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प्राकृतिक रेशे को उत्पादन एवं इसके व्यावसयिक उपयोग से संबंधित बैठक की अध्यक्षता करते हुएः मुख्यमंत्री

उत्तराखंड
देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्राकृतिक रेशे को ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिकी से जोड़ने के लिये इसके उत्पादन व विपणन पर विशेष ध्यान देने को कहा है। उन्होंने जी.बी. पंत कृषि विश्वविद्यालय व भरसार औद्यानिकी विश्वविद्यालय के साथ ही आई.आई.टी. दिल्ली के टैक्सटाईल विशेषज्ञों से इस सम्बन्ध में तकनीकि सहयोग लेने पर बल दिया है।

उन्होंने बम्बू बोर्ड को फाईबर सेल गठित करने के साथ ही इसके लिये प्रोसेसिंग व फिनिसिंग सेन्टर स्थापित करने के निर्देश दिये। इसके लिये वाइवलिटी गैप फण्डिंग सरकार द्वारा की जायेगी।
सोमवार को देर रात बीजापुर अतिथि गृह में प्राकृतिक रेशों के उत्पादन एवं इसके व्यवसायिक उपयोग से सम्बन्धित उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि संसाधनों के अभाव में गाँव छोड़ने वालों की मदद के लिये प्राकृतिक रेशा व्यवसाय मददगार हो सकता है इसके लिये प्रभावी पहल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक रेशों से उत्पादित वस्तुओं को क्रय करने के साथ ही इस व्यवसाय को आर्थिकी से जोड़ने में उत्पादकों की पूरी मदद करेगी। उन्होंने कास्तकारों को वित्तीय सहयोग हेतु नाबार्ड के साथ ही काॅपरेटिव व ग्रामीण बैंकों से सस्ती दर पर ऋण देने को कहा, जिसकी गारण्टी राज्य सरकार द्वारा दी जायेगी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस क्षेत्र में कार्य करने वालों को इसके मार्केटिंग कल्चर विकसित करने को कहा। उन्होंने कहा कि हिमालय कण्डाली, औद्योगिक भांग, भीमल, रामबांस, भाबरघास आदि के प्राकृतिक रेशों के उत्पादन वाले क्षेत्रों में फिनिसिंग के ज्यादा से ज्यादा सेंटर खोले जायें। रेशा निकालने की तकनीकि दक्षता विकसित की जाय ताकि कम मेहनत में अधिक रेशा कास्तकारों को मिल सके। उन्होंने जायका व आइफेड से भी इसमें मदद करने को कहा। उन्होंने एम.एस.एम.ई के माध्यम से इसे प्रोत्साहन दिये जाने पर बल देते हुये हिमाद्री के अन्तर्गत इनके उत्पादों की भी मार्केटिंग करने के निर्देश दिये तथा प्राकृतिक रेशे के गढ़वाल व कुमाऊं में अलग अलग कलस्टर विकसित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पादों को बाजार से जोड़कर ही इनके उत्पादन में लोगों को जोड़ने में मदद मिलेगी। प्राकृतिक रेशे से अच्छा से अच्छा क्या-क्या बन सकता है इस पर ध्यान दिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों पर प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगाकर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिल सकता है। एपण की पेंटिंग को सरकारी कार्यालयों में लगाने की भी बात उन्होंने कही।

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