नई दिल्ली: रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने आज मंत्रालय के सांसदों की परामर्श समिति की बैठक की अध्क्षता की। वर्ष 2016 में समिति की यह दूसरी बैठक थी। आज की बैठक का एजेंडा ‘रेलवे के लिए हरित ऊर्जा का दोहन’ था।
इस मौके पर रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे एक महत्वपूर्ण ऊर्जा उपभोक्ता है। इसलिए वातावरण पर कम से कम दुष्प्रभाव डालते हुए एक ऊर्जा सिस्टम को साकार करने के लिए कम लागत का विकल्प ढूंढ़ना जरूरी है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल का विजन 2020 का उद्देश्य जरूरत की कम से कम ऊर्जा का 10 प्रतिशत ऊर्जा नवीकरणीय स्रोतों के इस्तेमाल कर प्राप्त किया जाए। इस योजना के हिस्से के रूप में भारतीय रेलवे ने क्षेत्रीय रेलवे एवं अपनी उत्पादन इकाइयों के साथ 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा और 200 मेगावाट पवन ऊर्जा के संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। इस दिशा में हरित ऊर्जा दोहन का 10.5 मेगावाट क्षमता का पहला प्लांट 2009 में चेन्नई के एकीकृत कोच फैक्ट्री (आईएफसी) में लगाया गया है। आईएफसी देश का पहला हरित उत्पादन इकाई है। इस दिशा में उत्तर—पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) द्वारा राजस्थान के जैसलमेर में 2016 में 26 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा संयंत्र को लगाकर दूसरा महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। इस समय रेलवे 50 मेगावाट हरित ऊर्जा का दोहन कर रहा है। इसमें सौर एवं पवन ऊर्जा संयंत्रों के अलावा और भवनों की छतों से भी यह ऊर्जा पैदा की जा रही है। इस 50 मेगावाट ऊर्जा में वाराणसी, कटरा, जयपुर, कोलकाता मेट्रो और सिकंदराबाद रेलवे स्टेशनों से 500-500 किलोवाट ऊर्जा पैदा की जा रही है।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में चुनौतियों की चर्चा करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि इसपर धीरे-धीरे लागत कम होती जाती है, लेकिन इसकी भंडारण का मुद्दा अभी भी बरकरार है। उन्होंने कहा वैश्विक स्तर पर भंडारण की तकनीक विकसित की जा रही है और जल्दी ही इस दिशा में कोई सफलता मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि हमलोग कम मात्रा में बायो डीजल का समिश्रण डीजल में कर रहे हैं। इसके अलावा रेलवे पारंपरिक प्रकाश स्रोतों को एलईडी स्रोतों में बदलने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया है। यह अधिक ऊर्जा दक्ष और पर्यावरणमूलक है। उन्होंने कहा कचड़े और बायोमास से बिजली पैदा करने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। श्री प्रभु ने खुलासा किया कि रेलवे ने पहले ही एनर्जी ऑडिट किया है और अधिक ऊर्जा दक्ष सिस्टम पर काम कर रहा है। स्टेशनों के पुनर्विकास पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि स्मार्ट सिटी के साथ रेलवे ने स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन पर शहरी विकास मंत्रालय के साथ हस्ताक्षर किया है। श्री प्रभु ने बताया कि भारतीय रेलवे ने बायो टॉयलेट, कचड़े का पुनर्चक्करीकरण, जल इकाइयों का संरक्षण, रेलवे पटरियों के साथ-साथ पौधा रोपण इत्यादि जैसे कई हरित पहलों जैसे उपाय कर रहा है।
इस दौरान समिति के कई सदस्यों ने मंत्रालय के हरित ऊर्जाके उपयोग करने की प्रशंसा की। इस दौरान खुलासा किया गया कि रेलवे परिवहन का पर्यावरण मूलक साधन है। सदस्यों ने सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने के लिए कई सुझाव भी दिए। साथ ही सदस्यों ने रेल मंत्री से अपने क्षेत्रों में लंबित कई परियोजनाओं को पूरा करने में तेजी लाने का भी आग्रह किया। इसके साथ ही सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों में नई लाइने बिछाने, यात्रियों की सुविधा प्रदान करने तथा नई रेलगाडि़यों को चलाने का भी आग्रह किया।