नई दिल्ली: नागपुर शहर में बड़ी लाइन नेटवर्क पर रेलवे लाइन को मेट्रो कोचों से जोड़ने और त्वरित जन परिवहन प्रणाली (एमआरटीएस) के निर्माण के लिए भारतीय रेल ने आज महामेट्रो (महाराष्ट्र की मेट्रो रेलवे परियोजना कंपनी) के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का समारोह नागपुर नगर निगम के सुरेश भट्ट सभागार में आयोजित हुआ। केंद्रीय रेल, वित्त, कारपोरेट मामले और कोयला मंत्री श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय सड़क यातायात, राजमार्ग एवं जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गडकरी तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस की उपस्थिति में समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री अश्वनी लोहानी और शहरी विकास सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्री पीयूष गोयल ने बताया कि रेल मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ-साथ रेलवे लाइन बनाने की योजना पर काम कर रहा है। ऐसे ही एक प्रस्ताव के तहत नागपुर-मुम्बई सुपर एक्सप्रेस-वे (समृद्धि महामार्ग) को नागपुर-मुम्बई रेल लाइन से जोड़ा जाएगा। ऐसे हाई-स्पीड रेल गलियारे के निर्माण से नागपुर और मुम्बई के बीच की दूरी सिर्फ 5 घंटे की रह जाएगी। भारतीय रेल ने मुम्बई में उप-नगरीय रेल नेटवर्क के विकास के लिए रिकार्ड 67 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसका इस्तेमाल भारत में कुल रेल यात्रियों में से एक-तिहाई रेल यात्री करते हैं।
इस अवसर पर नागपुर नगर निगम के ‘वेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट’ का शिलान्यास भी किया गया। इसके साथ महाजेनको परियोजना का शिलान्यास समारोह भी आयोजित किया गया, जिसके तहत पाइप कंवेयर प्रणाली के जरिये वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की खानों से कोयले की ढुलाई की जा सके।
सड़क यातायात, राजमार्ग एवं जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने मेट्रो शहरों में बढ़ते प्रदूषण की चर्चा करते हुए ‘विद्युत जन यातायात’ की वकालत की। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे निजी यातायात के बजाय जन यातायात का इस्तेमाल करें। उन्होंने बताया कि बड़ी लाइन पर चलने वाले वातानुकूलित मेट्रो कोचों की गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा होगी जो साधारण पैसेंजर गाड़ियों की गति से काफी अधिक है। उन्होंने कहा कि इस समझौता-ज्ञापन से नागपुर से कुछ दूरी पर स्थित भंडारा और वर्धा जैसे शहर नजदीक आयेंगे और उपग्रह शहरों के रूप में विकसित होंगे।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि ये तीनों परियोजनाएं अनोखा प्रयास हैं और पूरे राष्ट्र के लिए मानक होंगी। उन्होंने बताया कि खानों और बिजली संयंत्रों से प्राप्त पानी का इस्तेमाल महाराष्ट्र में 10 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए किया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि खानों के जल वितरण के लिए विदर्भ सिंचाई औद्योगिक निगम और डब्ल्यूसीएल के बीच एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इस अवसर पर आयोजित समारोह में महाराष्ट्र में रेल विकास पर ‘न्यू रेलवेज न्यू महाराष्ट्र’ नामक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।
इस कार्यक्रम में स्थानीय जन प्रतिनिधियों, महामेट्रो, एनएमसी, महाजेनको, भारतीय रेल के अधिकारियों सहित जिला प्रशासन के अधिकारियों तथा बड़ी तादाद में आम जनता ने भागीदारी की।