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पीएसएलवी-सी 35 ने एक ही उड़ान में दो अलग अलग कक्षाओं में आठ उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: अपनी सैतीसवीं उड़ान में (पीएसएलवी-सी35) में इसरो के पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र एसएचएआर, श्रीहरिकोटा से आज प्रात: सात सहयात्री उपग्रहों के साथ 371 किलो के स्‍काटसेट -1, उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह पीएसएलवी का लगातार 36वां सफल मिशन है। पीएसएलवी-सी35 के द्वारा ले जाए गए सभी आठ उपग्रहों का कुल वजन 675 किलोग्राम था। पीएसएलवी-सी35 दो अलग अलग कक्षाओं में ऑन बोर्ड ले जाए गए उपग्रहों का प्रक्षेपण करने वाला पहला पीएसएलवी मिशन है। यह मिशन आज तक आयोजित सभी पीएसएलवी मिशनों में सबसे लंबा था और लिफ्ट ऑफ के बाद इसे पूरा करने में 2 घंटे 15 मिनट और 33 सेकंड का समय लगा।

पीएसएलवी-सी35 भारतीय समय के अनुसार 0912 बजे (9:12बजे प्रात:) लिफ्ट ऑफ के बाद पहले चरण के दहन के बाद तद्वर्ती महत्‍वपूर्ण उड़ान घटनाओं में स्‍ट्रेप ऑन दहन ऑल विलगन, पहले चरण का विलगन, दूसरे चरण का दहन, पेलोड फेयरिंग विलगन, दूसरे चरण का विलगन, तीसरे चरण का दहन और विलगन, चौथे चरण का दहन और कटऑफ शामिल है, जो योजना के अनुसार हुए हैं। 16 मिनट 56 सेकंड की उड़ान के बाद, वाहन ने 724 किमी पोलरसन सिनक्रोनस कक्ष को प्राप्‍त किया और भूमध्‍य रेखा की ओर 98.1 डिग्री के कोण पर झुका इसके 37 सैकिंड के बाद प्राथमिक उपग्रह स्‍केटसेट -1 पीएसएलवी चौथे चरण से अलग हो गया। स्‍केटसेट -1 उपग्रह द्वारा भेजे गए डेटा हवा वेक्टर उत्पादों के सृजन के माध्‍यम के साथ-साथ चक्रवात का पता लगाने और ट्रैकिंग के साथ-साथ उपभोक्‍ता समुदायों को मौसम की भविष्यवाणी सेवाएं उपलब्ध कराने मदद करेंगे।

स्‍केटसेट -1 के सफल विलगन के बाद, पीएसएलवी-सी35 मिशन जारी है। सात सह-यात्री उपग्रहों को ले जाते हुए पीएसएलवी का चौथा चरण दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र के ऊपर हुआ और इसके बाद यह उत्तरी गोलार्द्ध की तरफ बढ़ता हुआ चला गया। स्‍केटसेट -1 और पीएसएलवी-सी35 की कक्षाओं के मध्‍य चौथे चरण के दौरान सुरक्षित दूरी बनाई रखी गई।

लिफ्ट ऑफ के एक घंटे 22 मिनट 38 सैकिंड बाद जैसे ही उतरी ध्रुवीय क्षेत्र में चौथा चरा हुआ तो पीएसएलवी चौथे चरण के दो इंजन फिर से प्रज्‍जवलित हुए इसके कारण यह पृथ्‍वी के एक ओर 725 किमी और दूसरी ओर 670 किमी दीर्घवृत्ताकार कक्षा में प्रविष्‍ट हुआ।

50 मिनट बाद जैसे ही पीएसएलवी का चौथा चरण फिर से दक्षिण ध्रुव के पास पहुंचा इसके इंजन पर 20 सेकंड के लिए फायर किया गया। इस दूसरी फायरिंग ने चौथे चरण भूमध्य रेखा की ओर 98.2 डिग्री के कोण पर झुके 669 किमी ऊंचाई के वृताकार कक्ष में प्रवेश करने में मदद की।

37 सेकंड बाद पीएसएलवी-सी35 के चौथे चरण से सफलतापूर्वक अलग हो गया। इसके 30 सेकंड के बाद एलसेट-1 सफलतापूर्वक अलग होने वाला पहला सहयात्री उपग्रह था। उसके बाद एनएलएस -19, प्रथम, पीसेट, एलसेट-1 बी, एलसेट-2 बी, और पाथ फाइंडर-1 पीएसएलवी चौथे चरण से सफलतापूर्वक अलग हुए। पीएसएलवी-सी35 मिशन द्वारा ले जाए गए सात सहयात्री उपग्रहों में दो प्रथम का वजन दस किलो प्रतिसेट का वजन 5.25 किलोग्राम का वजन था। शेष पांच सहयात्री उपग्रह में अलजीरिया के तीन, कनाडा का एक और अमेरिका का एक अंतरराष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता उपग्रह थे। आज के इस प्रक्षेपण से पीएसएलवी की दो विभिन्‍न कक्षाओं में सफलतापूर्वक उपग्रह प्रक्षेपण की क्षमता का प्रदर्शन हुआ है। भारतीय वर्कहार्स प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी द्वारा प्रक्षेपित उपग्रहों की कुल संख्‍या बढ़कर 121 हो गई है, जिसमें से 42 भारतीय और शेष 79 विदेशी हैं।

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