन
1. पृ़ष्ठभूमि:
· देश के ग्रामीण कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं (घरेलू और गैर-घरेलू भार) को आमतौर पर स्थानीय वितरण नेटवर्क से सेवाएं मिलती हैं। देश के अनेक ग्रामीण इलाकों को अपर्याप्त बिजली आपूर्ति का सामना करना पड़ रहा है, परिणामस्वरूप जनोपयोगी वितरण सेवाओं को लोड शेडिंग करने के लिए बाध्य होना पड़ता है जिसके कारण कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं के लिए बिजली की आपूर्ति प्रभावित होती है।
· ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ताओं के बदलते आधार, जीवन स्तर में सुधार के कारण बिजली की मांग दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है जिसके लिए ग्रामीण बुनियादी ढांचे में वृद्धि की आवश्यकता है।
· वितरण कम्पनियों की वित्तीय हालत खराब होने के कारण वितरण नेटवर्क में निवेश कम हुआ है। परिणामस्वरूप विश्वसनीयता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आपूर्ति-वितरण नेटवर्क को मजबूत बनाना जरूरी है।
· बिजली वितरण की व्यावसायिक व्यावहारिकता में सुधार के लिए उपभोक्ताओं की सभी श्रेणियों की मीटरिंग करने की जरूरत है।
2. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई)
उपरोक्त समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा मंत्रालय ने निम्नलिखित उद्देश्यों से ग्रामीण इलाकों में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना शुरू की:
i. सभी गांवों का विद्युतीकरण करना
ii. किसानों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध कराने के लिए फीडर सेपरेशन और अन्य उपभोक्ताओं को नियमित आपूर्ति
iii. सब-ट्रांसमीशन और वितरण नेटवर्क में सुधार ताकि आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार लाया जा सके
iv. नुकसान कम करने के लिए मीटरिंग
3. वित्तीय प्रावधान:
· परियोजना के कार्यान्वयन के लिए योजना में 76,000 करोड़ रुपये खर्च रखा गया है जिसमें से भारत सरकार 63,000 करोड़ रुपये का अनुदान देगी।
· कुल 14,680 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है जिसमें से 5827 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की बिहार राज्य के लिए मंजूरी दी गई है।
4. योजना से लाभ:
· सभी गांवों और घरों को बिजली मिलेगी।
· कृषि पैदावार में बढ़ोत्तरी होगी।
· बिजनेस और लघु तथा घरेलू उद्यम बढ़ेंगे जिसके परिणामस्वरूप रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
· स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग (एटीएम) सेवाओं में सुधार।
· रेडियो, टेलीफोन, टेलीविजन, इंटरनेट और मोबाइल आदि तक पहुंच में सुधार।
· बिजली की उपलब्धता के कारण सामाजिक सुरक्षा बेहतर होगी।
· स्कूलों, पंचायतों, अस्पतालों और पुलिस थानों आदि में बिजली की पहुंच।
· ग्रामीण इलाकों के विस्तृत विकास के अधिक अवसर मिलेंगे।