नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण, वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने कहा है कि डिजिटल तथा सूचना युग की चुनौतियों को प्रिंट मीडिया
स्वीकार करे। इंटरनेट की क्रांति और तेजी से बदलने वाली प्रौद्योगिकी ने पूरी दुनिया के प्रिंट मीडिया के सामने अपनी उपस्थिति बनाए रखने और विकास के लिए बड़ी चुनौती पेश कर दी है। बहरहाल भारत एक अपवाद देश है, जहां प्रिंट मीडिया लगातार प्रगति कर रहा है। उसकी मांग लगातार बढ़ रही है और क्षेत्रीय समाचारपत्रों का आधार भी बढ़ रहा है। प्रिंट मीडिया पर 59वीं वार्षिक रिपोर्ट ‘प्रेस इन इंडिया 2014-15’ को आज जारी करते हुए श्री अरुण जेटली ने यह कहा। इस रिपोर्ट को भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक ने तैयार किया है।
श्री जेटली ने कहा कि प्रिंट मीडिया सूचना के प्रवाह पर आधारित होता है जो इलेक्ट्रानिक मीडिया द्वारा किया जाता है। इलेक्ट्रानिक मीडिया की वजह से समाचार और राय के बीच की विभाजक रेखा कमजोर हुई है। इलेक्ट्रानिक मीडिया में होने वाली चर्चाएं और बहसें शोर-शराबे से भरी होती हैं, जबकि प्रिंट मीडिया वस्तुनिष्ठता और समाचार की प्रकृति को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि विभिन्न विचार इसलिए उभरते हैं क्योंकि मीडिया का दायरा बहुत विशाल हो गया है जहां विभिन्न पहलू सामने आते हैं।
मंत्री महोदय ने कहा कि मैगजीन पत्रकारिता को अपने आप को पुनर्भाषित करना होगा क्योंकि पाठको के सामने डिजिटल और सोशल मीडिया का विकल्प बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया के रुझान बताते हैं कि लोकप्रिय पत्रिकाएं ऑनलाइन डिजिटल संस्करण निकाल रही हैं क्योंकि तेजी से बदलती दुनिया में समाचारों तथा प्रौद्योगिकी की प्रकृति भी बदल रही है। अब पाठकों को तुरंत समाचार की आवश्यकता महसूस होने लगी है। अतः इस तरह पत्रिकाओं में उपलब्ध समाचार अतीत की बात हो गये हैं।
विशेष सचिव श्री जे एस माथुर ने अपने संबोधन में प्रकाशन और प्रेस की ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने प्रिंट मीडिया सहित पूरे मीडिया में आए बदलावों की भी चर्चा की।
वार्षिक रिपोर्ट ‘प्रेस इन इंडिया 2014-15’ को पंजीकृत प्रकाशनों द्वारा जारी वार्षिक उल्लेखों और विश्लेषणों के आधार पर तैयार किया गया है। यह वार्षिक उल्लेख हर पंजीकृत प्रकाशन को देना होता है। रिपोर्ट में सर्कुलेशन के आधार पर भारतीय प्रेस के आम रुझानों का विश्लेषण शामिल है।
प्रिंट मीडिया ने पिछले वर्ष की तुलना में 5.80 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की और वर्ष 2014-15 के दौरान कुल 5,817 नए प्रकाशन शुरू हुए तथा 34 प्रकाशन बंद हुए। 31 मार्च, 2015 तक कुल 1,05,443 पंजीकृत प्रकाशनों में से हिंदी में सबसे अधिक समाचारपत्र और पत्रिकाएं हैं। हिंदी में कुल 42,493 प्रकाशन हैं जबकि अंग्रेजी में 13,661 पंजीकृत प्रकाशन हैं। कुल 1,05,443 पंजीकृत प्रकाशनों में 14,984 दैनिक और सप्ताह में दो/ तीन प्रकाशन हैं। इसके अलावा शेष 90,459 प्रकाशन हैं। राज्यवार विश्लेषण बताता है कि 2014-15 के समापन पर उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 16,130 प्रकाशन मौजूद हैं। महाराष्ट्र में 14,394 प्रकाशन और दिल्ली में 12,177 प्रकाशन मौजूद हैं।
