नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद आज कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के 51वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया।
इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि आईआईटी कानपुर के उद्भव से स्वतंत्र भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा को बढ़ावा मिला। आईआईटी कानपुर का मॉडल ही देश के प्रमुख संस्थानों के इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के मूल में है। 1963 में आईआईटी कानपुर कम्प्यूटर विज्ञान में पाठ्यक्रम देने वाला एक प्रमुख संस्थान था। इससे देश में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति की शुरूआत हुई। ऐसी उपलब्धियां फैकल्टी के कई पीढ़ियों के सदस्यों और छात्रों के संकल्प और समर्पण से ही संभव हो पाया है।
स्नातक छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज का भारत अद्वितीय उम्मीद जगाता है और अवसर भी उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि छात्रों का पेशेवर भविष्य एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, आर्टिफिशियल इन्टेलीजेंस, जैव चिकित्सा अनुसंधान, ऊर्जा संग्रहण, स्मार्ट ग्रिड्स, नवीकरणीय ऊर्जा, वित्तीय गणित, विनिर्माण और ऐसे कई क्षेत्रों में हो सकता है। हमारी तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था उन्हें कई संभावनाएं देती हैं। अपनी योग्यता, शिक्षा और आईआईटी डिग्री के जरिये प्रत्येक छात्र भारत के लिए बदलाव के वाहक बन सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि अपने नागरिकों का जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकार ने कई पहल की है। इसमें अन्य पहलों के साथ पुनर्जीवन और शहरी बदलाव के लिए अटल मिशन या अमृत, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, डिजीटल इंडिया, मेक-इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी योजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी एक अहम ताकत साबित हो सकती है। उन्होंने छात्रों से ऐसे राष्ट्रीय मिशनों में योगदान करने का आह्वाहन किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि बीसवीं शताब्दी में कानपुर हमारे देश का एक पुराना औद्योगिक शहर रहा है और यहां के कपड़ा मिलों ने इसे ‘पूरब का मैनचेस्टर’ की उपाधि दिलाई। डिजिटल अर्थव्यवस्था और चौथे औद्योगिकी क्रांति के आज के जमाने में कानपुर का उन्नयन और औद्योगिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र के रूप में इसकी फिर से छवि बनाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह शहर नमामि गंगे की सफलता के लिए भी अहम है। यह कार्यक्रम न सिर्फ गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए है, बल्कि औद्योगिक कचरों से भी इसका संरक्षण करना है। उन्होंने कहा कि यह सभी काम साझेदारी से किए जाने लायक है, इसमें सरकार और नागरिक, उद्योग और शिक्षा जगत से जुड़े लोग अहम भूमिका निभाएंगे। आईआईटी कानपुर भी इसका एक अहम हिस्सा होगा। यह आवश्यक है कि वैज्ञानिक और आईआईटी कानपुर जैसे अनुसंधान संस्थान आईआईटी कानपुर के नवीकरण के लिए कार्यक्रम डिजाइन, निरीक्षण और उसे लागू करने की नीति की जिम्मेदारी लें।
बाद में राष्ट्रपति ने सीएसआरएल (सामाजिक उत्तरदायित्व एवं नेतृत्व केन्द्र) सुपर-30 (जीएआईएल उत्कर्ष) के उन छात्रों से मुलाकात की, जो आईआईटी और एनआईटी के लिए चुने गए हैं।
युवा छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें जेईई (एडवांस) परीक्षा में सफल होने के लिए बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि युवा छात्र इसी समर्पण के साथ भावी लक्ष्यों को हासिल करेंगे। उन्होंने जीएआईएल और सीएसआरएल की भी उनकी पहल के लिए प्रशंसा की।