नई दिल्ली: आज के इस रबी अभियान 2016-17 से सम्बंधित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन के अवसर पर मंच पर विराजमान।
1. आदरणीय श्री राधामोहन सिंह जी, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार
2. आदरणीय श्री पुरुषोत्तम रुपाला जी, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, भारत सरकार
3. श्री देवेंद्र चौधरी जी, सचिव, पुशपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार
4. श्री एस०के० पटनायक जी, सचिव, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
5. श्री त्रिलोचन महापात्रा जी, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, भारत सरकार
6. राज्यों से आये वरिष्ठ अधिकारी गण
7. मीडिया के मित्र बधुओं
8. उपस्थित सभी सम्मानित गण
मित्रों,
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की केंद्र बिंदु एवं भारतीय जीवन की धुरी है। हमारे आर्थिक जीवन का आधार, रोजगार का प्रमुख स्त्रोत, तथा यहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक ढांचे एवं स्वरुप की, कृषि आज भी आधारशिला बनी हुई है।
हमारे देश में रबी की फसल बुवाई का समय आने ही वाला है और आज हम यहाँ इससे सम्बंधित विषयों पर चर्चा के लिए एकत्रित हुए है। किसान का विकास एवं सम्पन्नता, कृषि उत्पादन वृद्धि के अतिरिक्त उत्पादित उपज के उचित मूल्य प्राप्ति पर भी निर्भर है। सरकार से मिलने वाली सब्सिडी तथा लाभों को प्राप्त करने में भी उसे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसके लिए हमारी सरकार ने जन धन योजना तथा प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डी०बी०टी०) योजना के माध्यम से प्रत्येक लाभार्थी को सीधे उसके बैंक खाते में राशि को हस्तांतरण का प्रावधान किया है जिसमें गवर्नमेंट टू पीपल (जी०टू०पी०) का संबध स्थापित होता है। वर्तमान में पूरे देश में लगभग 66 केन्द्रीय योजनायें इसके माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है और मार्च 2017 तक सभी कल्याणकारी एवं सब्सिडी आधारित योजनाओं को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य है।
इसी क्रम में जमाखोरी को रोकने, बिचौलियों की समाप्ति, पारदर्शिता तथा कृषि उत्पाद का उचित मूल्य के लिए हमारी सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार पोर्टल अर्थात ई-मंडी की शुरुआत की। जिसका शुभारम्भ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 14 अप्रैल, 2016 को इसी विज्ञान भवन में किया था। इससे किसानों के अतिरिक्त थोक कारोबारियों और उपभोक्ताओं को भी उचित मूल्य पर गुणवत्तापरक माल प्राप्त होगा। सरकार ने मार्च 2018 तक देश भर की कुल 585 थोक कृषि उपज मंडियों को ई-मंडी से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
हमारे देश में कभी-कभी बाढ़, सूखा, कीटों की मार से फसल बर्बाद होने से किसानों को खासा आर्थिक नुकसान होता है। और ज्यादातर छोटे और मझोले किसान कर्ज के कुचक्र में फँस जाते है। ऐसे में किफायती ऋण और बीमा की सुविधा उनके लिए सुरक्षा कवच का काम करती है।
इसलिए हमारी सरकार ने किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं में फसल हानि की क्षतिपूर्ति के लिए किसान भाइयों को बहुत ही कम प्रीमियम दर पर पूर्ण बीमित राशि प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की भी शुरुआत की है। इसमें पहले से चल रही योजनाओं में लागू कैंपिंग प्रावधान को हटा दिया गया है तथा इसमें प्रोद्योगिकी के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया है। दावा भुगतान में होने वाली देरी को कम करने के लिए फसल काटने के डेटा को एकत्रित एवं अपलोड करने हेतु स्मार्टफोन, रिमोट सेंसिंग, ड्रोन और जी०पी०एस० तकनीक का भी इस्तेमाल किया जायेगा। इससे किसानों के नुकसान की भरपाई कर उनकी आय को स्थायित्व देने तथा किसानों को नवाचार एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
1960 के दशक में हरित क्रांति के दौर में किसानों ने उच्च उत्पादन क्षमता वाले बीजों, रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों और मशीनों का उपयोग करके प्रगति का तीव्र गति का जो रास्ता अपनाया था अब उसके कुछ नकारात्मक परिणाम सामने आने लगे है। जैसे हमारी कृषि में विविधीकरण का अभाव, कृषि की पारंपरिक व्यवस्था का ह्रास, पर्यावरण और जैव विविधता को खतरा, पारस्थिकीय असंतुलन तथा मिटटी की उर्वरता में कमी जैसी समस्याएँ पैदा हो गयी है। देश में भरपूर कृषि उत्पादन होते हुए भी हम आज अपनी दलहन की आवश्यकता को पूरी करने में असमर्थ दिखायी देते है।
इन सबके निदान एवं कृषि में सतत विकास हेतु हमारी सरकार लगातार प्रयत्नशील है। “स्वस्थ धरा खेत हरा” के घोष वाक्य के साथ सोएल हेल्थ कार्ड योजना का शुभारम्भ किया गया है। “हर खेत को पानी” जैसे संकल्प को लेकरमोर क्रॉप पर ड्राप पर आधारित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गयी है। हमारे हिमालयी तथा उत्तर पूर्व के राज्यों में खाद्यान उत्पादन के लिए अधिक उपयुक्तता न होने के कारण बागबानी की फसलें, फल, सब्जी, मसाले, फूल एवं औषधीय पौधों की खेती को बढ़ाने हेतु उचित कदम उठाये जा रहे है। आज हम फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में विश्व में दूसरे स्थान पर आते है। पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, सिक्किम राज्य इसका एक सफल उदाहरण है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूर्वोत्तर भारत को पूर्ण जैविक कृषि संपन्न क्षेत्र बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये की योजना को भी मंजूरी दी है। इसके साथ ही कृषि आधारित उद्योग जैसे पशुपालन, पोलट्री, डेरी, मत्स्य पालन जैसे उद्योगों को बढ़ावा देकर उत्तर पूर्व के राज्यों सहित पूरे देश में खाद्य सुरक्षा, रोजगार की कमी एवं गरीबी का समाधान किया जा सकता है।
इस वर्ष अच्छी वर्षा होने के कारण हमारे यहाँ रबी, दलहन और तिलहन के उत्पादन में भी औसत से अधिक वृद्धि होने की संभावना है।
अंत में आशा करता हूँ कि केंद्र तथा राज्य सरकारें मिलकर ऐसे सम्मिलित प्रयास करेंगी जिससे किसान भाइयों की समस्याओं का समाधान कर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर उनके जीवन को खुशहाल बनाया जा सकेगा।