सर्कुलेशन के दावे के आधार पर प्रकाशनों की संख्या 2014-15 में 51,05,21,445 रही जबकि 2013-14 में कुल 45,05,86,212 प्रतियां प्रकाशित हुईं। भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय (आरएनआई) द्वारा प्राप्त वार्षिक उल्लेखों के मद्देनजर 2014-15 में इनकी तादाद 23,394 रही जबकि 2013-14 में यह तादाद 19,755 थी। इस तरह इस मद में 18.42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार सर्कुलेशन के आधार पर हिंदी प्रकाशन सबसे आगे रहा और उसने प्रतिदिन 25,77,61,985 प्रतियां छापीं। इसके बाद अंग्रेजी में 6,26,62,670 प्रतियां और उर्दू में 4,12,73,949 प्रतियां छापी गईं।
रिपोर्ट में समाचारपत्रों के स्वामित्व, दैनिक अखबारों का विश्लेषण, भाषावार प्रेस का अध्ययन और पंजीकृत समाचारपत्रों का विश्लेषण भी दिया गया है।
2014-15 में भारतीय प्रेस के मुख्य बिंदु :-
1 | कुल पंजीकृत प्रकाशन
i) समाचारपत्र श्रेणी (दैनिक, सप्ताह में दो/ तीन प्रकाशन) ii) शेष प्रकाशन वर्ग (अन्य पत्र- पत्रिकाएं) |
: | 1,05,443
14,984 90,459 |
2 | 2014-15 में पंजीकृत नए प्रकाशन | : | 5,817 |
3 | 2014-15 के दौरान बंद हुए प्रकाशन | : | 34 |
4 | पिछले वर्ष की तुलना में कुल पंजीकृत प्रकाशनों की वृद्धि का प्रतिशत | : | 5.80% |
5 | किसी भी भारतीय भाषा (हिंदी) में सबसे अधिक प्रकाशन | : | 42,493 |
6 | हिंदी के अतिरिक्त (अंग्रेजी) में दूसरे नम्बर का सर्वाधिक प्रकाशन | : | 13,661 |
7 | राज्य (उत्तर प्रदेश) जहां सबसे अधिक पंजीकृत प्रकाशन की संख्या है | : | 16,130 |
8 | राज्य (महाराष्ट्र) जहां दूसरे नम्बर पर सबसे अधिक पंजीकृत प्रकाशन की संख्या है | : | 14,394 |
9 | प्रकाशनों की संख्या जिन्होंने वार्षिक उल्लेख जारी किए
(इसमें 607 विभिन्न प्रकाशन शामिल हैं) |
: | 23,394
|
10 | 2014-15 के दौरान प्रकाशन के सर्कुलेशन का दावा
i) हिंदी प्रकाशन ii) अंग्रेजी प्रकाशन iii) उर्दू प्रकाशन |
: | 51,05,21,445
25,77,61,985 6,26,62,670 4,12,73,949 |
11 | किसी भी भारतीय भाषा (हिंदी) में वार्षिक उल्लेख जारी करने वाले सबसे अधिक प्रकाशन | : | 12,516 |
12 | किसी भी भारतीय भाषा (अंग्रेजी)में दूसरे नम्बर पर वार्षिक रिपोर्ट जारी करने वाले प्रकाशन | : | 2,219 |
13 | सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला दैनिक “आनंद बाजार पत्रिका”, बंग्ला, कोलकाता | : | 11,78,779 |
14 | दूसरे नम्बर का सबसे अधिक दैनिक “हिंदुस्तान टाइम्स”, अंग्रेजी, दिल्ली | : | 10,18,367 |
15 | सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला हिंदी दैनिक “पंजाब केसरी”, जालंधर | : | 7,42,190 |
16 | सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला बहु-संस्करण दैनिक “द टाइम्स ऑफ इंडिया”, अंग्रेजी (33 संस्करण) | : | 46,30,200 |
17 | दुसरे नम्बर पर सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला बहु- संस्करण दैनिक “दैनिक भास्कर”, हिंदी (34 संस्करण) | : | 36,94,385 |
18 | सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला पत्र- पत्रिका “द संडे टाइम्स ऑफ इंडिया”, अंग्रेजी/साप्ताहिक संस्करण, दिल्ली | : | 8,85,201 |
19 | सबसे अधिक सर्कुलेशन वाला पत्र- पत्रिका “संडे नवभारत टाइम्स”, हिंदी/साप्ताहिक संस्करण, मुम्बई | 7,04,257 | |
20 | i) टाईटल के लिए प्राप्त कुल आवेदन
ii) टाईटल स्वीकृत iii) टाईटल डीब्लॉक्ड |
:
: : |
20,217
13,492 7,819 |