नई दिल्ली: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ‘सरकार-प्रायोजित’ और ‘गैर-सरकार’ पोषित आतंकवाद से उत्पन्न होने वाले किसी भी संभावित खतरे को विफल करने के लिए समुद्री क्षेत्र की सभी एजेंसियों से चौबीसों घंटे सतर्क रहने के साथ-साथ आपस में समुचित तालमेल स्थापित करने और अत्यंत सक्रिय रहने को कहा है। श्री राजनाथ सिंह आज चेन्नई में भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
रक्षा मंत्री ने सरकार की इस ठोस प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा कि देश के लोग सदैव सुरक्षित रहें और इसके साथ ही राष्ट्र निर्माण में योगदान करें। उन्होंने कहा, ‘जमीन पर सुरक्षा दरअसल समुद्र में सुरक्षा से अत्यंत मजबूती के साथ जुड़ी हुई है। हमारे देश को सरकार-प्रायोजित आतंकवाद के साथ-साथ गैर-सरकार पोषित आतंकवाद से भी व्यापक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 26/11 को आतंकवादी हमला समुद्री मार्ग से ही हुआ था। इस सरकार का यह दृढ़ संकल्प है कि हम अपनी भूमि पर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होने देंगे।’
रक्षा मंत्री ने समुद्री क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार समस्त हितधारकों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आईसीजी की भूरि-भूरि प्रशंसा की। इसे जीवंत करार देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि आईसीजी क्षेत्रीय सहयोग विकसित करने में सदैव अग्रणी रहा है और इसके साथ ही यह हिंद महासागर क्षेत्र में निरंतर शांति सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि आईसीजी ने स्वयं को एक समुद्री शक्ति में तब्दील कर दिया है और वह बड़े गर्व एवं प्रोफेशनल रुख के साथ समुद्री क्षेत्र में निहित अनगिनत चुनौतियों का डटकर सामना कर रहा है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आईसीजी समुद्र में नौवहन करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता के साथ-साथ स्वयं की सर्वव्यापी मौजूदगी के बल पर अपनी जवाबदेही वाले क्षेत्रों में व्यापक असर डाल रहा है। उन्होंने कहा कि हर सफल मिशन संबंधित अधिकारियों एवं कर्मियों की दक्षता को रेखांकित करता है और इस सेवा की कारगर क्षमताओं को सामने लाता है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि समुद्र में हर सेकेंड बेशकीमती जिंदगी बचाने के अलावा भारतीय तटरक्षक तटीय राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में हालिया बाढ़ आपदा राहत अभियान ‘सहायता’ के दौरान 4,000 से भी अधिक लोगों की जान बचाने में अत्यंत सक्रिय रहा था। उन्होंने कहा कि आईसीजी ने कोलंबो के निकट मर्चेंट शिप डेनियला, कांडला के निकट मोटर टैंकर जेनेसा और भारतीय खोज एवं बचाव क्षेत्र की सीमाओं पर वाणिज्यिक जहाज मेर्सक होनम पर आग लगने की घटनाओं के दौरान अपनी क्षमता और पहुंच को बखूबी साबित किया था और इसके साथ ही अंतराष्ट्रीय समुद्री समुदाय में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई थी।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस सेवा ने वाणिज्यिक जहाज हेनरी से 1.5 टन हेरोइन को जब्त कर समुद्री क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा था, जिससे राष्ट्र विरोधी तत्वों को तगड़ा झटका लगा था। दरअसल, इस कदम से उस धनराशि के दुरुपयोग को टालने में मदद मिली थी, जो इस वर्जित मादक द्रव्य से अर्जित होती। उन्होंने कहा कि इस तरह की कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें भारतीय तटरक्षक ने ‘समुद्र के प्रहरी’ के रूप में अपनी पहचान को सही साबित किया है।
राष्ट्रपति के तटरक्षक पदक के साथ-साथ तटरक्षक पदक विजेताओं के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित नामावाली (स्क्रॉल) पुरस्कार विजेताओं को प्रदान करने के प्रस्ताव को रक्षा मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि इस आशय का प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय को पेश कर दिया गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आईसीजी पदकों को ‘वरीयता क्रम (ओओपी)’ में शामिल करने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय के परामर्श से रक्षा मंत्रालय में विचाराधीन है, ताकि पुरस्कार विजेता अपेक्षित सम्मान एवं लाभ पाने से वंचित न रह जाएं।
श्री राजनाथ सिंह ने इस समारोह के दौरान सभी पुरस्कार विजेताओं का धन्यवाद करते हुए इनके द्वारा कठिन हालात में दर्शाए गए अदम्य साहस और समर्पण की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये पुरस्कार आईसीजी कर्मियों को अपने कर्तव्य निर्वहन के लिए और ज्यादा प्रेरित करेंगे और वे जीवंत समुद्री बल के रूप में अपनी भूमिका निभाते हुए सुरक्षा सुनिश्चित करने में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
इससे पहले, रक्षा मंत्री ने आईसीजी कर्मियों को शौर्य एवं मेधावी सेवा पदक प्रदान किए। रक्षा मंत्री द्वारा आईसीजी कर्मियों को कुल मिलाकर 61 पदक प्रदान किए गए, जिनमें 1 राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (शौर्य), 8 राष्ट्रपति तटरक्षक पदक (विशिष्ट सेवा), 32 तटरक्षक पदक (शौर्य) और 20 तटरक्षक पदक (मेधावी सेवा) शामिल थे।
राष्ट्रपति तटरक्षक पदक और तटरक्षक पदक उन अधिकारियों एवं कर्मियों को दिए जाते हैं, जो अत्यंत कठिन हालात में भी कर्तव्य के प्रति नि:स्वार्थ समर्पण और अदम्य साहस का परिचय देते हैं।
भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक के. नटराजन, रक्षा मंत्रालय और भारतीय तटरक्षक के वरिष्ठ अधिकारीगण इस अवसर पर उपस्थित थे।