नई दिल्ली: हाल की रेल दुर्घटनाओं से चिंतित रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने भारतीय रेल की सुरक्षा कार्यों की समीक्षा अनेक बैठकों में की।
नवंबर, 2016 में गाड़ी संख्या 19321 के दुर्घटना के बाद रेल मंत्री के निर्देश के अंतर्गत यह निर्णय लिया गया कि भारतीय रेल के कोच पूरी तरह एलएलबी कोच में बदल जाएंगे। एलएलबी कोचों में एंटी क्लाइमबिन्ग तथा एंटी टेलीस्कोपिन्ग जैसी बेहतर सुविधाएं हैं। अगले 3-4 वर्षों में वर्तमान 45,000 आईसीएफ डिजाइन के कोचों की रेट्रो फिटिंग के लिए कार्य योजना तैयार की गई है। रेल मंत्री ने उत्पादन योजना की समीक्षा की और इसे तेजी से लागू करने के निर्देश दिए।
रेल सुरक्षा में सुधार के लिए अल्पकालिक, मध्यम अवधि और दीर्घकालिक उपाय सुझाने के लिए 6 दिसंबर, 2016 को रेल अधिकारियों का एक कार्य बल बनाया गया। कार्य बल ने आज अपनी रिपोर्ट पेश की और रेल बोर्ड ने आज ही रिपोर्ट की समीक्षा की।
आज की बैठक में रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने जापान और कोरिया के विशेषज्ञों से भारत आने और उचित प्रौद्योगिकी समाधान सुझाने का अनुरोध किया। जापान के रेल प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (आरटीआरआई) तथा आरडीएसओ के बीच सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। रेलवे सुरक्षा के क्षेत्र में रेल मंत्री की पहल से कोरिया के रेल अनुसंधान संस्थान के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया गया।
रेल मंत्री ने सुरक्षा के विषय पर पूरे दिन रेल विशेषज्ञों से विस्तृत बातचीत की। कुछ उपयोगी सुझाव मिलने पर उन्होंने उन सुझावों को तत्काल लागू करने का आदेश दिया। उन्होंने जाने-माने परमाणु वैज्ञानिक और सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. अनिल काकोडकर से भी बातचीत की।
बाद में उन्होंने जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत किया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों के चूक के नतीजे भुगतने होंगे।
रेल मंत्री ने पूर्व सीएजी श्री विनोद राय से रेल के सुरक्षा संगठन ढांचे को नया रूप देने में सहायता का अनुरोध किया।