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राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या कूच कर सकते हैं सभी संत: स्वामी कैलाशानंद

उत्तराखंड

हरिद्वार: राम मंदिर निर्माण के लिए संतों ने आंदोलन तेज करने का एलान किया है। इसी क्रम में दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि नवंबर के आखिरी सप्ताह में हरिद्वार में संतों की राष्ट्रीय स्तर पर एक बैठक प्रस्तावित है। इसके बाद राम मंदिर के लिए आखिरी फैसला किया जाएगा। इसमें छह दिसंबर से पहले संतों द्वारा अयोध्या कूच करने का भी निर्णय लिया जा सकता है।

चंडीघाट स्थित काली मंदिर महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि राम मंदिर के लिए अब संत और इंतजार नहीं कर सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय से फैसला आने में हो रही देरी से संतों में बेचैनी है। न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद टूट चुकी है। उन्होंने सरकार से कहा कि जल्द से जल्द राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा के एजेंडे में राम मंदिर निर्माण की बात कही गई है। लिहाजा, हमें भाजपा से ही उम्मीद है। क्योंकि इस वक्त केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है और भाजपा ही एक ऐसी पार्टी है जो राम मंदिर निर्माण कर सकती है।

महामंडलेश्वर कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भाजपा के शासनकाल में ही राम मंदिर का निर्माण हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राम मंदिर का रास्ता साफ नहीं किया और ठोस कदम नहीं उठाए तो संत आंदोलन करने के लिए तैयार हैं। उन्होंनें स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज के अनशन की वकालत करते हुए कहा कि अन्य संत भी अनशन के लिए तैयार हैं। जल्द ही देश के तमाम बड़े संत मठों से निकलकर गंगा किनारे अनशन करेंगे और अपना शरीर त्याग देंगे। वे स्वयं भी अनशन पर बैठेंगे।

उन्होंने कहा कि जल्द ही संतों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मुलाकात कर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने की मांग करेगा। भाजपा ने बहुमत के साथ यूपी व केंद्र में सरकार आने पर मंदिर बनवाने का वादा किया था। मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री को यह वादा भी याद दिलाया जाएगा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मंदिर नहीं बना तो सरकार भी नहीं बनेगी। संत दिल्ली में बैठक कर धर्मादेश दे चुके हैं। अब फैसला सरकार को करना है। इस अवसर पर स्वामी सत्यव्रतानंद, स्वामी शिवानंद ब्रह्मचारी, स्वामी आनंद स्वरूप, स्वामी निर्मल दास, वेदमूर्ति आचार्य पवन दत्त मिश्र, आचार्य स्वामी संजीव महाराज भी मौजूद रहे। source amae ujala

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