नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने चिकित्सा के क्षेत्र में स्नातक कर रहे चिकित्सकों से कहा कि गुणवत्ता और करुणा, नैतिकता और इक्विटी चिकित्सकों के लिए जीवन के मार्गदर्शन सिद्धांत होने चाहिए। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने पुद्दुचेरी में जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर) के 9वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। जेआईपीएमईआर चिकित्सा शिक्षा और रोगी देखभाल में उत्कृष्टता का एक 200 वर्ष पुराना केंद्र है और भारत के शीर्ष पांच मेडिकल कॉलेजों में से एक है।
उपराष्ट्रपति ने संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्थान एक ऐसे अस्पताल का प्रबंधन भी करता है, जो सबसे गरीब श्रेणी के लोगों को 90 प्रतिशत चिकित्सा उपचार नि:शुल्क उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि देश का यह छठा सबसे बेहतर अस्पताल है जो न सिर्फ इस क्षेत्र के गरीब लोगों के लिए बल्कि पड़ोसी राज्यों के लिए भी एक बड़ा वरदान साबित होगा। उपराष्ट्रपति ने संस्थान को टेली-मेडिसिन और टेलीकॉन्फरेंसिंग सेवाओं के क्षेत्र में बड़ी संख्या में नवाचारों के प्रोत्साहन देने के लिए भी बधाई दी। यह संस्थान भारत और बिम्सटेक देशों के लगभग सभी मेडिकल कॉलेजों को भी जोड़ता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीआईपीएमईआर को शिक्षा, रोगी उन्मुख अनुसंधान और सेवा उत्कृष्टता में नवाचारों के माध्यम से भारत में स्वास्थ्य प्रणालियों के लिए एक रोलमॉडल बनना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने क्षेत्रीय कैंसर केंद्र के द्वारा कैंसर के इलाज हेतु दी गई उत्कृष्ट सेवा की भी सराहना की, जिसके तहत अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण और त्वरित आर्क हाई टेक्नोलॉजी जैसे महंगे उपचारों को पूरी तरह से नि:शुल्क प्रदान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने सभी नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल सहित देश में बुनियादी सेवाओं के विस्तार पर भी अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सक्रिय सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से इस क्षेत्र की प्रगति में तेजी लाने में सहायता मिल सकती है। उपराष्ट्रपति ने स्नातकों को स्मरण दिलाया कि उन्हें देश की विशाल और विविध आबादी की स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों को देखते हुए सस्ती और गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने स्नातक छात्रों, संकाय और संस्थान को अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जेआईपीएमईआर जैसे महान संस्थान के नेतृत्व में युवा चिकित्सकों के पास मानव जीवन को बदलने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल उपलब्ध है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मरीजों के इलाज के लिए उन्हें हमेशा एक मुस्कुराहट और करूणा के भाव के साथ तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि चिकित्सक एक हताश व्यक्ति में भी आशा की किरण जगा सकते हैं।
इस अवसर पर पुद्दुचेरी की उपराज्यपाल डॉ किरण बेदी, पुद्दुचेरी के मुख्यमंत्री श्री वी नारायणसामी, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री, श्री जे पी नड्डा, पुद्दुचेरी के स्वास्थ्य मंत्री श्री मल्लादी कृष्ण राव, पुद्दुचेरी विधान सभा में विपक्ष के नेता, श्री एन रंगसामी, चिकित्सक, चिकित्सा छात्र और उनके माता-पिता भी उपस्थित थे।