लखनऊः मंत्रिपरिषद ने ‘उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग नीति-2019’ के प्रख्यापन को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह नीति ‘उत्तर प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017’ के पूरक के रूप में तैयार की गयी है। प्रदेश में पहली बार इलेक्ट्रिक वाहन के द्वारा विद्युत आधारित गतिशीलता पर ध्यान केन्द्रित करते हुए नीति बनायी गयी है। यह नीति गजट की तिथि से 05 वर्ष की अवधि तक अथवा उस अवधि तक प्रभावी रहेगी, जब तक कि राज्य सरकार द्वारा इसे संशोधित नहीं किया जाता।
नवीन प्रोद्यौगिकी, उपभोक्ताओं की नयी अपेक्षाओं एवं व्यवसाय के नवीन स्वरूपों (माॅडल्स) के उदय के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग विश्वस्तर पर त्वरित गति से प्रगति कर रहा है।
इलेक्ट्रिक वाहन के बाजार में विश्वस्तर पर विस्तार हो रहा है। जीवाश्म ईंधन की अत्यधिक मांग तथा इसकी उपलब्धता में तेजी से होती हुई कमी के कारण पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर परिवहन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से विद्युत आधारित गतिशीलता (मोबिलिटी) आवश्यक हो गयी है। नवम्बर, 2016 में लागू किये गये पेरिस समझौते के अन्तर्गत भूमण्डलीय तापक्रम में वृद्धि (ग्लोबल वाॅर्मिंग) तथा जलवायु परिवर्तन के खतरे को नियंत्रित करने हेतु काॅर्बन डाई आॅक्साइड उत्सर्जन को सीमित करने के प्राविधान किये गये हैं। मोटर वाहन उद्योग के विद्युतीकरण का लक्ष्य परिवहन प्रणाली को डीकार्बाेनाइज करने के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना है।
भारतीय आॅटो मोबाइल उद्योग विश्व में वृहद स्तर पर विकास कर रहे उद्योगों में से एक है तथा ऐसी आशा है कि इस सेक्टर के कारण विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) क्षेत्र को गति मिलेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी। वर्तमान में चूंकि आॅटो मोबाइल उद्योग अधिकांशतः प्रदूषण में वृद्धि करता है। प्रदूषण को कम करने तथा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने यह नीति प्रख्यापित की है।