लखनऊ: समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि विडंबना है कि जिन्होने कभी गांव-खेत के दर्शन नहीं किए, कांग्रेसी भी अब किसानों का मसीहा बनने का नाटक कर रहे हैं।
पगडंडी और मेड़ पर चलने का जिन्हें अभ्यास नहीं, वे किसानों के हितों के संरक्षक बन रहे हैं। दुर्भाग्य से इस देष में ज्यादातर समय ऐसे लोग सत्ता में रहे जिनका किसानों से, खेती से लगाव नहीं रहा है। भाजपा और कांग्रेस का कभी खेती, गांव-गरीब से रिश्ता नहीं रहा है। इसका परिणाम यह हुआ कि एक सकारात्मक कृषि नीति के अभाव में किसानों को फसल का लाभप्रद मूल्य तो मिला नहीं, सकल घरेलू उत्पादों में कृषि का हिस्सा भी कम होता गया है।
समाजवादी पार्टी और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव बराबर इस बात पर जोर देते आए हैं कि किसान की तरक्की के बिना देश की आर्थिक स्थिति नहीं सुधर सकती है। गांधीजी और चैधरी चरण सिंह किसानों की आवाज उठाते थे जिनका अनुशरण करते हुए श्री मुलायम सिंह यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में बजट का 70 प्रतिशत हिस्सा कृषि के लिए रखा था। प्रदेश में सन् 2012 के चुनावो के बाद बहुमत से बनी समाजवादी सरकार के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा कृषि क्षेत्र के लिए रखा है और वर्ष 2015-16 को “किसान वर्ष“ घोषित किया है। मुख्यमंत्री जी ने कृषि क्षेत्र के लिए तमाम योजनाएं क्रियान्वित की है और कृषि विशेषज्ञों से भी अपेक्षा की है कि वे इस संबंध में जो सुझाव देगें। उन पर विचार होगा।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी सरकार किसानों गरीबों और पिछड़ों की मददगार रहीं है इसलिए जब भाजपा की केन्द्र सरकार ने “स्मार्ट सिटी“ बनाने की बात कहीं तो मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने स्मार्ट विलेज की अवधारणा रखी। उन्होने वैज्ञानिक कृषि की बेहतरी के लिए शोध पर जोर दिया है। इसके साथ सिंचाई की मुफ्त व्यवस्था, खाद, उन्नत बीज, कीटनाशक की उपलब्धता भी सुनिश्चित की है। समाजवादी सरकार ने किसानों की 50 हजार रू0 तक की कर्ज माफी, बंधक जमीन की नीलामी पर रोक, दुर्घटना बीमा, पेंशन की व्यवस्था की है। अभी पिछले मार्च, अप्रैल, 2015 में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से जब फसलों को भारी क्षति पहुॅची तो मुख्यमंत्री जी ने 3446.70करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि किसानों की क्षति पूर्ति में दी। केन्द्र सरकार का रवैया अपेक्षित नहीं रहा है।
श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल में भूमि सेना का गठन कर भूमि सुधार की योजना बनाई थी और इसमें लगे किसानों को स्वामित्व सौंप दिया था। यह योजना अब समाजवादी सरकार में फलफूल रही हैं। गांवो से फसल मंडियों तक सुगमता से आ सके और किसान को उचित मूल्य मिल सके इसके लिए राज्य सरकार ने एग्रीकल्चरल मार्केटिंग हब का निर्माण शुरू किया है। गांवो से नाली निर्माण, सीसी रोड का काम भी हुआ है। लखनऊ सैफई (इटावा) मैनपुरी तथा झाॅसी में किसान बाजार बनाए जाने की योजना गतिमान है। गन्ना किसानों को उन्नत प्रजातियों के बीज उपलब्ध कराने के लिए चीनी मिलो को किसानों के बकाया भुगतान हेतु भी मदद दी गई है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे के लिए भूमि अधिग्रहण में किसानों की सहमति रहीं। किसानों के लाभ के लिए इसके किनारे मण्डी स्थल बनाए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव जानते है कि केवल खेती से ही किसान खुशहाल नहीं होगा इसलिए खाद्य प्रसंस्करण, कामधेनु डेयरी योजना, कुक्कुट एवं मत्स्य पालन पर भी बल दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि और कृषि आधारित व्यवसायों का अंश लगभग 30 प्रतिशत है जबकि प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी इन व्यवसायों पर आजीविका के लिए निर्भर है। मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव गांव-किसान और खेती के विकास को नया आयाम दे रहे है। वे स्वयं कृषक परिवार से होने के कारण किसानों के प्रति संवेदनशील है जबकि विपक्षी नेता सिर्फ किसान यात्रा के नाम पर चहल कदमी और बयानबाजी कर रहे है।