नई दिल्ली: भारतीय राजस्व सेवा के 68वें बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों (सीमाशुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद कर) का एक समूह प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुये राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि चिरकाल से ही कर शासन की आधारशिला रहे हैं। प्राचीन काल में शासकों एवं साम्राज्यों का मूल्यांकन इस आधार पर ही किया जाता था कि उनकी कर प्रणाली किस प्रकार की है।
किसी भी देश की कर प्रणाली न्यायपूर्ण, कुशल, शुचिता पर आधारित और सम्यक होनी चाहिये। एक प्रशासक के रूप में यह भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों का प्राथमिक उत्तरदायित्व है कि वे सुनिश्चित करें कि देश के पास राष्ट्रीय विकास के विविध आयामों को पूरा करने के लिये पर्याप्त कर संसाधन हों चाहे वह ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे का विकास हो या फिर विद्यालयों एवं चिकित्सालयों की स्थापना हो या फिर देश की रक्षा एवं सुरक्षा इत्यादि। उनको अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन इस प्रकार से करना होगा कि ईमानदार करदाता कम से कम असुविधा के साथ कर संबंधी कानूनों का पालन कर सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि 2017 में सरकार ने देश में का अब तक का सबसे बड़ा कर सुधार – वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) – लागू किया। ये भारतीय राजस्व सेवा (सीमाशुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद कर) का ही उत्तरदायित्व था कि इस व्यापक कर सुधार को संपूर्ण राष्ट्र में लागू किया जाये और कर दाताओं को नयी कर प्रणाली के बारे में शिक्षित किया जाये।
यह संतोष का विषय है कि जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू किया गया है जिससे एक प्रगतिशील कर प्रणाली का आरंभ हुआ है जो कि अर्थव्यवस्था एवं ईमानदार करदाताओं के लिये लाभप्रद रहेगी।