देहरादून: मुख्यमंत्री हरीश रावत ने विलुप्त हो रही नदियों को पुनर्जीवित करने के लिये जल समेट क्षेत्रों के विकास पर ध्यान देने पर बल दिया है। जल संचय से ही हम नदियों को बचाने में सफल हो सकेंगे। इसके लिय उन्होंने समेकित प्रयासों की जरूरत बतायी।
मेड (मेकिंग ए डिफरेस वाई बीइग द डिफरेंस) संस्था द्वारा कैन्ट रोड़ स्थित मुख्यमंत्री आवास के जनता मिलन हाल में आयोजित ‘‘पर्यावरण मन्थन’’ कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित रखने से ही हम अपने जीवन को सुरक्षित रख पायेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड पहला राज्य है जो पेड़ लगाने पर प्रति पेड़ ग्रीन बोनस दे रहा है। चौड़ी पत्ति वाले पेड़ लोगों की आजीविका से जोड़ेने व जंगलों को बचाने का भी कार्य करेंगे। अच्छी शुरूआत का फायदा सबको होता है, जरूरत इस शुरूआत को आगे बढ़ाने की है। जल संवर्द्धन के लिये तालाबों को पुनजीर्वित किया जा रहा है। 60 प्रतिशत तालाबों को हम बेहतर स्थिति में लाने में सफल रहे हैं। चाल खालों को भी पुनर्जीवित करने के प्रयास जारी है। बड़ी संख्या में मध्यम दर्जे के जलाशय बनाकर उनमें वर्षा जल संग्रहण का कार्य किया जा रहा है, जो सूख रही नदियों को बचाने में मददगार होंगे। उन्होंने कहा कि हमे प्रत्येक जल समेट क्षेत्र के विकास के लिये आगे आना होगा। जंगलों में छोटे-छोटे तालाब बनाने होंगे। पिरूल का उपयोग जंगलों में पानी को रोकने में किया जाना होगा। पानी से जुड़े विभागों को भी इसमें आगे आना चाहिए। पानी एकत्र करने वालों को भी राज्य सरकार ने बोनस देने की व्यवस्था की है। गांवों में खेती न होने से पानी का ठहराव बन्द हो गया है। इसके लिये प्रयास किया जा रहा है कि खेतों की जुताई जरूर हो ताकि पानी यहां रूके, इससे जल श्रोत विकसित होंगे। हमारा ग्रीन कवर जितना बढेगा उतना ही हम देश को प्रभावित कर सकते है। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में रोड़ कटिंग के लिये नयी तकनीकि अपनाने की भी जरूरत बतायी।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि नदियों की ड्रेजिंग न होने से उसका फैलाव बढ़ रहा है। इससे 0.04 प्रतिशत जमीन को नदी समाप्त कर रही है। इस पर भी सभी को मनन करना चाहिए। उन्होंने मेड़ संस्था के सदस्यों द्वारा सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर कार्य करने के साथ ही अपने तरीके से लोगों के नजरिये में परिवर्तन लाने के प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर पूर्व विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता तथा जल संचय के लिये परम्परागत अनुभवों का लाभ लेने की बात कही। मेड संस्था के अध्यक्ष अभिजय नेगी संस्था द्वारा संचालित कार्यक्रमों की जानकारी दी।