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कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए शून्य-बजट आधारित प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा दिया जाना चाहिए: उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कृषि को सक्षम व सतत प्रक्रिया बनाने के लिए शून्य-बजट आधारित प्राकृतिक कृषि को अपनाने का आग्रह किया। वे आज यहां हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, कृषि विशेषज्ञ श्री सुभाष पालेकर तथा आन्ध्रप्रदेश सरकार के सलाहकार श्री विजय कुमार के साथ बातचीत कर रहे थे। यह बातचीत, किसानों की आय को दोगुना करने तथा कृषि को लाभप्रद व सतत बनाने के राष्ट्रीय परिचर्चा कार्यक्रम का हिस्सा थी।

आचार्य देवव्रत ने उपराष्ट्रपति को किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हिमाचल प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों की जानकारी दी। श्री सुभाष पालेकर और श्री विजय कुमार ने उपराष्ट्रपति को कृषि की उत्पादन लागत कम करने के लिए शून्य-बजट आधारित प्राकृतिक कृषि के बारे में जानकारी दी।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए राष्ट्रीय परिचर्चा में विचार-विमर्श किया जा रहा है। पुणे में आयोजित राष्ट्रीय परिचर्चा में कृषि के विभिन्न आयामों पर विचार-विमर्श किया गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए नवोन्मेषी समाधानों की आवश्यकता है।

किसानों के समक्ष आज अधिकता की समस्या है। कृषि उत्पादों की खरीद से संबंधित व्यवस्था को भी दुरुस्त किया जाना चाहिए। कृषि लागत में बढ़ोतरी हो रही है। उपराष्ट्रपति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया।

उपराष्ट्रपति ने प्राकृतिक कृषि को प्रोत्साहन देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कृषि संकट को कम करने के लिए अन्य राज्यों को हिमाचल प्रदेश के तरीकों को अपनाना चाहिए।

श्री नायडु ने कहा कि कृषि में ऐसे तरीके अपनाने चाहिए जो जलवायु परिवर्तन का सामना कर सकें। कृषि और संबंधित क्षेत्र में बिचौलियो की भूमिका को समाप्त किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति महोदय ने शून्य-बजट प्राकृतिक कृषि पर परिचर्चा के लिए नीति आयोग की सराहना की।

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