नई दिल्ली: कृषि राज्यमंत्री श्री मोहनभाई कल्याणजीभाई कुंदरिया ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ”राष्ट्रीय सतत् कृषि अभियान (एनएमएसए)” कार्यक्रम की पूंजी निवेश राजसहायता योजना (सीआईएसएस) के अधीन जैविक कचरे से जैविक खाद के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। इस योजना के अधीन राज्य सरकार/सरकारी एजेंसियों को अधिकतम 190 लाख रुपये की सीमा तक शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता दी जाती है और नाबार्ड के माध्यम से व्यक्तियों/निजी एजेंसियों को 33 प्रतिशत की दर से प्रति इकाई अधिकतम 63 लाख रुपये तक वित्तीय सहायता दी जाती है,
क्योंकि 3000 टीपीए उत्पादन क्षमता वाली मशीनीकृत फल/सब्जी विपणन कचरा/कृषि कचरा कम्पोस्ट उत्पादन इकाई स्थापित करने के लिए पूंजीगत निवेश के रूप में सहायता दी जाती है।
सरकार विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से जैविक/जैव उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है, जैसे- राष्ट्रीय सतत् कृषि अभियान (एनएमएसए)/परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई), समन्वित बागवानी विकास अभियान (एमआईडीएच), राष्ट्रीय तिलहन और पाम तेल अभियान (एनएमओओपी), राष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम (एनबीएमएमपी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद जैविक कृषि नेटवर्क परियोजना और राष्ट्रीय कृषिगत जैविक उत्पादन कार्यक्रम और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए)।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय कई योजनाएं कार्यान्वित कर रहा है, जैसे- राष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम, जिसमें रसोई गैस के लिए बायोगैस के उत्पादन के लिए मिश्रण के रूप में गाय के गोबर और रसोई के कचरे आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही राज्य के प्रमुख विभागों/राज्य की प्रमुख एजेंसियों और खादी ग्रामोद्योग आयोग तथा बायोगैस विकास और प्रशिक्षण केंद्र जैसी कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से संवर्धित जैविक खाद के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है।
जैविक/जैव उर्वरकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकारों को सहायता देने की प्रणाली के बारे में विस्तृत विवरण अंग्रेजी की विज्ञप्ति में शामिल सारणी में देखें।