लखनऊ: प्रदेश सरकार द्वारा जनपदों में नदी तल में उपलब्ध उपखनिज बालू व मौरम तथा इमारती पत्थर (गिट्टी, बोल्डर) के क्षेत्रों को ई-निविदा, सह-ई-निलामी के माध्यम से परिहार पर स्वीकृत करने की कार्यवाही की जा रही है। इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं।
निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म डा. रोशन जैकब ने यह जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में सम्पन्न हुए ई-निलामी के क्षेत्रों में से अधिकांश क्षेत्रों में अभी भी उपखनिज एवं निकासी का कार्य प्रारम्भ नहीं हो सका है। जिस कारण आम उपभोक्ताओं को उपखनिज की उपलब्धता में कठिनाई हो रही है। साथ ही मूल्य वृद्धि का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभागीय स्तर पर हुई समीक्षा के दौरान पाया गया कि योजना प्रस्तावक द्वारा पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र जमा करने के बाद भी खनन पट्टा अनुबन्ध का निष्पादन नहीं कराया जा रहा है। ऐसे प्रकरणों का संज्ञान लेकर उन्होंने समस्त जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों में प्रस्तावक का लेटर आफ इन्टेन्ट प्राप्त होने के बाद सफल बोलीदाता व निविदादाता द्वारा 25 प्रतिशत प्रतिभूति एवं 25 प्रतिशत प्रथम किश्त अर्थात् पट्टे के प्रथम वर्ष के लिए निर्धारित पट्टा धनराशि का 50 प्रतिशत के समतुल्य धनराशि लेटर आफ इन्टेंट जारी होने के दो कार्यदिवसों के अन्दर जमा नहीं करता है, तो उसके द्वारा जमा अर्नेस्ट मनी जब्त कर ली जाय।
बोलीदाता व निविदादाता द्वारा समस्त औपचारिकताएं पूर्ण करने के पश्चात् भी एक माह के भीतर जिलाधिकारी इस निमित्त अनुमति दे, तो पट्टा विलेख निस्पादन किया जायेगा। यदि उपयुक्त अवधि के भीतर ऐसा पट्टा विलेख बोली बोलने या निविदाकार के किसी चूक के कारण निस्पादित न किया जा सके, तो बोली या निविदा स्वीकार करने का आदेश प्रतिसंहरित हो जायेगा और ऐसी दशा में बोली बोलने वाले या निविदाकार द्वारा जमा की गयी प्रतिभूति राज्य सरकार द्वारा जब्त कर ली जायेगी।
उन्होंने निर्देशित किया है कि ऐसे प्रत्येक मामलों का अपने जनपदों में अनुश्रवण कर लें तथा जिन मामलों में सारी औपचारिकताएं पूर्ण होने के पश्चात् भी निविदाकार व बोलीदाता द्वारा खनन पट्टा विलेख का निष्पादन नहीं कराया जाता। उसे एक माह के अन्दर नोटिस देते हुए निर्धारित तिथि के पश्चात् निविदा स्वीकार करने के आदेश को निरस्त करने के साथ ही ऐसे क्षेत्रों पर तत्काल खनन परिहार पर स्वीकृति करने की अग्रिम कार्यवाही की जाय। ताकि जनपद में खनन क्षेत्र रिक्त न रहने पायें और राजस्व प्राप्ति के साथ-साथ प्रदेश में जनसामान्य को उचित मूल्य पर उपखनिज की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।