मित्र देशों के साथ-साथ विश्व के रक्षा निर्माण उद्योगों के लिए एक प्रमुख पहुंच के रूप में, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 25 अक्टूबर, 2021 को नई दिल्ली में रक्षा प्रदर्शनी 2022 के लिए राजदूतों के गोलमेज बैठक की अध्यक्षता की। इस गोलमेज का उद्देश्य विदेशी मिशनों के राजदूतों को रक्षा प्रदर्शनी 2022 की योजना, व्यवस्था और अन्य विवरणों के बारे में जानकारी देना था। यह प्रदर्शनी 10-13 मार्च, 2022 के बीच गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा।
राजदूतों, मिशनों के प्रमुखों और रक्षा क्षेत्र संबंद्ध प्रतिनिधियों सहित 200 से अधिक लोगों ने गोलमेज में हिस्सा लिया, जो भारतीय रक्षा क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक रुचि को दिखाता है। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, वायु सेना प्रमुख मार्शल वीआर चौधरी, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री राज कुमार और रक्षा मंत्रालय व गुजरात सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
एशिया की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी, डिफ एक्सपो 2022 में हिस्सा लेने के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को आमंत्रित करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हर किसी के सर्वांगीण कल्याण के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहभागिता के आधार पर देने और लेने की भावना से व्यापार करने के लिए तैयार है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रक्षा प्रदर्शनी 2022 सभी नवीनतम तकनीकों को एक छत के नीचे लाएगा और वायु क्षेत्र व रक्षा उद्योग में हितधारकों को असंख्य अवसर प्रदान करेगा।
श्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा, “पुनरूत्थानशील भारत, जहां रक्षा विनिर्माण विकास का एक पहचाना हुआ स्तंभ है, रक्षा प्रदर्शनी 2022 में नेतृत्व करने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करेगा। मुझे विश्वास है कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सोच को आगे बढ़ाते हुए, रक्षा प्रदर्शनी-2022 भारत में साझा समृद्धि को बढ़ावा देने, निवेश को बढ़ावा देने, विनिर्माण का विस्तार करने और वायु क्षेत्र व रक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए सफल नए उद्यमों और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की शुरुआत करेगा, जो हमारे मित्र देशों की रक्षा आवश्यकताओं को भी पूरा करने के लिए तैयार होगा।”
रक्षा मंत्री ने रक्षा प्रदर्शनी 2020 और एयरो इंडिया 2021 में हिस्सा लेने के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को धन्यवाद दिया और कहा कि रक्षा प्रदर्शनी 2022 का लक्ष्य विदेशी और भारतीय प्रदर्शकों, ओईएम और विदेशी देशों की अधिक उपस्थिति के साथ अपने पिछले संस्करणों के बेंचमार्क को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा, “हम उन साझेदारियों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अब तक बनाई गई हैं और आपसी विकास के लिए नए संबंध भी बनाते हैं।”
श्री राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि रक्षा प्रदर्शनी 2022 इस बात का दृष्टि प्रदान करेगा कि भारत पिछले सात वर्षों में रक्षा अनुसंधान व विकास और उत्पादन, आधुनिक तकनीकों के अनुप्रयोग, सरकार की शुरू की गई उदार सहयोगी नीतियों के मामले में क्या प्राप्त करने में सक्षम है। इसका उल्लेख करते हुए कि सरकार सहक्रियाशील वृद्धि के माध्यम से रक्षा व्यापार हितों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अंतरराष्ट्रीय भागीदारी में बढ़ोतरी से भारत और अन्य देशों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंधों का विकास होगा।
रक्षा मंत्री ने बताया कि भारतीय वायु क्षेत्र व रक्षा विनिर्माण क्षेत्र नई ऊंचाइयों पर पहुंचने लिए तैयार है और इसमें अंतरिक्ष, साइबर स्पेस, भविष्य की क्षमताओं और विध्वंसनकारी प्रौद्योगिकियों जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक-चेन, वर्चुअल रियलिटी, 3डी प्रिंटिंग, डिजिटल फ्रंटियर और इंटरनेट ऑफ मिलिट्री थिंग्स में अनुसंधान व विकास की क्षमता हैं।
सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और एक मजबूत व आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग बनाने के सरकार के संकल्प की पुष्टि करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने विभिन्न उपाय किए गए हैं, जिसमें 2021-22 के वार्षिक बजट में रक्षा पूंजीगत परिव्यय में पिछले वर्ष की तुलना में 18.75 फीसदी की वृद्धि करना शामिल है, जो पिछले 15 वर्षों में अब तक की सबसे अधिक बढ़ोतरी है। अन्य नीतिगत सुधारों में औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाना, स्वचालित मार्ग के माध्यम से 74 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश व महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के लिए सरकारी अनुमोदन के साथ 100 फीसदी की अनुमति, खुली सामान्य निर्यात लाइसेंस नीति की शुरूआत, 209 मदों की सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची, सात नई रक्षा कंपनियों की शुरुआत और निजी क्षेत्र के लिए जांच व परीक्षण सुविधाओं को खोलना आदि शामिल है। रक्षा निर्माण में सुधार भारतीय और विदेशी रक्षा निर्माताओं, नव अन्वेषकों, एमएसएमई की ओर से अधिक रुचि आकर्षित कर रहे हैं।
रक्षा मंत्री ने भारतीय रक्षा उद्योग के प्रयासों की सराहना की और भारतीय रक्षा विकास की कहानी में निवेश करने के लिए विदेशी हवाई क्षेत्र व रक्षा कंपनियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “यह पूरे विश्व की संस्थाओं के सहयोगात्मक प्रयासों के कारण है कि पिछले पांच वर्षों में हमारे रक्षा निर्यात में 334 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और अब भारत 75 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है। हमारा निर्यात प्रदर्शन हमारे रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धा का एक मजबूत संकेतक है।”
श्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII में निर्धारित सामूहिक सुरक्षा प्रणाली के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दोहराया जो शांति के लिए खतरों, शांति भंग और आक्रामक गतिविधियों के संबंध में कार्रवाई से संबंधित है। उन्होंने कहा, “एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में, हम इन सहयोगों और प्रयासों के माध्यम से एक स्थिर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली सुनिश्चित करना चाहते हैं।”
रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर रक्षा प्रदर्शनी 2022 की वेबसाइट (www.defexpo.gov.in) को लॉन्च किया। यह वेबसाइट गुजरात के विभिन्न स्वदेशी रक्षा उत्पादों व पर्यटन, कला और शिल्प के बारे में सूचनात्मक सामग्री उपलब्ध करवाने के अलावा प्रदर्शकों को ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करती है। वेबसाइट प्रदर्शकों के लिए पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर ऑनलाइन स्थान बुक करने, ऑनलाइन भुगतान करने, कॉन्फ्रेंस हॉल बुक करने और बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) बैठकों के लिए जगह बनाने में सक्षम है। यह वेबसाइट पहला इंटरफेस है और बुकिंग व सूचना तक पहुंचने की प्रक्रिया को आसान बनाएगी।
व्यापार से जुड़े आगंतुक व्यावसायिक दिनों यानी 10 और 11 मार्च 2022 के दौरान शो में आने के लिए वेबसाइट से अपने टिकट खरीद सकेंगे। वहीं, आम जनता के लिए 12 व 13 मार्च को नि:शुल्क प्रवेश की योजना है। रक्षा प्रकाशनों और मीडिया को वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा।
रक्षा प्रदर्शनी-2022 में, जो ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के अनुरूप है, देशों को न केवल अपने उपकरणों और प्लेटफार्मों का प्रदर्शन करने के अवसर मिलेंगे, बल्कि व्यावसायिक साझेदारी बनाने के लिए भारतीय रक्षा उद्योग के विस्तार की ताकत व क्षमताओं का पता लगाने में भी सक्षम होंगे। यह आयोजन निवेश को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमताओं व क्षमताओं का विस्तार करने, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने के रास्ते खोजने में सहायता करेगा और इस प्रकार 2024 तक 5 बिलियन अमरीकी डालर के रक्षा निर्यात के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में योगदान देगा। भारत का लक्ष्य इस अवसर का उपयोग साझा समृद्धि के मंत्र के साथ अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए करना है। इसके अलावा स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के साथ भारत को आत्मनिर्भर बनाने की भारत सरकार की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की जाएगी।