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रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के निदेशकों के 41वें सम्‍मेलन का उद्घाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ भवन, नई दिल्‍ली में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के निदेशकों के 41वें सम्‍मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्‍मेलन प्रत्‍येक वर्ष आयोजित किया जाता है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि डीआरडीओ ने देश के रक्षा बलों को मजबूत बनाया है। उन्‍होंने रक्षा अनुसंधान और विकास सचिव तथा डीआरडीओ के अध्‍यक्ष डॉ. जी.सतीश रेड्डी और सभी वैज्ञानिक और कर्मचारियों को बधाई दी। उन्‍होंने 100 दिन के लक्ष्‍य को हासिल करने तथा स्‍वतंत्रता के 75 वर्ष मनाने के लिए विषयों को चिन्हि्त करने और पांच वर्षों के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए डीआरडीओ की सराहना की।

      रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ के वैज्ञानिक और कर्मचारियों से कहा कि वे पूर्व राष्‍ट्रपति भारत रत्‍न डॉ. ए.पी.जे. अब्‍दुल कलाम की कार्यशैली को अपनाएं। उन्‍होंने कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास तथा मैन्‍युफैक्‍चरिंग में प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष रूप से सबसे अधिक रोजगार प्रदान करने की क्षमता है। उन्‍होंने कहा कि टेक्‍नोलॉजी के साथ ऐसी प्रणालियां विकसित करने का लक्ष्‍य रखना चाहिए, जो अगले 10-15 वर्षों तक समकालीन बनी रहें, ताकि सशस्‍त्र बल टैक्‍नोलॉजी की दृष्टि से श्रेष्‍ठता बरकरार रखे।

      श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि टेक्‍नोलॉजी की अपनी सीमाएं है और उत्‍पादों के विकास की भी एक निश्चित अवधि होती है। ऐसी जटिल प्रणालियों के लिए तकनी‍की आवश्‍यकताएं विकास चक्र के दौरान विकसित होती रहती हैं। इन प्रणालियों के लिए चक्रीय विकास वरीयता का विकल्‍प हो सकता है।

      उद्घाटन समारोह में अन्‍य लोगों के अलावा राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल, सेनाध्‍यक्ष जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह तथा वायु सेना अध्‍यक्ष एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया उपस्थि‍त थे।

      श्री अजीत डोभाल ने सभी चुनौतियों के बावजूद डीआरडीओ द्वारा किये गये कार्यों की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि टेक्‍नोलॉजी की दृष्टि से भारत को मजबूत बनाने में डीआरडीओ की भूमिका प्राथमिक है। उन्‍होंने कहा कि आधुनिक युद्ध में टैक्‍नोलॉजी और वित्‍तीय शक्ति युद्ध के परिणाम निर्धारित करेंगे और इसमें टेक्‍नोलॉजी अधिक महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि आवश्‍यकता आधारित टेक्‍नोलॉजी हमें अपने शत्रुओं की तुलना में श्रेष्‍ठता बनाये रखने में सक्षम बनाएगी। उन्‍होंने कहा कि महत्‍वपूर्ण टेक्‍नोलॉजी स्‍वदेश में ही विकसित की जानी  चाहिए। डीआरडीओ एक मात्र संगठन है, जो प्रणाली एकीकरण का काम कर सकता है।

      सेनाध्‍यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि डीआरडीओ ने तोप प्रणाली, सुरंग, टैंक रोधी प्रक्षेपास्‍त्र जैसी विभिन्‍न प्रणाली विकसित करके सेना की आवश्‍यकताओं को सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया है कि भविष्‍य में युद्ध स्‍वदेशी प्रणालियों से जीते जा सकेंगे।

      नौसेना अध्‍यक्ष एडमिरल कर्मबीर सिंह ने कहा कि भारतीय नौसेना वरूणास्‍त्र, मारीच, उशूस, ताल तथा डीआरडीओ द्वारा विकसित अन्‍य प्रणालियों का दक्षतापूर्वक उपयोग कर रही है।

      वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के.एस.भदौरिया ने कहा कि टेक्‍नोलॉजी नेतृत्‍व डीआरडीओ को परिभाषित करता है। उन्‍होंने कहा कि पिछले सात दशकों में डीआरडीओ आत्‍मनिर्भरता के लक्ष्‍य को हासिल करने में सफल रहा है। उन्‍होंने इलेक्‍ट्रॉनिक युद्ध टेक्‍नोलॉजी और अन्‍य टेक्‍नोलॉजी में डीआरडीओ की भूमिका की सराहना की। उन्‍होंने हल्‍के लड़ाकू विमान तेजस की क्षमताओं की सराहना की। उन्‍होंने डीआरडीओ से टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करके और हलके लड़ाकू विमान के अनुभव से अगली पीढ़ी के विमान विकसित करने को कहा।

      रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्‍यक्ष डॉ. जी.सतीश रेड्डी ने एसैट, ब्रह्मोस, अस्‍त्र, नाग मिसाइल, एसएएडब्‍ल्‍यू, अर्जुन एमबीटी, एमके-1ए, 46 मीटर मॉड्यूलर सेतू, एमपीआर, एलएलपीआर, अश्विनी के सफल विकास की चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि डीआरडीओ निदेशकों का 41वें सम्‍मेलन का विषय ‘भारत को सशक्‍त बनाने के लिए टेक्‍नोलॉजी नेतृत्‍व है’ यह विषय अग्रणी टेक्‍नोलॉजी के साथ स्‍वदेशी प्रणालियों के विकास की आवश्‍यकताओं के अनुरूप है।

      रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ-उद्योग साझेदारी : सहक्रिया और विकास तथा निर्यात क्षमता के साथ डीआरडीओ उत्‍पादों पर दो संक्षिप्‍त विवरणिका को जारी किया। रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ की नई वेबसाइट को भी लॉन्‍च किया।

      अपने धन्‍यवाद विज्ञापन में डॉ. चित्रा राजागोपाल, डीजी (एसएएम) ने कहा कि सशस्‍त्र बलों का आधुनिकीकरण, खतरे की संभावना, संचालन चुनौतियों तथा टेक्‍नोलॉजी परिवर्तन पर आधारित निरंतर प्रक्रिया है।

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