मकर संक्रांति पर्व पर धर्मनगरी में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मोक्षदायनी गंगा में पुण्य की डुबकी लगाई। इस दौरान उन्होंने सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया। हरकी पैड़ी, वीआइपी घाट, कुशावर्त घाट, बिरला घाट सहित अन्य घाटों पर स्नान, दान व तर्पण का सिलसिला पुण्यकाल के समय से जारी रहा। सबसे अधिक भीड़ हरकी पैड़ी व बिरला घाट पर लगी रही। गंगा के किनारे स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने खिचड़ी का वितरण किया गया। उधर, उत्तरकाशी में मकर संक्रांति पर्व पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मोक्षदायनी गंगा (भागीरथी) में पुण्य की डुबकी लगाई।
मकर सक्रांति (मकरैंण) पर इस बार वर्षों बाद सर्वार्थ सिद्धि व अमृत सिद्धि योग बना है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह योग सभी 12 राशि वालों के लिए विशेष फलदायी है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने (उत्तरायण होने) के साथ ही मलमास खत्म हो जाएगा। और…इसी के साथ ही शुरू हो जाएंगे गृह प्रवेश, विवाह आदि मांगलिक कार्य।
ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. सुशांतराज ने बताया कि स्थानीय पंचांग गणना के अनुसार 14 जनवरी को दोपहर 1.55 बजे सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि, पुण्य काल पूरे दिन का है। ब्रह्म मुहूर्त से लेकर शाम तक आप स्नान-दान जैसे पुण्य कार्य कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस पर्व पर अन्नदान, खासकर उड़द की खिचड़ी का विशेष महत्व है। इसलिए इसे खिचड़ी संग्रांद भी कहते हैं। खरीदारी के लिए भी यह दिन शुभ माना गया है। मकर सक्रांति से सूर्य की गति उत्तर की ओर हो जाती है। इसे अच्छे दिनों की शुरूआत होना माना जाता है।
कविन्द्र पयाल
ब्यूरो चीफ उत्तराखण्ड