देहरादून: मुख्य सचिव पद पर कार्यभार ग्रहण करने के बाद राकेश शर्मा ने कहा कि वे प्रदेश के चहुमुखी विकास के लिए अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। 24 वर्ष तक उत्तराखण्ड में कार्य करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि सीमांत, मध्य और तराई क्षेत्र के लिए अलग-अलग योजनाओं की आवश्यकता हैै। उन्होंने कहा कि राज्य में कनैक्टिविटी को और बेहतर बनाने की जरूरत है।
हम कोशिश करेंगे कि नार्थ ईस्ट की तरह उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में आवागमन के लिए रियायती दर पर हवाई सेवायें दी जाय। यह आपदा के लिहाज से भी जरूरी है। उन्हाेंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाया जायेगा। बिजली, पानी, सड़क, सीवरेज आदि बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किया जायेगा। राज्य में कृषि और बागवानी क्षेत्र को फोकस करने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा, तकनीकि शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, विद्यालयी शिक्षा और प्राथमिक शिक्षा का विस्तार दूर दराज पर्वतीय क्षेत्रों तक किया जायेगा। लघु जल विद्युत परियोजनाआें से राज्य के राजस्व को बढ़ाने पर बल दिया जायेगा।
इससे पूर्व सेवानिवृत्त हुये निवर्तमान मुख्य सचिव एन. रवि शंकर ने कहा कि 35 वर्षां की अखिल भारतीय सेवा में उन्हें उत्तराखण्ड के अलावा उत्तरप्रदेश और भारत सरकार में कार्य करने का अवसर मिला। उत्तराखण्ड में मुख्य सचिव पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। आपदा के बाद चारधाम यात्रा को पटरी पर लाने में हम काफी हद तक सफल रहें। 6 लाख तीर्थ यात्री अब तक चारधाम आ चुके है। 6 हजार लोगों ने हवाई सेवाओं के माध्यम से यात्रा की। अनुमान है कि यात्रियों की संख्या लगभग 10 लाख तक पहंुच जायेगी। अर्द्धकुम्भ की तैयारी भी एक चुनौती थी। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि अर्द्धकुम्भ की तैयारी निर्धारित समय सारिणी के अनुसार चल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिये आईफेड, जलागम और जायका की योजनाओं को एकीकृत करके आजीविका उपलब्ध कराने के विभिन्न कार्यक्रम चलायें जा रहे है। पर्यावरण का संरक्षण भी हमारे लिए प्राथमिकता रही। इसके साथ ही किसाऊ बहुउद्देशीय जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हुए। उन्होंने कहा कि ’सरल प्रक्रिया, स्वच्छ प्रणाली और संवेदनशील प्रशासन’ के सूत्र से जनआकांक्षाओं को पूरा किया जा सकता है।