लखनऊः उत्तर प्रदेश आॅनलाइन मोटरयान प्रदूषण जांच केन्द्र योजना-2020 के अन्तर्गत वाहनों के प्रदूषण की जांच की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। इस प्रक्रिया के तहत प्रदूषण जांच करने के लिए वाहन स्वामी को निर्धारित शुल्क देय होगा। वाहन स्वामी को यह शुल्क प्रदूषण जांच केन्द्र के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
परिवहन विभाग द्वारा इस संबंध में जारी नियमावली के अनुसार जांच केन्द्र द्वारा गैस एनाॅलाइजर अथवा स्मोक मीटर से वाहन के प्रदूषण स्तर की जांच की जाएगी। यदि माप अधिकतम उत्सर्जन प्रदूषण स्तर पर होगा तो निर्धारित प्रारूप पर प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। इसमें प्रदूषण स्तर की माप का भी उल्लेख होगा। प्रमाण पत्र पर जांच केन्द्र की कोड संख्या भी अंकित की जाएगी और प्राप्त जांच शुल्क का उल्लेख भी किया जाएगा। तदोपरान्त प्रमाण पत्र की प्रति वाहन स्वामी को प्रदान कर दी जाएगी।
निर्धारित प्रक्रिया में यह भी उल्लेख किया गया है कि यदि प्रदूषण का स्तर निर्धारित मानक सीमा से अधिक आता है तो ऐसे वाहन की जांच की निर्धारित फीस ही वसूल की जाएगी और वाहन स्वामी को रिजेक्शन प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। जांच की तारीख के अगले सात दिनों में किसी भी प्रदूषण जांच केन्द्र पर वाहन का प्रदूषण जांच कराया जाना आवश्यक होगा जिसके लिए वाहन स्वामी को पूरा शुल्क देना होगा।
प्रदूषण जांच केन्द्र के परिसर में मोटर वाहनों की पार्किग की समुचित व्यवस्था इस प्रकार की जाएगी कि परिसर के आस-पास सार्वजनिक मार्ग पर यातायात अवरूद्ध ना हो। परिसर के अन्दर वाहनों के प्रदूषण संबंधी जांच क्रमानुसार हो सके। प्रदूषण संबंधी जांच का कार्य जांच केन्द्र के परिसर में ही किया जाएगा। प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्राधिकार पत्र निरस्त अथवा निलंबित करने पर प्रदूषण जांच केन्द्र द्वारा वाहनों की जांच तत्काल बंद कर दी जाएगी।