नई दिल्लीः राज्यपालों के दो दिवसीय 49वें सम्मेलन का राष्ट्रपति भवन में समापन हो गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने समापन समारोह में सम्मेलन में प्रतिभागियों द्वारा हुई सार्थक चर्चा पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आपसी चर्चा से हर भारतीय के जीवन को बेहतर बनाने के हमारे राष्ट्रीय प्रयास को मजबूती मिलेगी।
राष्ट्रपति ने अपने भाषण में विश्व पर्यावरण दिवस का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए “ थिंक ग्लोबल, एक्ट लोकल” सिद्धांत को बेहद प्रभावी माना जाता है। पेरिस समझौते और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के सतत विकास के ध्येय को ध्यान में रखते हुए स्थानीय तथा राज्य स्तरीय योगदान राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने में बेदह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। हमारे संविधान के निर्देशक सिद्धांत विशेष रूप से पर्यावरण और वनों तथा वन्यजीवन के संरक्षण के मुद्दों का उल्लेख करते हैं। इसको मद्देनजर रखते हुए राज्यपाल राजभवन परिसर और विश्वविद्यालय परिसरों को पर्यावरण के लिहाज से आदर्श उदाहरण के रूप में पेश कर सकते है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों को यूएसआर यानि यूनिवर्सिटी सोशल रेस्पोंसिबिलटी के लिए प्रेरित कर सकते हैं। श्री कोविंद ने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्रों को समय-समय पर गांव का जाना चाहिए। छात्रों को स्थानीय लोगों के साथ मिलकर स्वच्छता, साक्षरता, कुपोषण और पोषण कार्यक्रमों पर विचार – विमर्श करना चाहिए। राज्यपाल “स्वच्छता इंटर्नशिप” के आयोजन जैसे विषयों के बारे में उपकुलपतियों के साथ चर्चा कर सकते हैं।
राष्ट्रपति ने राज्यपालों से उपकुलपतियों के साथ समय-समय पर बैठक करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलनों का एजेंडा तय करते समय उपकुलपतियों के साथ विचार विमर्श किया जाना चाहिए।
साथ ही किसी त्वरित समाधान के लिए, राज्य शिक्षा और वित्त विभागों, मानव संसाधन विकास, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अन्य संस्थानों, मंत्रालय के अधिकारियों तथा प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा सकता है।
उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने भी सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया। इससे पहले दिन में राज्यपालों ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह के विषय में चर्चा की। ग्राम स्वराज अभियान और स्वच्छता इंटर्नशिप पर प्रस्तुतिकरण भी हुआ। राज्यपालों/ले.गवर्नरों ने भी अपने सुझाव दिए।