नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर की अपनी पहली यात्रा की। श्री राजनाथ सिंह थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के साथ थोई हवाई क्षेत्र पहुंचे, जहां उत्तरी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने उनका स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर का हवाई सर्वेक्षण, ताकि इस दुर्जेय और बर्फ से जमे इस मोर्चे से परिचित हो सकें। वे सियाचिन ग्लेशियर की एक अग्रिम चौकी पर उतरे। रक्षा मंत्री ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र में सैनिकों के साथ बातचीत की। सियाचिन बेस कैंप में सैनिकों के साथ संबोधन में उन्होंने कहा कि मुझे सियाचिन में सेवारत सभी सैन्य कर्मियों पर गर्व है जो अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुझे उनके माता-पिता पर भी गर्व है जिन्होंने अपने बच्चों को सशस्त्र बलों में शामिल होकर देश की सेवा करने के लिए भेजा है। मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी धन्यवाद पत्र भेजूंगा।
रक्षा मंत्री ने सीमाओं की पवित्रता बनाए रखने और सभी देशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिकूल मौसम और जोखिम भरे इलाकों में सभी सियाचिन वारियर्स के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने दुनिया के सबसे दुर्गम स्थान में से एक में सेवा करते हुए अपनी ड्यूटी को सर्वोच्च मानने के लिए राष्ट्र की ओर से उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।
रक्षा मंत्री ने सैनिकों को विश्वास दिलाया कि सरकार सियाचिन ग्लेशियर में उत्कृष्ट कामकाज के लिए सभी परिचालन और प्रशासनिक आवश्यकताओं के बारे में पूरी तरह परिचित है। उन्होंने बहादुर सियाचिन वारियर्स की आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का आश्वासन दिया है। वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों की याद में बनाए गए सियाचिन युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया।