नई दिल्ली: रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु ने ‘सौर ऊर्जा – रेल क्षेत्र में अवसर’ विषय पर एकदिवसीय विचारगोष्ठी का उद्घाटन किया। यह विचारगोष्ठी इंस्टीट्यूशन ऑफ रेलवे इलेक्ट्रिकल्स इंजीनियर्स (आईआरईई), दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) और इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी (आईईटी) की ओर से संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम- ग्लोबल इनवायरमेंट फैसिलिटी (यूएनडीपी-जीईएफ) के सहयोग से आयोजित की गई है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के. मित्तल, रेलवे बोर्ड के मेम्बर इलेक्ट्रिकल और आईआरईई के संरक्षक (पेट्रॉन) श्री नवीन टंडन, डीएमआरसी के प्रबंधन निदेशक डॉ. मंगू सिंह, यूएनडीपी- भारत के कंट्री डायरेक्टर श्री जैको सिलियर्स, रेलवे बोर्ड के अन्य सदस्य श्री सुनील गोयल, उत्तर रेलवे के मुख्य विद्युत अभियंता और आईआरईई के महासचिव, रेल मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित लोगों में शामिल थे।
इस अवसर पर रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि खाजिन इंधन मुख्य ऊर्जा स्रोत के रूप में कायम है और इससे काफी हद तक ऊर्जा की जरूरतों की पूर्ति होती है। हालांकि, खनिज इंधन के व्यापक इस्तेमाल के कारण पारिस्थितिकीय प्रणाली को अपूरणीय क्षति होती है तथा इससे जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तपन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यही कारण है कि ऊर्जा संबंधी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समुचित ऊर्जा मिश्रण तैयार करने और वैकल्पिक उपायों को ध्यान में रखते हुए विश्व भर में प्रयास किए जा रहे हैं। श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि रेलवे वास्तव में परिवहन का एक हरित स्वरूप है और रेलवे के लिए एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत के रूप में अक्षय ऊर्जा को अपनाकर हम इसे और भी अधिक हरित बनाना चाहते हैं। भारतीय रेल ऊर्जा का एक सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इसलिए यह आवश्यक है कि रेलवे को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि बिजली की खपत घटाने के उद्देश्य से भारतीय रेल ने अक्षय ऊर्जा, मुख्य रूप से सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा के साथ ही ऊर्जा के किफायती उपायों को अपनाने की ओर ध्यान दिया है। रेलमंत्री ने बताया कि इस वर्ष के रेल बजट में इस बात की घोषणा की गई है कि भारतीय रेल अगले पांच वर्षों में 1000 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगा और इसे कार्यान्वित करने के लिए समुचित उपाय किए गए हैं। श्री प्रभु ने कहा कि रेलवे ने सौर, बिजली पैदा करने के लिए रेलवे के भवनों की छतों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। हमने रेल के डब्बों की छतों पर सौर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पहल शुरू की है। ऐसे उपायों को अपनाया जा रहा है और उनका इस प्रकार विस्तार किया जा रहा है ताकि इनसे महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त हो सकें। हम सार्वजनिक निजी भागीदारी प्रारूप के अधीन सौर बिजली उत्पादन के लिए विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के उत्पादन के दोनों तरीके- सौर वोल्टेइक सेल और सौर थर्मल पर काम करने की जरूरत है। प्रौद्योगिकी के भंडारण की भी जरूरत है। श्री प्रभु ने कहा कि भारतीय रेल को कार्बन उत्सर्जन घटाने की दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए और इस दिशा में बढ़-चढ़कर काम करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि चर्चाओं और प्रस्तुतियों से रेलवे को एक दीर्घकालिक नीति तैयार करने और सौर ऊर्जा का लाभ प्राप्त करने के लिए एक मार्गनिर्देश बनाने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर रेल बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए.के. मित्तल ने कहा कि पृथ्वी की जलवायु बदल रही है और इस प्रकार का जलवायु परिवर्तन परिवारों और व्यवसायों के साथ-साथ परिवहन, ऊर्जा आदि जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी सुविधाओं को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए हमें प्राथमिकता के तौर पर जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान के लिए उपाय करने चाहिए। ग्रीनहाऊस गैस उत्सर्जन में कमी लाना वैश्विक तपन की त्रासदी से मुकाबला करने के तरीकों में एक होगा। जैसा कि हम सभी जानते हैं ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों की परतों के हटने और ग्रीनहाऊस गैस का उत्सर्जन बढ़ने के कारण अक्षय ऊर्जा के स्रोतों के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर देने की आवश्यकता है। हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के तरीके में व्यापक तौर पर बदलाव लाने की आवश्यकता है तथा इसके लिए हमें पारंपरिक स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा तथा अक्षय ऊर्जा संबंधी प्रौद्योगिकियों के न्यायसंगत मिश्रण पर जोर देना चाहिए। भारतीय रेल द्वारा अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल से इस संगठन को ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त होगी। हमें अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बनी अपनी समर्थनकारी ऊर्जा प्रणाली विकसित करने के लिए एक अच्छी रणनीति बनानी होगी। भारतीय रेल के लिए पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा और जैव इंधनों जैसे ऊर्जा स्रोतों के साथ-साथ अनेक अक्षय ऊर्जा के विकल्प मौजूद हैं। पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा भारतीय रेल की संकर्षण गैर-संकर्षण ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
इस अवसर पर रेलवे बोर्ड के सदस्य इलैक्ट्रिकल और आईआरईई के पैट्रॉन श्री नवीन टंडन ने कहा कि अक्षय ऊर्जा स्रोतों के इस्तेमाल के लक्ष्य तक पहुंचने में आज भारतीय रेल के सामने निम्नलिखित चुनौतियां हैं- (ए) व्यवहार्यता मूल्यांकन शुरू करने की आवश्यकता (बी) समुचित प्रौद्योगिकियों का चयन, (सी) निजी क्षेत्र के इस्तेमाल और उन्हें काम सौंपने की प्रक्रिया को सुसंगत बनाना, (डी) भारतीय रेल में बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा के विकास के लिए वित्तपोषण प्रारूप तैयार करना, (ई) समुचित ऋण प्रक्रिया, आईआरएफसी/आरईएमसी/ आईआरईडीए के माध्यम से रियायती ऋण प्रणाली का विकल्प, (एफ) क्षमता निर्माण।
श्री टंडन ने बताया कि भारतीय रेल ‘वैश्विक तपन’ की समस्या को दूर करने के लिए पूरी तरह तैयार है। सरकार की नीति सहायता के साथ भारतीय रेल निश्चित तौर पर ऊर्जा के मोर्चे पर सकारात्मक बदलाव लाएगा और कार्बन उत्सर्जन घटाकर ऊर्जा की बढ़ती आवश्यकता को पूरा करने में एक पथप्रदर्शक संगठन के रूप में अग्रणी भूमिका निभाएगा और सतत विकास की दिशा में समाधान प्रस्तुत करेगा।
इस अवसर पर डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह, यूएनडीपी- भारत के कंट्री डायरेक्टर श्री जैको सिलियर्स ने भी अपनी बात कही।
रेलवे के प्रख्यात संस्थानों, डीएमआरसी और मंत्रालयों के गणमान्य व्यक्ति इस विचारगोष्ठी में अपने पेपरों के माध्यम से अपना अनुभव साझा करने में जुटे हैं। इस विचारगोष्ठी को तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया है- (i) सौर ऊर्जा- समस्या और रेलवे क्षेत्र के लिए विकल्प (ii) प्रौद्योगिकीय विकास और सौर प्रणाली के नये लक्षण (iii) वित्तीय और वाणिज्यिक निरंतरता- रेल क्षेत्र में सौर ऊर्जा के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण संबंधी पहलु।