नई दिल्ली: रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने नई दिल्ली में वायु सेना मुख्यालय वायु-भवन में दूसरे द्विवार्षिक वायु सेना कमांडर सम्मेलन का उद्घाटन किया। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ पीवीएसएम एवीएसएम वाईएसएम वीएम एडीसी ने रक्षा मंत्री का स्वागत किया और वायु सेना कमांडरों का उनसे परिचय करवाया।
रक्षा राज्य मंत्री ने सम्मेलन के उद्घाटन पर वायु सेना कमांडरों को संबोधित किया और उन्होंने हिंद महासागर तटीय क्षेत्र (आईओआर) में भारत को सुरक्षा प्रदाता के रूप में सक्षम बनाने के लिए वायु सेना द्वारा निभाई जाने वाली अहम भूमिका पर बल दिया, जो प्रधानमंत्री के ‘सागर’ (सभी क्षेत्रों के लिए सुरक्षा एवं वृद्धि) सिद्धांत के अनुरूप है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारतीय वायु सेना भारत की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए प्रौद्योगिकीय क्षमता से लैस त्वरित कार्रवाई करने वाला सैन्य बल है। अपने संबोधन में रक्षा राज्य मंत्री ने कहा, ‘भारतीय वायु सेना नेतृत्व कई तरह से स्वदेशीकरण को प्रोत्साहन दे रहा है, जो अत्यंत सराहनीय है। वायु सेना स्वदेशी एलसीए कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका पता इस बात से चलता है कि वह एलसीए की 18 स्क्वाड्रन प्राप्त कर रहा है। वायु सेना भारत के स्वदेशी बायो-जेट ईंधन कार्यक्रम को प्रोत्साहन देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, जिससे भारत के कच्चे तेल के आयात बिल में निश्चित रूप से 10 प्रतिशत से अधिक की कटौती होगी तथा किसानों की आय में काफी बढ़ोतरी होगी।’
वायु सेना प्रमुख ने अपने संबोधन में कहा कि वायु कर्मियों के गहन प्रशिक्षण की आवश्यकता है, ताकि वायु सेना की संचालन क्षमता बेहतर हो सके। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि भारतीय सेना और भारतीय नौसेना के साथ वायु सेना का संयुक्त अभ्यास होना चाहिए, ताकि देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहतर ताल-मेल बन सके।
दो दिवसीय कमांडर सम्मेलन के दौरान प्रशिक्षण और युद्ध कौशल पर चर्चा होगी। इसके अलावा राफेल, तेजस, चिनूक तथा अपाची हेलीकाप्टरों सहित स्पाइडर और मध्यम दूरी की मिसाइलों को वायु सेना में शामिल करने के विषय पर भी चर्चा की जाएगी।
सभी कमांडर एचएएल के वरिष्ठ अधिकारियों के दल के साथ युद्धक विमानों और विभिन्न उपकरणों के उत्पादन, उन्नयन, स्वदेशीकरण, डिजाइन तथा विकास मुद्दों पर चर्चा करेंगे।