नई दिल्ली: देश में रेल सेवाओं की आधारभूत सरंचनाओं के विकास के क्षेत्र में आज का दिन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रहा। रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने आज (दिनांक 14/07/2015 ) को गुजरात के गांधीधाम तथा टूना-टेकरा बंदरगाह के मध्य नव-निर्मित ब्रॉडगेज रेल लाइन का उद्घाटन मालगाड़ी को हरी झंडी दिखा कर किया। गांधीधाम गुजरात के कच्छ जिले में है, जबकि टूना-टेकरा बंदरगाह गुजरात की कच्छ की खाड़ी में कांधला से 20 कि.मी. दूर स्थित है।इस उद्घाटन की खास बात यह थी कि इसे रेल भवन, नई दिल्ली तथा गांधीधाम रेलवे स्टेशन के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आयोजित करके रिमोट कंट्रोल द्वारा किया गया। इस परियोजना को निजी/ गैर सरकारी रेलवे (एन जी आर) मॉडल के रेल संयोजीकरण एवं क्षमता संवर्धन परियोजना उपक्रमों हेतु रेल मंत्रालय के 2012 की भागीदारिता मॉडल योजना के तहत पूरा किया गया। जन -निजी- परियोजना (पीपीपी) के अंतर्गत यह एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
यह रेलवे-लाइन 2012 की गैरसरकारी रेलवे योजना के तहत भारतीय रेलवे की पहली गैरसरकारी रेलवे योजना है। इस परियोजना की लागत मैसर्स कांधला बंदरगाह न्यास (के पी टी) द्वारा वहन की गई है। इस महत्वपूर्ण अवसंरचना परियोजना को भारतीय रेलवे के पश्चिमी क्षेत्र द्वारा पथ-प्रदर्शन एवं समन्वित किया गया। लगभग 17 कि. मी. लम्बे इस महत्वाकांक्षी परियोजना को रेलवे बोर्ड द्वारा अक्टूबर, 2013 में मंजूरी दी गई थी। निर्माण कार्य मई, 2014 में आरम्भ हुआ तथा निश्चित समय-सीमा में मई, 2015 में पूरा कर लिया गया। इस परियोजना पर लगभग 185 करोड़ रूपए की लागत आई है। बंदरगाह से प्रतिदिन औसतन 4 रेक उपभोक्ता वस्तुओं जिनमें मुख्यतः कोयले तथा खाद हैं, का लदान किया जाता है। भारतीय रेलवे को इस लाइन पर यातायात के आरम्भ होने से अनुमानित 5.00 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। इस लाइन का निर्माण मैसर्स कांधला बंदरगाह न्यास द्वारा टूना-टेकरा बंदरगाह तक बेहतर एवं तीव्रतर रेल-संयोजन हेतु किया गया है।
इस परियोजना को दो चरणों में पूरा किया गया- पश्चिमी रेलवे क्षेत्र (बतौर निक्षेप कार्य) द्वारा 11 कि. मी. लम्बी गांधीधाम-टूना रेल मार्ग का निर्माण कार्य तथा मैसर्स कांधला पोर्ट न्यास द्वारा टूना-टेकरा के मध्य 6 कि.मी. लम्बी रेल लाइन का निर्माण-कार्य। 2012 की भागीदारिता योजना के तहत, रेल मंत्रालय ने 4 बंदरगाहों, धामरा बंदरगाह, टूना बंदरगाह, जयगढ़ बंदरगाह तथा दिघी बंदरगाह को संयोजन का उत्तरदायित्व लिया था। उपरोक्त चारों परियोजनाओं के निर्माण कार्य में लगभग 2400 करोड़ रूपए की लागत आएगी जिसमें रेल मंत्रालय को किसी भी प्रकार की आर्थिक वचनबद्ध साम्यता वहन नहीं करनी होगी। अन्य पांच बंदरगाह संयोजन परियोजनाओं को भी सैद्धांतिक आधार पर मंजूरी प्रदान की जा चुकी है। इन पांच परियोजनाओं पर लगभग 2800 करोड़ रुपए की लगत आएगी, जिसमें रेल मंत्रालय को किसी भी प्रकार की आर्थिक वचनबद्ध साम्यता वहन नहीं करनी होगी। इससे पहले वर्ष 2002 -2012 के मध्य सात बंदरगाह संयोजन परियोजनाएं लागू की गईं थीं। लगभग 3000 करोड़ रूपए की लागत वाली इन परियोजनाओं के द्वारा लगभग 950 कि. मी. रेलवे लाइन का निर्माण कार्य पूरा किया गया।